विद्यार्थियों में एकाग्रता बढ़ाने के लिए करें त्राटक ध्यान क्रिया का अभ्यास

बदलता स्वरूप गोंडा। आयुष विभाग योग वेलनेस सेंटर गोंडा के तत्वावधान में बच्चों की एकाग्रता शक्ति को बढ़ाने के लिए जिले के फातिमा स्कूल में त्राटक ध्यान क्रिया योग का अभ्यास करवाया गया। योगाचार्य सुधांशु द्विवेदी ने त्राटक क्रिया के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि त्राटक शब्द की उत्पत्ति ‘त्रा’ से हुई है। जिसका अर्थ है मुक्त करना। त्राटक क्रिया, ध्यान साधना की एक विधि है। त्राटक किसी वस्तु पर अपनी आँखों से लगातार टक-टकी लगाकर देखना। यह हठ योग का प्रमुख भाग है ।जिसमें अंतर्दृष्टि को जागृत किया जाता है। त्राटक, नेति, धौति, कपालभाति, बस्ती एवं नौली, छ: षट्कर्म क्रियाएं हैं। जिन्हें करने से शरीर स्वास्थ्य एवं अध्यात्मिक विकास के लिए किया जाता है।त्राटक क्रिया मस्तिष्क के विकास में लाभकारी होती है।यह स्मृति एवं एकाग्रता बढ़ाती है। इसके अभ्यास से अल्फा तरंगें बढ़ती हैं, जो मस्तिष्क के विश्रामावस्था में होने का संकेत हैं। यह क्रिया आँखों को साफ करने एवमं नेत्रों की रोशनी बढ़ाने के लिए की जाती है। इसी क्रम में योगाचार्य सुधांशु द्विवेदी ने बताया की आप तनाव दूर करने और मन की चचंलता को शांत करने के लिए त्राटक क्रिया कर सकते हैं। यह शुद्धि ध्यान आपके स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है। अंत में फादर पॉल कोरिया ने समस्त छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा आप सभी नियमित रूप से त्राटक ध्यान का अभ्यास करें । इसके अभ्यास से अल्फा तरंगें बढ़ती हैं, जो मस्तिष्क के विश्रामावस्था में होने का संकेत हैं। इस अवस्था में मस्तिष्क के निश्चित भाग काम करना बंद कर देते हैं तथा मस्तिष्क की प्रक्रियाएं रुक जाती हैं, इस प्रकार मस्तिष्क को अत्यावश्यक विश्राम प्राप्त होता हैI एकाग्रता, याददास्त, और बौद्धिक विकास करता है। फादर पॉल कोरिया ने सभी विद्यार्थियों को नियमित रूप से त्राटक ध्यान के अभ्यास के लिए प्रेरित किया।