बदलता स्वरूप गोण्डा। नगर के तिवारी पुरवा स्थित कौमारी माता मन्दिर के वार्षिकोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित नव दिवसीय श्री देवीभागवत के कथा के पंचम दिवस पीठाधीश्वर स्वामी रविशंकर महाराज ‘गुरुभाई ‘ ने कथा में उपस्थित धर्म प्रेमी श्रद्धालुओं का आह्वान करते हुए कहा कि समस्त जनमानस को संत समाज का समादर करना चाहिए। जिस समाज में गऊ, गंगा, गीता और संत का आदर नही होता उसका पतन हो जाता है। रविशंकर जी महाराज गुरूभाई ने पंचम दिवस की कथा व्यास पीठ से रक्तबीज के संहार की कथा सुनाई। रक्तबीज एक असुर दैत्य था। जिसने शुम्भ-निशुम्भ के साथ मिलकर देवी दुर्गा और काली देवी के साथ युद्ध किया। धार्मिक मान्यता के अनुसार वह एक ऐसा दैत्य था जिसे ऐसा वरदान प्राप्त था कि जब जब उसके लहू की बूंद इस धरती पर गिरेगी तब तब हर बूंद से एक नया रक्तबीज जन्म ले लेगा जो बल , शरीर और रूप से मुख्य रक्तबीज के समान ही होगा। देवी देवताओं के आवाहन पर माँ गौरी ने रक्तबीज का संहार करने के लिए माँ कालरात्रि का स्वरूप धारण किया। मां कालिका रणभूमि में राक्षसों का गला काटते हुए अपने गले में सिरों की माला धारण करने लगीं। इस तरह युद्ध में रक्तबीज मारा गया। मां दुर्गा के इस रूप को कालरात्रि कहा जाता है। कालरात्रि दो शब्दों से मिलकर बना है, एक शब्द काल है जिसका अर्थ है “मृत्यु” जो अज्ञान को नष्ट करने वाला है। एक और शब्द है रात्रि, रात्रि के अन्धकार के श्याम रंग के प्रतीक के रूप में माता का चित्रण किया गया है। कालरात्रि के रूप से पता चलता है कि एक करुणामयी माँ आवश्यकता पड़ने पर अपने बच्चों की रक्षा के लिए अत्यंत हिंसक और उग्र भी हो सकती है। कथा में मुख्य जजमान श्रीमती सीता पत्नी विश्वकर्मा कसौधन, स्पा नेता सूरज सिंह, शिशु मन्दिर अयोध्या के प्रधानाचार्य अवनि कुमार शुक्ल, समाजसेवी संदीप मेहरोत्रा, रमेश गुप्ता, कैलाश नाथ गुप्ता, सुखदेव गुप्ता, जितेश सिंगल, पप्पू, अरुण मिश्रा, अरविंद प्रजापति, प्रकाश आर्य हीरो सभासद, डॉक्टर अमित गुप्ता, डॉक्टर परमानंद, कृष्ण मोहन अग्रवाल, दीपेंद्र मिश्रा, अजय मिश्रा, पप्पू सोनी, दीपक गुप्ता, डॉक्टर किशन जयसवाल, के पी सिंह, संजय गुप्ता, डॉक्टर अनिल आदि मौजूद रहे।
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