सोलह श्रंगार के साथ महिलाओं ने किया वट सावित्री की पूजा

पूजन में पति की लम्बी आयु की किया कामना

बदलता स्वरूप श्रावस्ती। जनपद के भिनगा, इकौना, गिलौला, सिरसिया और जमुनहा क्षेत्र में शुक्रवार को ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को सुहागिन महिलाओं ने पति की लंबी उम्र के लिए वट सावित्रि का व्रत रखा । इस दौरान सुहागिन व्रती महिलाओं ने वट वृक्ष की विधि विधान से पूजा व अर्चना की और अपने पति की लिए लंबी आयु के लिए भगवान से प्रार्थना की। व्रती महिलाओं ने वट वृक्ष की पूजा अर्चना के बाद उसकी परिक्रमा की और अपने लिए अखंड सौभाग्य की कामना भी की।
जमुनहा क्षेत्र की निवासी रीता शर्मा,रेनू शर्मा,पूजा तिवारी, सरिता तिवारी, शांति तिवारी,पुष्पा तिवारी सहित कई महिलाओं ने कहा कि परंपरा का निर्वहन हम सभी का कर्तव्य है। शादी करके जब ससुराल गई तो मेरी सास वट सावित्री व्रत रखती थीं। उसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए मैंने भी इस व्रत को रखना शुरू किया। व्रत से आत्म संतुष्टि मिली। अब मेरी बहू भी इस व्रत को रखती है।
वहीं बनगई निवासी कलावती ने कहा कि वट सावित्री व्रत पति के प्रति सम्मान प्रकट करने का माध्यम है। साथ ही व्रत से हम अपनी परंपरा को भी आगे बढ़ाते हैं। सुहाग की लंबी आयु के लिए वट सावित्री व्रत रखा जाता है। व्रत को रखने से मन को शांति भी मिलती है। आने वाली पीढ़ी को भी इस व्रत को करना चाहिए,तो जब हम सभी इसका व्रत रखकर पूजन करेंगे तो निश्चित ही आने वाली पीढ़ी भी इसी रास्ते पर चलेगी।
हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार वट सावित्री व्रत में प्राचीन समय से बरगद के पेड़ की पूजा करने की परंपरा चली आ रही है। इसमें एक पौराणिक कथा भी जुड़ी है। मान्यता है कि वट वृक्ष ने ही सत्यवान के मृत शरीर को अपनी जटाओं के घेरे में सुरक्षित रखा था, जिससे कोई उसे नुकसान न पहुंचा सके। इसलिए वट सावित्री व्रत में प्राचीन समय से बरगद की पूजा होती है। ऐसा माना जाता है कि बरगद के वृक्ष में भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का वास होता है। इसकी पूजा करने से पति के दीर्घायु होने के साथ ही उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।