बदलता स्वरूप बस्ती। कृषि विज्ञानं केंद्र द्वारा लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट के अंतर्गत मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन पर ग्राम कटया में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किसानों के खेतों में मृदा के स्वास्थ्य में हो रही गिरावटों के कारणों तथा मृदा को स्वस्थ रखने के विभिन्न उपायों को जनजन तक पहुंचाना एवं उनको क्रियान्वित करना है। देश की बढ़ती जनसंख्या की भाज्य जरूरतों को पूरा करने के लिए सघन खेती एवं हरित क्रान्ति के दुष्प्रभाव से मृदा उर्वरता फसल उत्पादकता में निरंतर कमी हो रही है। केंद्र के कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन के बारे में समझाया। केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा० डी०के० श्रीवास्तव ने बताया कि किसानों को मृदा परीक्षण के आधार पर उर्वरकों का उपयोग करना चाहिए। उन्होंने किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुसार ही संतुलित उर्वरकों के प्रयोग की सलाह दी। केंद्र के वैज्ञानिक डा० वी० बी० सिंह ने मृदा परीक्षण के महत्व, जल परीक्षण से होने वाले लाभों के बारें में बताया। मृदा में मुख्य तथा सूक्ष्म तत्वों की जांच के लिए नमूना लेते समय सावधानी के बारें मे विस्तार से बताया। केंद्र के वैज्ञानिक डा० प्रेम शंकर ने किसानों को खेती में होने वाली विभिन्न समस्याओं के मूल कारण असंतुलित उर्वरक उपयोग, फसल अवशेषों को जलाना, मृदा में जीवांश कार्बन की कमी, अत्यधिक कीटनाशकों का उपयोग, रसायनों के उपयोग से कृषि की आमदनी में गिरावट से सम्बंधित समस्याओं पर प्रकाश डाला। इस कार्यक्रम में केंद्र के वैज्ञानिक हरिओम मिश्र ने मृदा स्वास्थ्य के बिगड़ने के विभिन्न कारणो जेसै किसानों द्वारा अपनायी जा रही सघन फसल प्रणालियों, रासायनिक उर्वरकों के असंतुलित और अंधाधुंध उपयोग, बहु पोषक तत्वों की कमी, फसल अवशेषों का जलाना जैविक खादों व हरी खादों का प्रयोग न करना आदि के बारे में बताया। इस कार्यक्रम में दिलीप सिंह, राजेन्द्र सिंह, योगेन्द्र सिंह आदि उपस्थित रहे।
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