मानसिक अवसाद का बढ़ता खतरा , लोग कर रहे आत्महत्या …!

बदलता स्वरूप
लेखक पंकज कुमार मिश्रा जौनपुर

जीवन में संतुष्टि और धीरज न हो तो एक प्रसिद्ध और धनवान व्यक्ति भी अपना मानसिक संतुलन खो सकता है और मानसिक अवसाद से पीड़ित होकर आत्महत्या जैसा खतरनाक कदम उठा सकता है जिसके कई उदाहरण देखने को मिले है । ईमानदार और सर्वसुलभ व्यक्तियों की जीवन शैली सबसे अच्छी रही है । एक रिसर्च के अनुसार शानो शौकत के शौकीन लोगो में जब खास वक्त आता है तब वही शख्स खुद को सम्हाल कर रख पाता है जो थोड़ा सा धैर्यवान होता है नहीं तो यही शानो शौकत आगे चलकर मानसिक अवसाद का रूप ले लेती है जिसकी परिणीति है मौत । वर्तमान समय में ऐसे कई केस देखे और सुने गए जहां अच्छा खासा मनुष्य अचानक अपनी जीवनलीला स्वयं से समाप्त कर ले रहा । कभी कभी अधिक लोलुपता और धन की अधिकता से गोस्वामी तुलसीदास की चौपाई ‘ प्रभुता पाई काहिं मद नाहीं…’ की हालत उत्पन्न हो जाती है। पद-पैसा और प्रतिष्ठा के सिंहासन पर बैठे प्रभुतासम्पन्न व्यक्ति के आगे जब लोग बड़े विनीत भाव में खड़े होकर जयजयकार करते दिखाई पड़ते हैं तब वह खुद को सम्राट समझने लगता है।प्रभुता सम्पन्न व्यक्ति प्रायः मदान्ध हो जाता है। अपने इर्द-गिर्द खड़े लोगों को दीनहीन समझकर अपमानित भी करता है। उसे पता नहीं होता कि इन्हीं दीनहीन जनता-जनार्दन के बीच भाग्य-रचयिता नारायण भी शामिल रहते है तथा परीक्षा भी लेते हैं। इस परीक्षा में मदान्ध व्यक्ति फेल हो ही जाता है। अहंकार की भी मनुष्य की आयु की तरह आयु होती है। एक न एक दिन रूप-रूपईया और रुतबा खत्म होता है। फिर तो ऊंचाई पर रहा व्यक्ति अलग-थलग हो ही जाता है। जूनागढ़ के महामंडलेश्वर डॉ अवधेशानन्द गिरि का यह कथन कि ‘बहुत ऊपर गए व्यक्ति के साथ खतरा यह होता है कि वह अकेला ही रह जाता है’ शत-प्रतिशत सत्य प्रतीत होता है। जब वह नीचे उतरता है तब उसके अपने कहे जाने वाले लोग नदारद मिलते हैं। जिंदगी के उतार की स्थिति में खुद को अकेला पाकर वही प्रभुता सम्पन्न व्यक्ति तार-तार हो जाता है। आइए उदाहरणों पर चलते है।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मंगलवार को एक रिटायर्ड पुलिस ऑफिसर ने अपनी कनपटी पर रिवाल्वर लगाकर आत्म-हत्या कर ली। घटना तो समाज के हृदय पर गोली लगने के समान है। पर होनी तो होनी ही है। रिटायर्ड ऑफिसर ने सुसाइड लेटर भी लिख रखा है। फिलहाल मामला जाँच का तो है ही? प्रथम दृष्टया इसे अवसाद का कारण कहा गया लेकिन असलियत पर से पर्दा जांच के बाद ही हटेगा। इस तरह की आत्महत्या की वारदात पहली बार नहीं लेकिन अवसाद (डिप्रेशन) में इस तरह की घटनाएं प्रायः सुनी जाती हैं। डिप्रेशन गरीबी से ही नहीं फन फैलाता । यह अमीरी और रुतबे से भी सिर चढ़ता है। हाई-फाई व्यक्ति के जीवन में उसका प्रभुत्व एक न एक दिन घटता ही है। ऐसी स्थिति में कभी उसके रहमोकरम पर जीने वाले उसे ही आंख दिखाते है तब हाई-फाई व्यक्ति की आंख खुलती तो जरूर हैं लेकिन तब आंखों के सामने अंधेरा दिखने लगता है और जिंदगी में चतुर्दिक गन्दगी दिखती है। मौत प्यारी लगने लगती है और ऐसी स्थिति में आत्मघाती कदम ही इसका उपाय दिखता है। प्रसिद्ध सितारों व उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों द्वारा की गई आत्महत्या की खबरें हमें इस विषय पर सोचने को मजबूर कर देती हैं। आजकल की बढ़ती चकाचौंध की दुनिया हमें अकेलेपन का शिकार बना रही है।

महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) के पूर्व प्रमुख और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी हिमांशु रॉय ने मुंबई में अपने सरकारी आवास पर आत्महत्या कर ली थी ।यही अकेलापन धीरे-धीरे अवसाद में तब्दील होकर आत्महत्या जैसे दुष्परिणाम ला रहा है। आत्महत्या के कई कारण हो सकते हैं जैसे तनावपूर्ण जीवनशैली मानसिक रोग घरेलू समस्याएं आदि। हमारे देश में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोगों में जागरूकता की कमी है व सरकार का भी इस ओर कोई रुझान नहीं है। कई बार कुछ सामाजिक कारणों से भी व्यक्ति ऐसा कदम उठाता है जैसे क्लास में प्रथम ना आना, किसी प्रतिष्ठित पद की परीक्षा को पास न कर पाना, नौकरी ना मिल पाना आदि इस समस्या से निपटने के लिए हमें इसके मूल कारण जानकर उनका समाधान ढूंढना चाहिए।उज्जैन में 32 साल के बैंक अफसर ने सुसाइड कर लिया। उसने अपनी बहन को आखिरी बार कॉल करके कहा था कि मैंने जहर खा लिया है। उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। उसकी शादी डेढ़ साल पहले ही हुई थी। 25 दिन पहले उसकी पत्नी ने बेटे को जन्म दिया था। परिजनों ने बैंक मैनेजमेंट पर आरोप लगाया है। उनका कहना है कि बैंक में काम के प्रेशर के कारण वह डिप्रेशन में था।बेंगलुरु: 51 साल के डीवाईएसपी एम के गणपति ने गुरुवार शाम कर्नाटक के कुर्ग में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। एक हफ्ते के अंदर एसीपी रैंक के दो अधिकारियों की आत्महत्या से सनसनी फैल गई है।1991 में सब इंस्पेक्टर के तौर पर बहाल हुए गणपति को हाल ही में प्रोनत्ति देकर डीवाई एसपी बनाया गया था और उनकी पोस्टिंग मंगलौर के आईजीपी दफ्तर में की गई थी। मनोचिकित्सक डॉ. अशोक कुमार पटेल ने कहाकि तनाव (डिप्रेशन) वाले मरीजों में आत्महत्या की आशंका बढ़ जाती है। किसी भी सदस्य के एक हफ्ते से अधिक तनाव में रहने पर तत्काल उसे सेंटर पर लाएं। दवा व काउंसिलिंग (परामर्शन) के जरिए मरीज ठीक हो जाता है।