बदलता स्वरूप गोंडा। लखनऊ में कोर्ट परिसर के भीतर हुई नृशंस हत्याकांड से पूरा प्रदेश सहम उठा था साथ ही अधिवक्ताओं ने भी रोष जताते हुए अपनी सुरक्षा हेतु प्रदेश सरकार व डीजीपी प्रशांत कुमार से लगाई थी गुहार। जिसे देखते हुए पूरे प्रदेश में न्यायालय परिसर की सुरक्षा के लिए पुलिस प्रशासन ने कड़े कदम उठाने का निर्णय लिया। साथ ही साथ जनपद न्यायाधीश बृजेंद्र मणि त्रिपाठी ने अपने दल बल के साथ पूरे न्यायालय परिसर का लिया जायजा। जनपद के पुलिस अधीक्षक आकाश तोमर मय डॉग स्क्वायड के साथ ही दर्जन भर से अधिक सुरक्षा बलों के साथ न्यायालय परिसर का भ्रमण करते हुए परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरों का भी किया निरीक्षण। गौरतलब हो कि न्यायालय परिसर में प्रवेश करने हेतु तीन गेट बने हैं। जिसमें से दो और तीन से फरियादियों की आवाजाही होती है गेट नंबर 2 पर नगर कोतवाल अशोक सिंह डटे रहे। लेकिन यहां भी देखने को मिला कि फरियादी बचाकर बिना आईडी व परिचय पत्र दिखाये न्यायालय परिसर में प्रवेश करते दिखे यह भी कहना आवश्यक होगा कि अधिवक्ताओं को अपनी सुरक्षा के लिए नगर प्रशासन का सहयोग करना चाहिए और जरूरत पड़ने पर उन्हें भी अपना परिचय पत्र दिखाना चाहिए तभी न्यायालय परिसर की सुरक्षा कायम हो सकती। देखना तो यह होगा कि क्या आज से प्रारंभ हुए न्यायालय परिसर की सुरक्षा की व्यवस्था क्या आगे भी कायम रहेगी या सिर्फ हवा हवाई और ठंडे बस्ते में सिमट कर रह जाएगी और फिर कहीं किसी न्यायालय में इसी तरह किसी आरोपी अधिवक्ता या फरियादी की हत्या हो जायेगी यक्ष प्रश्न–?
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