संत जनों की कृपा पाकर के भगवान की प्राप्ति होती – श्री धराचार्य जी महाराज

बदलता स्वरूप अयोध्या l मकराना राजस्थान से पधारे सीताराम रांडद द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिवस में व्यासपीठ पर विराजमान अनंत श्री विभूषित जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री धराचार्य जी महाराज ने कथा का विस्तार करते हुए कहा 5 वर्षीय अबोध बालक ध्रुव की तरह अविरल भक्ति जब साधक के मन में व्याप्त हो जाती है तब वह साधक भगवत धाम को प्राप्त करता है पापी अजामिल की कथा का श्रवण कराते हुए कहा जन्म से ही पाप कर्म में लीन अजामिल प्रभु भक्ति में लीन संत जनों की कृपा पाकर के भगवान के धाम को प्राप्त करता है वेद वेदांत का परिपक्व फल है श्रीमद् भागवत कथा मनुष्य जन्म को प्राप्त करके प्रभु के बताए हुए मार्ग का अनुसरण करके सभी साधक भक्तजन सभी सुखों को प्राप्त कर सकते हैं हिरण्यकश्यप में घोर तप किया ब्रह्मा जी से वरदान भी प्राप्त किया लेकिन साधक भक्तों के मन में यदि अभिमान व्याप्त हो जाता है तो वह साधक भक्त भी भक्ति मार्ग से अलग हो जाता है और पाप कर्म में लीन हो जाता है हिरण्यकशिपु के पुत्र बालक प्रहलाद मां के गर्भ में ही देवर्षि नारद से नवधा भक्ति का श्रवण करने के प्रभाव से अनेकों यातनाएं पिता से पाकर भी भक्ति मार्ग को नहीं छोड़ते हैं प्रह्लाद जी की दृढ़ भक्ति को देख कर भगवान भक्त प्रहलाद को बचाने नरसिंह रूप धारण करके दुष्ट हिरण्यकशिपु का वध करते हैं सुखदेव जी महाराज से कथा का श्रवण करके राजेंद्र परीक्षित जी का विश्वास और भी दृढ़ हो गया आज सायंकाल मां सरयू में चुनरी मनोरथ वा सरयू पूजन आरती जगतगुरु स्वामी श्री श्री धराचार्य जी महाराज के सानिध्य में किया जाएगा राजस्थान मकराना से पधारे रांडद परिवार के सभी भक्तजन कथा श्रवण कर आनंदित हो रहे हैं l