बदलता स्वरूप बलरामपुर। जिले के विनियमित क्षेत्र के जेई व कर्मचारियों का एक नया कारनामा सामने आया है, फर्जी शपथ पत्र लेकर मृत व्यक्ति को कागजों में जिंदा दिखाकर न सिर्फ मामले की सुनवाई कर दी गई, बल्कि भवन का नक्शा भी बना दिया गया है। पीड़ित ने बिना नक्शा के जो निर्माण तीन साल पहले बंद कराया था, उसे शुरू कराने के लिए जालसाजी करने में जरा भी गुरेज नहीं किया। मामला नगर क्षेत्र के पुरैनिया तालाब मोहल्ले का है। यहां के रहने वाले शकील अहमद की मृत्यु 1 अगस्त 2022 को हो गई थी। उनकी पत्नी तरन्नुम ने विनियमित क्षेत्र के अधिकारियों से साठगांठ कर मौत के बाद 20 मार्च 2023 को उनकी उपस्थिति दर्ज कराकर मामले की सुनवाई की गई। उसके बाद पुनः 28 मार्च 2023 को मृतक व्यक्ति को उपस्थित दिखाकर मामले की सुनवाई कर भवन का नक्शा पास कर दिया गया। पुरैनिया तालाब निवासी मोहम्मद अनवर खान ने सदर तहसील में आयोजित संपूर्ण समाधान दिवस में विनियमित क्षेत्र के कारनामे की शिकायत उपजिलाधिकारी राजेंद्र बहादुर से की, तो सभी हैरत में पड़ गए। उपजिलाधिकारी को दिए शिकायती पत्र में मो. अनवर खान ने कहा कि पूर्व में उसके चाचा शकील अहमद बिना हिस्सा बंटवारा के निर्माण करा रहे थे। इस पर विनियमित क्षेत्र में बिना नक्शा स्वीकृति व बंटवारा के निर्माण की शिकायत 1 दिसंबर 2020 को गई थी। विनियमित क्षेत्र के अवर अभियंता ने निर्माण पर रोक लगा दी थी। 1 अगस्त 2022 को शकील अहमद की मृत्यु हो गई। तो उनकी पत्नी तरन्नुम ने विनियमित क्षेत्र में साठगांठ कर 20 मार्च 2023 को शकील अहमद को उपस्थिति दिखाकर फाइल की सुनवाई कराई । शकील को 28 मार्च को न्यायालय में भी उपस्थित दिखाकर मामले में आदेश सुनाते हुए नक्शा स्वीकृत करा लिया गया। खास बात यह है कि शकील अहमद की जीवन बीमा पालिसी पर उनकी पत्नी ने एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस में दावा कर भुगतान भी प्राप्त कर लिया है। बीमा पाने के लिए 1 अगस्त 2022 की मृत्यु का दावा किया है । ऐसे में विनियमित क्षेत्र से दिया गया नक्शा अवैध है।
पीड़ित मोहम्मद अनवर खान ने यह भी बताया कि बिना घर का बटवारा किये बिना मृतक शकील अहमद नगर पालिका चेयरमैन प्रतिनिधि शाबान अली के मित्र होने के नाते नगरपालिका कार्यालय से घर के 4 सदस्यो का नाम हटवा पूरी संपत्ति 3 लोगों के नाम करावा दी। और संपत्ति में हिस्सा ना देने पर लड़ाई झगड़े के लिए उतारू हो जाते थे जिससे पीड़ित 6 वर्षों से किराए के मकान पर रह रहा है और न्याय के लिए दर-दर भटक रहा है। निर्माण कार्य पर रोक लगाने के लिए पीड़ित एसडीएम कार्यालय से लेकर कोतवाली तक का चक्कर काटने के बाद एसडीएम राजेंद्र बहादुर ने निर्माण कार्य पर रोक लगाने का आदेश जारी किया तब जाकर निर्माण कार्य रोका गया। अब सबसे बड़ा सवालिया निशान यह है कि फर्जी शपथ पत्र लगाकर न्यायालय को गुमराह करने के आरोप में तरन्नुम व मिलीभगत करने वाले अभियंता व कर्मचारियों पर मुकदमा दर्ज होना चाहिए।
वही इस पूरे मामले पर उप जिलाधिकारी राजेंद्र बहादुर से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि पूरे मामले की जांच कराई जाएगी। जो भी दोषी पाया जाएगा उसके विरूद्ध सख्त कार्यवाही की जाएगी।
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