बदलता स्वरूप
लेखक पंकज कुमार मिश्रा
वैसे तो देशभक्ति का जज्बा सोते, जागते, उठते बैठते हर वक्त हृदय में रहना चाहिए क्योंकि हम उस महान भारत देश के नागरिक है जो आज विश्व पर राज कर रहा पर लगभग 78 वर्ष पहले तक हम गुलाम हुआ करते थे और 15 अगस्त 1947 की आधी रात को भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली । प्रतिवर्ष इस दिन भारत के प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से देश को सम्बोधित करते हैं। 15 अगस्त 1947 के दिन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने, दिल्ली में लाल किले के लाहौरी गेट के ऊपर, भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया था। महात्मा गाँधी के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में लोगों ने काफी हद तक अहिंसक प्रतिरोध और सविनय अवज्ञा आंदोलनों में हिस्सा लिया। स्वतंत्रता के बाद ब्रिटिश भारत को धार्मिक आधार पर विभाजित किया गया, जिसमें भारत और पाकिस्तान का उदय हुआ। विभाजन के बाद दोनों देशों में हिंसक दंगे भड़क गए और सांप्रदायिक हिंसा की अनेक घटनाएं हुईं। विभाजन के कारण मनुष्य जाति के इतिहास में इतनी ज्यादा संख्या में लोगों का विस्थापन कभी नहीं हुआ। यह संख्या तकरीबन 1.45 करोड़ थी। 1951 की विस्थापित जनगणना के अनुसार विभाजन के एकदम बाद 72,26,000 मुसलमान भारत छोड़कर पाकिस्तान गये और 72,49,000 हिन्दू और सिख पाकिस्तान छोड़कर भारत आए। इस दिन को झंडा फहराने के समारोह, परेड और सांस्कृतिक आयोजनों के साथ पूरे भारत में मनाया जाता है। भारतीय इस दिन अपनी पोशाक, सामान, घरों और वाहनों पर राष्ट्रीय ध्वज प्रदर्शित कर इस उत्सव को मनाते हैं हमें ब्रिटिश राज से आजाद होने में 200 साल से अधिक का समय लगा। इस दौरान हमारे नायक अलग-अलग तरीकों और समय पर लड़ते रहे। इसकी का परिणाम था कि 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ और पहले प्रधानमंत्री के रूप में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने लाल किले पर हमारा प्यारा तिरंगा फहराया। इसके बाद से स्वतंत्रता दिवस पर हर साल दिल्ली के लाल किले पर राष्ट्रीय तिरंगा झंडा फहराते की परंपरा चल पड़ी। 15 अगस्त 1947 को हमने ब्रिटिश सरकार के 200 सालों के राज के बाद आजादी हासिल की थी। हमारे देश के नायकों के त्याग, तपस्या और बलिदान का नतीजा था की हमने अपनी शर्तों पर अपने देश में रहने लगे। इसी दिन को याद कर हर साल पूरे देश में हर्ष उल्लास रहता है ।
आज़ादी का अमृत महोत्सव स्वतंत्र भारत के 77 वर्ष मनाने और मनाने के लिए भारत सरकार की एक पहल है। इस स्वतंत्रता उत्सव के माध्यम से हम मौजूदा पीढ़ी को अपने पूर्वजों द्वारा किए गए स्वतंत्रता संग्राम से अवगत कराकर अपने राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य की मजबूत नींव रखना चाहते हैं। भारत अपने लोगों, संस्कृति और उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास का जश्न मना रहा है। इस महोत्सव का उद्देश्य हमारी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना और हमारे देश की विशिष्टता को बचाने के लिए देशभक्ति फैलाना है। यह स्वतंत्रता उत्सव मौजूदा पीढ़ी को हमारे पूर्वजों द्वारा किए गए स्वतंत्रता संग्रामों से अवगत कराकर हमारे देश के बेहतर भविष्य के लिए एक मजबूत नींव रखने के लिए मनाया जाता है। राष्ट्र स्वतंत्रता के लिए अपने संघर्ष, इसकी उपलब्धियों और इस अवसर पर की जाने वाली योजनाओं को याद करके स्वतंत्रता की 77 वीं वर्षगांठ मनाता है। साथ ही भारत के विकास पर भी चर्चा की जाएगी। इसमें सभी भाषाएं और सभी राज्य शामिल हैं।
देश इस वर्ष देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में अमृत महोत्सव के माध्यम से भारत को वैश्विक मंच पर दृढ़ता से खड़े किए हुए है। स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मार्च 12/2021 को शुरू किया गया था, जिसने भारत की 75 वीं स्वतंत्रता वर्षगांठ के लिए 75 सप्ताह की उलटी गिनती शुरू की और 15 अगस्त 2023 को एक वर्ष के बाद पूरा होगा। इसके लिए तैयारियों पहले से होने लगती है. पिछले साल ही हमने आजादी का अमृत महोत्सव मनाया अब अपने 100 साल से सफर के लिए आगे बढ़ गए हैं लेकिन आजादी के इतने सालों बाद कई लोगों ने इस बात का कंफ्यूजन रहता है कि इस साल 76वां या 77वां कौन सा स्वतंत्रता दिवस मनाया जा रहा है। आज हम इसी कंफ्यूजन को दूर कर रहे हैं।
स्वतंत्रता दिवस आजादी का त्यौहार हमारी स्वतंत्रता का प्रतीक है। यह दिन में एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में हासिल उपलब्धियों के जश्न मनाने का मौका है । इस साल भी समूचा भारत आजादी का जश्न मनाने के लिए तैयार है, सबकुछ न्यौछावर करने की सौगंध खाने को भी तत्पर हैं. इस साल हम आजादी के अमृत महोत्सव से एक साल आगे बढ़ गए हैं। इस बीच देश ने काफी कुछ हासिल किया है। इस कारण भारत का ये राष्ट्रीय त्यौहार और भी खास होने वाला है।