बृजेश सिंह
बदलता स्वरूप गोण्डा। सोशल मीडिया पर दो हजार के नोट वापसी के अनेक चटखारे हैं, शब्दों के नजारे हैं, हास्य है, व्यंग्य है, व्यथा है, कथा है। जिसके पास जैसे भाव थे, उन्हें शब्दों के रूप मेँ परोस दिया। अनगिनत फोन, इतने ही मेसेज कि 2000 रूपये का नोट वापिस लिया जा रहा है। कोई नोट में से चिप निकाल लेने की बात कर रहा है। कोई ये पूछ रहा है कि नोट चिप निकाल कर वापिस करना है या चिप सहित। जबकि नोट मेँ चिप जैसा कुछ भी नहीं है। हाँ, सरकार के प्रवक्ता टाइप न्यूज चैनलो, एंकरों ने उस वक्त 2000 के नोट मेँ चिप होने का भ्रम फैलाया था, जब ये नोट चलन में लाया गया था। बस इस बार राजनीति के महागुरु नरेंद्र मोदी जी ने इसकी घोषणा करने की बजाये आरबीआई से करवाई। बेशक ये नोट बंदी नहीं है। यकीनन इसमें लोगों को बहुत अधिक दिक्कत नहीं होने वाली, परंतु ये तो साफ है कि नोट वापिस लेने की घोषणा ने देश के चर्चा लायक मुद्दों को पीछे छोड़कर लोगों को 2000 के नोट पर फोकस कर दिया है। सोशल मीडिया पर इसी से संबन्धित पोस्ट है। व्हाट्सएप पर 2000 के नोट से जुड़े स्टेटस है।
एक व्यक्ति ने फेसबुक पर लिखा- ‘मेरे पास 2000 रूपये का नोट है ही नहीं तो फिर चिंता किस बात की। रिश्वत-कमीशन के छिपा कर रखे हैं तो ये आपकी समस्या है, मेरी नहीं एक साहब ने लिखा- ‘ लो, जी भर के 2000 के नोट का दीदार कर लो, आने वाले कुछ दिनों में ये गायब होने वाले हैं। एक साहब का दर्शन बिलकुल अलग था, उनके भाव थे कि जो आया है, वो हर हाल में जायेगा। एक ग्रुप में मैसेज था यदि आप 2000 के नोट खुद बदलवाने की स्थिति में न हों तो मुझे दें, मैं बदलवा दूँगा। भरोसा करें, मैं नोट लेकर गायब नहीं हो जाऊंगा। और मान लो नोट लेकर भाग भी गया तो इसके अंदर जो चिप है, उससे मुझे ढूंढ लेना’। कुछ भी हो, इसमें तो कोई शक नहीं कि नरेंद्र मोदी वर्तमान राजनीति के महागुरु हैं। विरोधी पार्टियों को इनसे सीखना चाहिये कि राजनीति कैसे की जाती है। साथ ही ये ज्ञान में लेना चाहिये कि देश के बड़े बड़े न्यूज चैनल के नामी एंकर किस प्रकार अप्रत्यक्ष रूप से उन्हीं के एजेंडे को आगे बढ़ाते हैं। वो कई साल से पाकिस्तान को खत्म कर रहे हैं और अब कई दिनों से कर्नाटक कांग्रेस मेँ कलह बता बीजेपी के लिये माहौल बना रहे हैं। इन सभी का श्रेय यकीनन नरेंद्र मोदी जी को, क्योंकि वो वर्तमान राजनीति के महागुरु है। उनसे ईर्ष्या करने की जरूरत नहीं, इस कला को सीखने की जरूरत है। और हाँ, कभी रहे होंगे चाणक्य, अब तो नरेंद्र मोदी जी ही हैं। राजनीति में अगले पल क्या होने वाला है, किसी को कानो कान खबर नहीं होनी चाहिये। एक हाथ हस्ताक्षर करे तो दूसरे को मालूम न हो कि जिस कागज पर हस्ताक्षर किये हैं, उस पर क्या लिखा हुआ था! 2016 मेँ लाया गया 2000 का नोट वापिस लिया जा रहा है। ये तो नहीं कहा जा सकता कि नोट वापिस लेने का निर्णय कर्नाटक की राजनीतिक हार का दर्द गायब करने के कारण लिया गया। क्योंकि जिस क्षण से 2000 रुपए का नोट वापिस लिये जाने की खबर आई है तभी से सोशल मीडिया से लेकर न्यूज चैनलों तक यही खबर है। बाकी सब मुद्दे गायब हो चुके हैं। किसी और विषय पर कोई चर्चा नहीं है। तभी तो देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राजनीति के महागुरु कहने का मन हुआ। चाणक्य तो गुजरे जमाने की बात है, अब तो नरेंद्र मोदी जी चाणक्य के भी माई बाप अर्थात गुरु साबित हो रहे है। एक ही पल मेँ देश के मुद्दे बदल दिये। कल से किसी व्यक्ति को कुछ भी याद नहीं, सिवाये इस 2000 रुपए के नोट के, जो कुछ सप्ताह का मेहमान है।
अब का होई नेता जी चुनाव कैसे लड़ा जाई।