अयोध्या। डॉ वेदांती ने जानकी महल में चल रहे भागवत कथा जो महंत रत्नेश प्रपन्नाचार्य द्वारा रामकथा का रसपान भक्तों को कराया जा रहा है में कहा धर्म-अध्यात्म भारतीय परंपराओं की आत्मा है। उन्होंने कहा कि
ग्रामीण क्षेत्रों में भी भगवत कथा का प्रवचन की धारा ग्रामीण क्षेत्रों में भी प्रवाहित हो रही है।
रंगोत्सव की पूर्व बेला में धर्म-अध्यात्म का भी रंग घुल रहा है। हिंदूधाम में सात दिवसीय भागवतकथा का आरंभ करते हुए पूर्व सांसद एवं प्रख्यात कथाव्यास डा. रामविलासदास वेदांती ने कथा में प्रवेश से पूर्व भागवत की परंपरा का पान कराया। बताया, भागवत की कथा स्वयं भगवान विष्णु के श्रीमुख से निसृत हुई। भगवान विष्णु ने यह कथा देवर्षि नारद को सुनाई, नारद ने व्यास को, व्यास ने शुकदेव को और शुकदेव ने राजा परीक्षित के साथ अन्य श्रोताओं को सुनाईं।
उन्होंने कहा, देवताओं ने जिस अमृत का पान किया, वह साधारण अमृत है, किंतु जन्म-जन्म को सुधार देने वाली भागवतकथा महासुधा है। जानकीमहल में रामकथा के क्रम में जगद्गुरु रामानुजाचार्य रत्नेशप्रपन्नाचार्य ने कहा, भरत के चरित्र से श्रीराम प्रेम के दिव्य अमृत का प्राकट्य होता है। उन्होंने कहा, सभी साधनों का फल है, सीताराम जी का दर्शन और उनके दर्शन का फल है, भरत जैसे प्रेमी का,संत का दर्शन। सभी युगवालों के लिए भरत में प्रेरणा है, सतयुग वालों के लिए प्रेरणा इसलिए है कि भरत महान योगी हैं, त्रेता वालों के लिए इसलिए है कि उनके चरित्र में लोकोपकार और सेवा रूपी सर्वश्रेष्ठ यज्ञ भावना है, द्वापर के लोगों के लिए वह इसलिए प्रेरक हैं कि वह नित्यप्रति प्रभु की पादुकाओं का पूजन करते हैं। कलियुग के लिए इसलिए प्रेरक हैं कि इस युग की समस्याओं का जो समाधान श्रीभरत ने दिया है वह अन्य किसी ने नहीं दिया। पूरा ब्लाक के ग्राम जोगापुर नारा में भागगवत कथा के पांचवे दिन आचार्य घनश्याम किशोर ने कहा कि भागवत महापुराण प्रेत पीड़ा विनाशिनी है। इसके श्रवण मात्र से जीवन पर्यंत पाप कर्म करने वाले प्राणी का कल्याण हो जाता है। पूरा क्षेत्र के ही साधो पांडेय का पुरवा में चलंद्र रही भागवत कथा के तीसरे दिन कथा व्यास सुरेंद्र महाराज ने कहा, कथा श्रवण से जीवन जीने की प्रेरणा के साथ अपने कर्तव्य पर चलने का भाव जागृत होता है। कथा श्रवण करने से यदि आपका हृदय द्रवित नहीं हुआ, नेत्र सजल नहीं हुए, प्रभु के प्रति आपका प्रेम दृढ़ नहीं हुआ, तो समझिए आपने कथा सुनी ही नहीं।
कहा कि निर्धन होना अपराध नहीं लेकिन निर्धनता में ईश्वर को भूलना अपराध है। इस मौके पर काफी संख्या में भक्तगण उपस्थित रहे।