बदलता स्वरूप गोण्डा। कौमारी माता मन्दिर में चल रही देवी भागवत में कथा पीठाधीश्वर रिसिया बहराइच के संत मनीषी रविशंकर महाराज ‘भाई जी’ ने कथा के चतुर्थ दिवस नवरात्र के महात्म्य एवं देवी के विभिन्न स्वरूप का वर्णन करते हुए कहा कि जिस समय पृथ्वी पर दुराचारी पापी राक्षसों का अत्याचार चरम पर पहुंच जाता है तब उस अत्याचार को हटा कर सदाचार की स्थापना के लिए मां विभिन्न रूपों में अवतार धारण करती हैं। स्वामी जी ने कहा कि नवरात्रि के नौ दिवस में साधक को सिद्धि प्राप्त हो जाती है। मां की अनुकंपा प्राप्त करने के लिए साधक जब नवरात्रि में प्रवेश करता है, तो प्रथम दिवस मां का शैलपुत्री स्वरूप आता है। मां हिमालय राजा की पुत्री रूप में अवतरित होकर अपने भक्तों का कष्ट हरती है।ब्रह्मचारिणी यह माता का दूसरा स्वरूप है। इसमें तपस्वी रूप धारण करके माता तप करने की प्रेरणा देती हैं। तीसरा स्वरूप चंद्रघंटा है। जब भगवान शंकर ने काल स्वरूप धारण किया तब माता ने चंद्रघंटा स्वरूप धारण करके भगवान के क्रोध को शांत किया। मां का चौथा स्वरूप कूष्मांडा है। यह पूरे संसार की उत्पन्न करने वाली देवी है। पंचम स्वरूप में स्कंदमाता कार्तिकेय भगवान को पुत्र रूप में उत्पन्न करती हैं। मां छठे स्वरूप में मां कात्यायनी रूप धारण करके भक्तों का कल्याण करती हैं। सातवें स्वरूप में कालरात्रि का दिव्य स्वरूप है। मां का अष्टम स्वरूप मां गौरी का है और नवमी में सिद्धि प्रदान करती है। कथा पीठाधीश्वर ने कहा कि देवी भागवत में नवरात्रि का महत्व बताते हुए कहा गया है कि एक वर्ष में दो जागृत और दो गुप्त नवरात्र का पदार्पण भक्तों के कल्याण के लिए होता है। यह चारों नवरात्रि भक्तों को शुद्धि प्रदान करने वाली है। इस अवसर पर मुख्य जजमान श्रीमती सीता पत्नी विश्वकर्मा कसौधन, समाजसेवी संदीप मेहरोत्रा, रमेश गुप्ता, सुखदेव गुप्ता, जितेश सिंगल, पप्पू, अरुण मिश्रा, अरविंद प्रजापति, प्रकाश आर्य हीरू सभासद, डॉक्टर अमित गुप्ता, डॉक्टर परमानंद, कृष्ण मोहन अग्रवाल, दीपेंद्र मिश्रा, अजय मिश्रा, पप्पू सोनी, दीपक गुप्ता, डॉ. किशन जायसवाल, के पी सिंह, संजय गुप्ता, डॉक्टर अनिल आदि मौजूद रहे।
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