बदलता स्वरूप सोहावल , अयोध्या l बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड करना शिक्षण संस्थानों के लिए आम बात हो गई है l कभी परीक्षा के नाम पर कभी प्रायोगिक परीक्षा के नाम पर कभी प्रवेश पत्र के नाम पर कभी मार्कशीट के नाम पर आये दिन वसूली का कार्य विभिन्न शिक्षण संस्थानों में सुनाई देते हैं। उक्त बात प्रदेश अध्यक्ष किसान नेता नरेंद्र तिवारी ने विगत दिनों सोहावल लोहिया पुल स्थित भवदीय इस्टिट्यूट डी फार्मा के द्वारा बच्चों का प्रायोगिक परीक्षा को रोके जाने को लेकर कही। उन्होंने कहा कि लगभग 10 छात्रो को गरीब होना भारी पड गया, उनकी परीक्षा और पढ़ाई जो कई वर्ष में की है सब व्यर्थ होने के कगार पर है। फीस न दे पाने के कारण प्रबंधन तंत्र ने आखरी सत्र का प्रेक्टिकल परीक्षा देने से वंचित कर दिया।
तीन साल की शिक्षण परीक्षा पास करने के बाद आखरी चरण मे विद्यालय प्रबधन तंत्र के द्वारा की जाने वाली मनमानी से दस बच्चो का भविष्य अंधकार में है एवं परिवार के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। इस संबंध मे जब शिक्षण संस्थान के अवधेश वर्मा एवं प्रधानाचार्य ने बताया कि फीस देने के बाद ही परीक्षा दे सकते है।
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