विश्व जनसंख्या दिवस पर 330 हेल्थ ऐंड वेलनेस सेंटरों का अभियान शुरू
बदलता स्वरूप गोंडा। नव विवाहित दंपति विशेष रूप से जिनका विवाह एक साल के अंदर हुआ हो ऐसे लोगों से परिवार नियोजन पर संवाद करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से आर्शीवाद अभियान चलाया गया है। विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर जिले के 330 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर से ग्राम प्रधानों द्वारा नव विवाहित दंपत्तियों को शगुन किट का वितरण कर अभियान का शुभारंभ किया गया। इस मौके पर नव दंपति को गर्भावस्था के दौरान होने वाले संभावित खतरों से बचाव के लिए सावधानी बरतने और जांच कराने की सलाह दी गयी। इसके साथ ही उच्च जोखिम वाली (एचआरपी) गर्भवती की पहचान कर उनका प्रबंधन और फॉलोअप किया गया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ रश्मि वर्मा ने बताया कि प्रदेश में 25-35 प्रतिशत आबादी युवा वर्ग की है। इस वर्ग को यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य, परिवार नियोजन और पोषण की जानकारी देने की जरूरत है। इसी को ध्यान में रखते हुए इस अभियान का आयोजन किया जा रहा है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक अमरनाथ ने बताया कि आशीर्वाद अभियान के तहत आशा कार्यकर्ताओं ने अपने-अपने क्षेत्र में नव विवाहित दंपति की सूची तैयार किया है, साथ ही उन्हें शगुन किट मिली है या नहीं इसकी भी जानकारी दर्ज की गयी है। अब 11-31 जुलाई के मध्य इन दंपति का हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर गर्भावस्था एवं स्वास्थ्य परीक्षण कर शगुन किट प्रदान की जाएगी। नव विवाहिता की लंबाई, वजन, ब्लड प्रेशर, शुगर और हीमोग्लोबिन की जांच की जाएगी। इसी रिपोर्ट के आधार पर विवाहिता को एचआरपी से बचाव के लिए एनीमिया, डायबिटीज, उच्च रक्तचाप व पोषण के बारे में जानकारी दी जाएगी। जिला परिवार नियोजन एवं सामग्री प्रबंधक सलाहुद्दीन लारी ने बताया कि हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर आने वाली महिलाओं को शादी के दो साल बाद ही गर्भधारण की योजना बनाने के बारे में काउंसलिंग की जाएगी और बास्केट ऑफ च्वाइस की जानकारी देते हुए परिवार नियोजन के आधुनिक साधनों के बारे में बताया जाएगा। गर्भवती को प्रसव पूर्व जांच की सेवा देने के साथ ही उनका टेली-कंसल्टेशन किया जाएगा। परिवार नियोजन के साधनों की निरंतरता बनाए रखने के लिए नव दंपति का प्रत्येक माह फालोअप भी किया जाएगा। परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉ आदित्य वर्मा ने बताया कि परिवार नियोजन के अस्थाई साधनों में अंतरा इंजेक्शन प्रति तीन माह के अंतर पर लगाया जाता है। इसे माहवारी आने के एक सप्ताह के अंदर और प्रसव के छह सप्ताह बाद ही लगाया जाता है। गर्भवती को यह इंजेक्शन नहीं लगाया जाता है। उन्होंने बताया कि दो बच्चों के जन्म के बीच अंतर रखने के लिए आईयूसीडी (इंट्रा यूटेराइन कंट्रासेप्टिव डिवाइस) महिलाओं के लिए काफी सुरक्षित मानी जाती है, इसे माहवारी के बाद, प्रसव के 48 घंटे के अंदर अथवा प्रसव के छह सप्ताह बाद लगाया जाता है। वहीं जरूरत होने पर इसको आसानी से निकलवाया जा सकता है। अनचाहे गर्भ से लंबे समय तक मुक्ति चाहने वाली महिलाएं इसे बेहद पसंद करती हैं।
इसके अलावा साप्ताहिक गर्भ निरोधक गोली छाया, आकस्मिक गर्भ निरोधक गोली माला-एन भी परिवार नियोजन के अस्थायी साधन हैं। पुरुषों के लिए अस्थायी गर्भ निरोधक साधन कंडोम है।