भगवान श्री कृष्ण ने पेश की मित्रता की अनोखी मिशाल- श्री धराचार्य जी महाराज

महेन्द्र कुमार उपाध्याय
बदलता स्वरूप अयोध्या। रांडाद परिवार द्वारा आयोजित सप्त दिवसीय श्रीमद भागवत कथा के सातवें दिन व्यास पीठ पर विराजित अनंत श्री विभूषित जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री धराचार्य जी महाराज भागवत कथा का विस्तार करते हुए कहते हैं मां भगवती जगतजननी लक्ष्मी स्वरूपा रुकमणी जी के द्वारिका आ जाने पर द्वारिका नगरी की शोभा और बढ़ जाती है प्रभु श्री कृष्ण द्वारिका में अनेकों लीलाएं करते हैं भगवान के बचपन का मित्र सुदामा अपनी पत्नी सुशीला के बार बार कहने पर प्रभु श्री कृष्ण द्वारिकाधीश से मिलने के लिए जाते हैं सुदामा के आगमन की सूचना पाकर द्वारिकाधीश भगवान श्री कृष्ण नंगे पैरों भागकर द्वार पर आकर बचपन के मित्र सुदामा को अपने हृदय से लगा लेते हैं रुकमणी आदि सभी पटरानियों को अचंभा होता है कि राजाधिराज द्वारिकाधीश प्रभु इस दिन हीन व्यक्ति को हृदय से लगाए हैं श्री कृष्ण सुदामा को दिव्य आसन पर बिठाते हैं चरण वंदन करते हैं सुदामा के द्वारा लाए हुए चावल को प्रभु प्रसाद रूप में पाते हैं अपनी जैसी संपत्ति ब्राह्मण सुदामा को प्रभु देते हैं सुदामा चरित्र से प्रेरणा मिलती है प्रभु चरणों में जब भी जीव जाए सुदामा जी की तरह बिना फल प्राप्ति की इच्छा के जाए दीनबंधु दयासिंधु भगवान शरणागत जीव को अपना लेते हैं भगवान की कृपा जिस भक्त पर हो जाए वह भक्त संसार के सभी भौतिक सुखों को प्राप्त कर प्रभु धाम की प्राप्ति करता है सुखदेव जी महाराज राजेंद्र परीक्षित से कहते हैं हे राजन् मैंने तुम्हें 7 दिन तक कथा श्रवण कराई आज कथा का सप्तम दिवस है तक्षक आ रहा होगा तुम्हारी मृत्यु होगी कि नहीं होगी परीक्षित जी महाराज गुरुदेव के चरणों में प्रणाम करते हुए कहते हैं प्रभु आप जैसे उत्तम वक्ता के द्वारा मैंने भागवत रूपी अमृत का पान किया है तो मेरी मृत्यु क्यों होगी स्थूल शरीर पंचभौतिक तत्वों से मिलकर बना है उसी में विलीन हो जाएगा हे गुरुदेव आपने मुझ पर बहुत बड़ी कृपा की है भागवत कथा के रसास्वादन को करके जो जीव भक्ति ज्ञान वैराग्य में होकर परमात्मा के मार्ग को अपना लेते हैं उन्हें इन 8400000 योनियों में नहीं भटकना पड़ता परमपिता परमात्मा अपने चरणो में उन्हें स्थान देते हैं भागवत कथा के सभी चरित्र प्रेरणास्पद है हमें भागवत कथा को सुनकर भक्ति मार्ग को अपनाते हुए परोपकार की भावना से जीवन यापन करना चाहिए राजस्थान मकराना एवं देश के विभिन्न प्रांतो से पधारे हुए सभी भक्तजन कथा को सुनकर आनंदित हो रहे।