कैंसर जैसी घातक बीमारियों आदि के विषय में महिला बंदियों को किया गया जागरूक

बदलता स्वरूप गोंडा। उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ एवं जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ब्रजेन्द्र मणि त्रिपाठी के निर्देशानुसार तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गोण्डा के सचिव नितिन श्रीवास्तव अपर जिला जज/एफटीसी की अध्यक्षता में तथा चिकित्साधिकारी डाॅ0 नुपुर पाल की उपस्थिति में 02 जून को जिला कारागार गोण्डा के महिला बैरक में महिलाओं के लिये सर्वाइकल कैंसर, वीेमेन हाइजीन, एवं सेन्टरी नैपकिन के विषय पर एक विधिक जागरूकता/साक्षरता शिविर का आयोजन अपराह्न 02ः30 बजे किया गया। साक्षरता शिविर के दौरान जेल अधीक्षक प्रमोद कुमार सिंह उपस्थित रहे। महिला बैरक प्रभारी रंजना शुक्ला द्वारा अवगत कराया गया कि वर्तमान समय में 66 महिलायें जिला कारागार गोण्डा में निरूद्ध हैं, जिसमें से 12 सिद्धदोष महिला है तथा 54 विचाराधीन महिला बन्दी हैं। आज के शिविर की महत्ता को देखते हुये महिला बैरक की सभी महिला आज के शिविर में उपस्थित हैं। जिला कारागार गोण्डा के महिला बैरक में आज के शिविर की अध्यक्षता करते हुये जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गोण्डा के सचिव द्वारा शिविर में उपस्थित महिला बन्दियों को सम्बोधित करते हुये कहा कि आज का विषय सर्वाइकल कैंसर, वीेमेन हाइजीन, एवं सेन्टरी नैपकिन है। यह विषय बहुत ही संजीदा विषय है, इसलिये इसकी जानकारी आप सभी को होना अति आवश्यक है।

सर्वाइकल कैंसर के बढते प्रकोप को देखते हुये इस पर एक जागरूकता शिविर आप लोगों के मध्य कराया जा रहा है। सर्वाइकल कैंसर एक विषाणुजनित बीमारी है, जो आगे चलकर कैसर में परिवर्तित हो जाती है। इसका इलाज सम्भव है। इसके बचाव के लिये 09 से 14 वर्ष तक की किशोरियों के लिये वैक्सीन उपलब्ध है। महिलाओं में होने वाले ब्रेस्ट कैंसर के पश्चात यही एक ऐसा कैंसर है जो बहुत तेजी से महिलाओं में फैल रहा है। इस कैंसर से पीड़ित महिलाओं की संख्या दिन-प्रतिदिन बढती जा रही है। महिला बन्दियों एवं यहां कार्य करने वाली महिला बन्दी रक्षक से अनुरोध है कि सर्वाइकल कैंसर जैसी बीमारी की गम्भीरता को देखते हुये ध्यानपूर्वक सुनेंगें एवं चिकित्सा अधिकारी नुपुर पाल द्वारा जो भी उनको जानकारी प्रदान की जायेगी, उसको वह आगे अन्य महिला के मध्य प्रसारित करेगीं। शिविर में उपस्थित जिला अस्पताल गोण्डा की चिकित्साधिकारी नूपुर पाल द्वारा बताया गया कि गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर (सर्वाइकल कैंसर) तब होता है जब कोशिकाएं गर्भाशय ग्रीवा के प्रवेश द्वार में असामान्य रूप से विकसित होती हैं। यह निचले गर्भाशय की गर्दन या संकीर्ण हिस्से में होता है। यह एक वायरस जनित रोग है। यह ह्यूमन पपिल्लोमाविरु नामक वायरस/एच-पी-वी से फैलता है। सरवाइकल कैंसर के शुरुआती चरण में कुछ लक्षण दिखते हैं, जिस पर किसी का ध्यान नहीं जाता है। हालांकि, गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के लक्षणों की पहचान में अनियमित एवं अत्यधिक रक्त स्राव, पेशाब के दौरान दर्द, मासिक धर्म चक्र में अनियमितता, रजोनिवृत्ति के बाद और पैल्विक परीक्षा के बीच होने वाली रक्तस्राव, असहनीय दर्द, भारी असामान्य पानी का निर्वहन, जो गंदा महक जैसा हो सकता है। अगर ऐसे लक्षण किसी महिला को प्रतीत होते हैं, तो वे तुरन्त महिला चिकित्सक से परामर्श करें। सर्वाइकल कैंसर आज लाइलाज नही है। सर्वाइकल कैंसर के बचाव हेतु 09 से 14 वर्ष अवस्था की बालिकाओं का वैक्सीनेशन किया जाता है तथा इससे अधिक उम्र की महिलाओं की स्क्रीनिंग कर इसका पता लगाया जाता है । इसमें 60 वर्ष तक महिलाओं की भी स्क्रीनिंग की जा सकती है। स्क्रीनिंग से ही यह प्राथमिक स्तर पर ही पता चल जाता है। स्क्रीनिंग के पश्चात यदि किसी महिला में इसके लक्षण दिखाई पडते हैं तो इसको बढने से या कैंसर में बदलने से पूर्व आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं द्वारा इसको फैलने से रोका जा सकता है। इस कैंसर को पूरी तरह विकसित होने में 20 वर्ष तक का समय लगता है। इसके लिये महिलाओं के मध्य अत्यधिक प्रचार-प्रसार की आवष्यकता है।

