बच्चे तो गर्मी में खेलेंगे जनाब, ध्यान बड़ों को देना है कि तेज धूप / लू न कर पाए उनका मज़ा ख़राब

गोण्डा। बीते एक सप्ताह से लगातार बढ़ रहा तापमान, बच्चों को लू से बचाने का सीएमओ ने जारी किया फरमान, बोलीं गर्मी से सम्बंधित बीमारी के लक्षण जानें और हो जाएं सतर्क, जब बच्चे में लू के लक्षण लगे नज़र आने। जनपद में तापमान बढ़ने के साथ ‘लू’ की शुरुआत हो गई है। गर्मी में होने वाली समस्याओं जैसे- बेहोशी, मांसपेशियों में दर्द, मिर्गी / दौरा पड़ना, चिड़चिड़ापन, सिर दर्द, अधिक पसीना आना, कमजोरी / चक्कर आना, बेतुकी बातें करना, सांस और दिल की धड़कन तेज होना, मतली और उल्टी तथा नींद से जागने में कठिनाई या नींद न खुलना आदि लक्षण बच्चों में दिखें, तो तुरंत सतर्क हो जाएं। यह कहना है मुख्य चिकित्साधिकारी रश्मि वर्मा का। उन्होंने बुधवार को बताया कि जब बच्चे पैदल चलें या साइकिल चलाएं, स्कूल में असेंबली में हों अथवा धूप में नंगे पांव खेलें तो सतर्क रहें।सीएमओ ने कहा कि बच्चे को तेज धूप या लू से बचाव के लिए पर्याप्त तरल पदार्थ (मौसमी फलों का जूस, नींबू- पानी, ग्लूकॉन-डी/ इलेक्ट्राल का घोल इत्यादि) दें, फुल आस्तीन के हल्के-सूती कपड़े पहनाएं, बच्चे को धूप में खेलने से रोकें और गाड़ी लॉक ना करें जब बच्चे गाड़ी में हों । उन्होंने कहा कि यदि बच्चे में कोई भी गंभीर लक्षण दिखे, तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर जाएं या एम्बुलेंस को बुलाएं। एसीएमओ डॉ एपी सिंह ने बताया कि बच्चे में तेज धूप / लू के लक्षण नज़र आएं, तो सबसे पहले उसे घर / कमरे के अंदर या छांव वाली जगह पर लाएं, बच्चे के कपड़े को जहाँ तक हो सके ढीला कर दें, पैरों को थोड़ा-सा ऊंचा करके लेटाएं, पंखें के इस्तेमाल से हवा के प्रवाह को तेज करें, नल के पानी से शरीर पोंछें या शरीर पर पानी का छिड़काव करें, यदि बच्चा थोड़ा-सा भी सतर्क या होश में है, तो शीतल पेय जल पिलाएं, अगर बच्चे को उल्टियां हों, तो उसे करवट के बल लिटाएं। बेहोशी के हालत में बच्चे को कुछ भी खाने-पीने को न दें।

जिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ आफ़ताब आलम का कहना है कि बढ़ती गर्मी के साथ ही अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ रही है । इन मरीजों में बच्चों की संख्या ज्यादा है। जिला अस्पताल में रोजाना 100 से ज्यादा बच्चे ओपीडी में पहुंच रहे हैं। खासतौर पर स्कूल जाने वाले बच्चों को डिहाइड्रेशन, पेट दर्द, सर्दी-जुकाम, बुखार और गले में संक्रमण की समस्या तेजी से हो रही है। ऐसे में स्कूल जाने वाले बच्चों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।