शिशुओं के लिए मां का दूध अमृत समान-सीएमओ

बदलता स्वरूप गोंडा। जनपद न्यायाधीश ब्रजेन्द्र मणि त्रिपाठी व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव नितिन श्रीवास्तव अपर जिला जज के निर्देश पर मुख्य चिकित्साधिकारी डाॅ0 रश्मि वर्मा की अध्यक्षता में 05 अगस्त को जिला अस्पताल गोण्डा के सभागार में यू0एन0डी0पी0 के कोआर्डिनेटर राजेश सिन्हा की उपस्थिति में एक विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर की अध्यक्षता कर रहीं मुख्य चिकित्साधिकारी डाॅ0 रश्मि वर्मा द्वारा शिविर में उपस्थित लोगों को जानकारी दी गयी कि आज के शिविर का विषय 01 अगस्त से 07 अगस्त तक मनाये जा रहे विश्व स्तनपान सप्ताह पर है। विश्व स्तनपान सप्ताह वर्ष 1992 में शुरू हुआ था। विश्व स्तनपान सप्ताह हर वर्ष नवजात शिशुओं के लिए नियमित स्तनपान को जोर देने के लिए मनाया जाता है। हर वर्ष स्तनपान सप्ताह 01 अगस्त को शुरू होता है और 07 अगस्त को समाप्त होता है। नवजात शिशु के स्वास्थ्य और शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए स्तनपान अत्यंत महत्वपूर्ण है। माँ का दूध नवजात शिशुओं के लिए सर्वोत्तम आहार होता है। इसमें अनेक एंटीबॉडीज पाये हैं, जो नवजात शिशुओं में होने वाले कई पेडियेट्रिक रोगों को रोकने में मदद करते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार स्तनपान बाल स्वास्थ्य और जीवन बचाने के लिए सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है, लेकिन वर्तमान में 6 महीने से छोटे शिशुओं में से केवल आधे से भी कम शिशुओं को पूर्ण रूप से स्तनपान कराया जाता है। नवजात शिशु के स्वास्थ्य और शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए स्तनपान हेतु स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रचार-प्रसार भी कराये जाते हैं तथा स्तनपान के लाभों की जानकारी दी जाती है।

वर्तमान समय में भारत की अधिकतर महिलायें नौकरी पेषा कर रही हैं, इस कारण अब वे अपने नवजात शिशुओं का उतना ध्यान नही दे पा रही हैं, जिसका परिणाम यह है कि 05 वर्ष से कम आयु के शिशुओं के रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो रही है तथा वह शीघ्र ही विषाणु एवं जीवाणु जनित रोगों से ग्रस्त हो रहे हैं। मेडिकल साइंस के अनुसार 02 वर्ष से कम आयु के शिशुओं को केवल उनकी माता का ही दूध देना चाहिये, जिससे उनकी रोग प्रतिरोघक क्षमता अत्यधिक बढ़ जाती है। भविष्य में उनके शीघ्र ही रोगग्रस्त की सम्भावना अत्यधिक कम हो जाती है। चूंकि वर्तमान समय में अधिकतर महिलायें अपने शिषुओं को स्तनपान नही करा रहीं है। इसी कारणवश महिलाओं को जागरूक करने हेतु एवं स्तनपान के क्या फायदे होते हैं, इसके लिये प्रचार-प्रसार की अत्यधिक आवश्यकता है। यहां पर उपस्थित ए0एन0एम0/सी0एच0ओ0/आशा बहुओं से अनुरोध है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में जब भी जायें, वहां की महिलाओं को स्तनपान के बारे में अवश्य जानकारी प्रदान करें तथा उन्हें यह भी बतलायें कि उनके नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य के लिये स्तनपान कराना कितना आवश्यक है।

इसके अतिरिक्त शिविर में उपस्थित यू0एन0डी0पी0 के कोआर्डिनेटर राजेश सिन्हा द्वारा बताया गया कि विश्व स्तनपान सप्ताह मनाने का उद्देश्य उन सक्षम वातावरण को बढ़ावा देना है जो महिलाओं को स्तनपान कराने में मदद करते हैं, जिसमें समुदाय और कार्यस्थल में समर्थन, सरकारी नीतियों और कानूनों में पर्याप्त सुरक्षा के साथ-साथ ही वैश्विक स्वास्थ्य निकाय के अनुसार स्तनपान के लाभों और रणनीतियों पर जानकारी साझा करना शामिल है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, आधे अरब से अधिक कामकाजी महिलाओं को राष्ट्रीय कानूनों में आवश्यक मातृत्व सुरक्षा नहीं दी जाती है। सिर्फ 20 देशों में नियोक्ताओं द्वारा महिला कर्मचारियों को अपने नवजात शिशुओं को स्तनपान कराने हेतु एकान्त स्थान, कार्य के दौरान कुछ समय के अवकाश की सुविधा प्रदान की जा रही है। वर्तमान में ऐसी सुविधायें समस्त कामकाजी महिलाओं को उपलब्ध करायी जानी चाहिये ताकि महिलायें कार्य के साथ-साथ अपने नवजात शिशुओं का पोषण भी अच्छे ढंग से कर सकें।

इस अवसर पर जिला चिकित्सालय गोण्डा के बीपीएम कटरा बाजार पंकज उपाध्याय, बीपीएम वजीरगंज मंजू शुक्ला, प्रीति मिश्रा सहित जिला गोण्डा के एमसीटी, बीपीओ तथा आशुलिपिक अमरनाथ पाण्डेय व ए0डी0आर0 के कनिष्ठ लिपिक कन्हैया लाल तिवारी व रामकुमार उपस्थित रहे।