यहां पर उपस्थित महिला बन्दियों से अनुरोध है कि जब भी उनके परिवार की कोई महिला या महिला के रिश्तेदार उनसे मिलने आये तो उक्त कैंसर के बावत उनको यह जानकारी आप जरूर दीजियेगा तथा उन्हें यह भी बताइयेगा कि आप के घर के निकट स्थित पीएचसी या सीएससी या जिला महिला अस्पताल गोण्डा में जाकर इसके बारे में और जानकारी प्राप्त करें तथा 09 से 14 वर्ष की किशोरियों को वैक्सीन लगवाने हेतु प्रेरित करें। शिविर में उपस्थित साइक्रेटिक नर्स श्रीमती कमला द्वारा वीमेन हाइजीन एवं सेनेटरी नैपकिन के बावत जानकारी देते हुये बताया गया कि ‘‘आज के साक्षरता शिविर के विषय की महत्ता को देखते हुये जिला कारागार गोण्डा में इस शिविर का आयोजन किया गया हैै। जिला कारागार गोण्डा की प्रत्येक महिलाओं को अपने स्वास्थ्य एवं साफ-सफाई पर अत्यधिक ध्यान देना चाहिये तथा किषोर अवस्था में किशोरियों के शरीर में हार्मोनिक बदलाव होता है, जिसकी जानकारी उनको नही होती है और वह सामाजिक मान मर्यादा के तहत उक्त को अपनी माता के अलावा किसी अन्य को नही बतलाती हैं, माता को स्वयं में जो भी जानकारी होती है, वही वह अपनी बेटियों को बताती हैं, जिसके परिणाम स्वरूप आगे चलकर किशोरियों को विभिन्न स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं का सामना करना पडता है। बढती उम्र की किशोरियों के शरीर में हार्मोनिक बदलाव होता है, जिसके कारण उनमें 13 वर्ष से लेकर 40 वर्ष तक मासिक धर्म होता रहता है, इसी के लिये सेनेटरी नैपकिन का इजात किया गया है। महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान सेनेटरी नैपकिन का प्रयोग करना चाहिये। मासिक धर्म के दौरान किशोरियों/महिलाओं को साबुन/डिटाल इत्यादि का प्रयोग नही करना चाहिये। साफ-सफाई केवल सादे पानी से ही करनी चाहिये। इसके अतिरिक्त प्रत्येक किशोरियों/महिलाओं को रात में सोने से पहले सेनेटरी नैपकिन को बदल देना चाहिये।

महिला बैरक प्रभारी रंजना शुक्ला से अनुरोध है कि वीमेन हाइजीन एवं सेनेटरी नैपकिन के लिये वे महिला अस्पताल गोण्डा से निःशुल्क सेनेटरी नैपकिन प्राप्त कर महिला बन्दियों को उपलब्ध करायें। इसके अतिरिक्त मासिक धर्म के बावत यदि किसी महिला बन्दी को स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या होती है तो वे बेझिझक महिला बैरक प्रभारी रंजना शुक्ला को बतायें, जो उन्हें चिकित्सा परामर्श हेतु महिला अस्पताल गोण्डा में ले जाने की व्यवस्था करेगीं। सर्वाइकल कैंसर, वीेमेन हाइजीन, एवं सेन्टरी नैपकिन पर आयोजित इस जागरूकता कार्यक्रम में महिला बैरक की सभी महिलायें, उपस्थित रहीं।