गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के बचाव हेतु लगायी गयी शिविर

बदलता स्वरूप गोंडा। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव नितिन श्रीवास्तव, अपर जिला जज के आदेश पर जिला अस्पताल गोण्डा की महिला चिकित्साधिकारी डाॅ0 नुपुर पाल द्वारा जिला कारागार गोण्डा के महिला बैरक में महिलाओं के लिये सर्वाइकल कैंसर, वीेमेन हाइजीन, एवं सेन्टरी नैपकिन के विषय पर एक विधिक जागरूकता/साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। उक्त साक्षरता शिविर में महिला बैरक प्रभारी रंजना शुक्ला एवं महिला पराविधिक स्वयं सेवक श्रीमती कंचन सिंह सहित अन्य महिला बन्दी एवं महिला बैरक की महिला बन्दी रक्षक भी उपस्थित रहीं। महिला बैरक प्रभारी रंजना शुक्ला द्वारा अवगत कराया गया कि आज की तिथि में कुल 58 महिलायें जिला कारागार गोण्डा में निरूद्ध हैं, जिसमें से 14 सिद्धदोष महिला बन्दी तथा 44 विचाराधीन महिला बन्दी हैं। आज 07 महिला बन्दी पेशी के लिये दीवानी न्यायालय पर गयी हुई हैं तथा शेष 51 महिला बन्दी आज के शिविर में उपस्थित हैं। जिला कारागार गोण्डा के महिला बैरक में आज के शिविर की अध्यक्षता कर रहीं जिला अस्पताल गोण्डा की महिला चिकित्साधिकारी डा0 नूपुर पाल द्वारा बताया गया कि गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर (सर्वाइकल कैंसर) तब होता है जब कोशिकाएं गर्भाशय ग्रीवा के प्रवेश द्वार में असामान्य रूप से विकसित होती हैं। यह निचले गर्भाशय की गर्दन या संकीर्ण हिस्सा में होता है। यह एक वायरस जनित रोग है। यह ह्यूमन पपिल्लोमाविरु नामक वायरस/एच-पी-वी से फैलता है। सरवाइकल कैंसर के शुरुआती चरण में कुछ लक्षण दिखते हैं, जिस पर किसी का ध्यान नहीं जाता है। हालांकि, गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के लक्षणों की पहचान में अनियमित एवं अत्यधिक रक्त स्राव, पेशाब के दौरान दर्द, मासिक धर्म चक्र में अनियमितता, रजोनिवृत्ति के बाद और पैल्विक एरिया में होने वाला असहनीय दर्द, भारी व असामान्य पानी का निर्वहन, जो कि गंदा महक, जैसा हो सकता है। अगर ऐसे लक्षण किसी महिला बन्दी को प्रतीत होता हैं, तो वे तुरन्त महिला बैरक की प्रभारी श्रीमती रंजना शुक्ला को अवगत करायें ताकि वे उक्त महिला बन्दी की चिकित्सीय परीक्षा करायें। सर्वाइकल कैंसर आज लाइलाज नही है।

सर्वाइकल कैंसर के बचाव हेतु 09 से 14 वर्ष अवस्था की बालिकाओं का वैक्सीनेशन किया जाता है तथा इससे अधिक उम्र की महिलाओं की स्क्रीनिंग कर इसका पता लगाया जाता है। इसमें 60 वर्ष तक महिलाओं की भी स्क्रीनिंग की जा सकती है। स्क्रीनिंग से ही यह प्राथमिक स्तर पर ही पता चल जाता है कि महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के लक्षण हैं अथवा नही। स्क्रीनिंग के पश्चात यदि किसी महिला में इसके लक्षण दिखाई पडते हैं तो इसको बढने से या कैंसर में बदलने से पूर्व आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं द्वारा इसको फैलने से इसे रोका जा सकता है। इस कैंसर को पूरी तरह विकसित होने में लगभग 20 वर्ष तक का समय लगता है। इसके लिये महिलाओं के मध्य अत्यधिक प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है। यहां पर उपस्थित महिला बन्दियों से निवेदन है कि जब भी उनके परिवार की कोई महिला या महिला के रिश्तेदार उनसे मिलने आये तो सर्वाइकल कैंसर के बावत उनको यह जानकारी आप जरूर दीजियेगा तथा उन्हें यह भी बताइयेगा कि आप के घर के निकट स्थित पीएचसी या सीएससी या जिला महिला अस्पताल गोण्डा में जाकर इसके बारे में और जानकारी प्राप्त करें तथा 09 से 14 वर्ष की किशोरियों को वैक्सीन लगवाने हेतु प्रेरित करें। उक्त विधिक शिविर में उपस्थित महिला पराविधिक स्वयं सेवक श्रीमती कंचन सिंह द्वारा वीमेन हाइजीन एवं सेनेटरी नैपकिन के बावत जानकारी देते हुये यह बताया गया कि आज के साक्षरता शिविर के विषय की महत्ता को देखते हुये जिला कारागार गोण्डा की महिला बैरक में इस शिविर का आयोजन किया गया हैै। जिला कारागार गोण्डा की महिला बैरक में निरूद्ध महिला बन्दी को अपने स्वास्थ्य एवं साफ-सफाई पर अत्यधिक ध्यान देना चाहिये तथा किशोर अवस्था में किशोरियों के शरीर में हार्मोनिक बदलाव होता है, जिसकी जानकारी उनको नही होती है और वह सामाजिक मान मर्यादा के तहत उक्त को अपनी माता के अलावा किसी अन्य को नही बतलाती हैं, माता को स्वयं में जो भी जानकारी होती है, वही वह अपनी बेटियों को बताती हैं, जिसके परिणाम स्वरूप आगे चलकर किशोरियों को विभिन्न स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं का सामना करना पडता है। बढ़ती उम्र की किशोरियों के शरीर में हार्मोनिक बदलाव होता है, जिसके कारण उनमें 13 वर्ष से लेकर लगभग 45 वर्ष तक मासिक धर्म होता रहता है, इसी के लिये सेनेटरी नैपकिन का इजात किया गया है। तथा प्रत्येक महिला बन्दियों को मासिक धर्म के दौरान सेनेटरी नैपकिन का प्रयोग अवश्य करना चाहिये।

महिला बन्दियों को मासिक धर्म के दौरान साबुन/डिटाल इत्यादि का प्रयोग नही करना चाहिये। साफ-सफाई केवल सादे पानी से ही करनी चाहिये। इसके अतिरिक्त प्रत्येक महिला बन्दियों को रात में सोने से पहले सेनेटरी नैपकिन को बदल देना चाहिये। इस पर उक्त शिविर में उपस्थित हेड वार्डेन निशा वर्मा द्वारा पराविधिक स्वयं सेवक श्रीमती कंचन सिंह को अवगत कराया गया कि 48 वर्ष तक की प्रत्येक महिला बन्दी को 10 सेनेटरी नैपकिन का 01 पैकेट दिया जाता है। महिला बैरक की प्रभारी रंजना शुक्ला द्वारा यह भी अवगत कराया गया कि समय समय पर उनके द्वारा एवं अन्य महिला बन्दी रक्षक द्वारा महिला बन्दियों को साफ-सफाई के सम्बन्ध में समुचित जानकारी दी जाती है। सर्वाइकल कैंसर, वीेमेन हाइजीन, एवं सेन्टरी नैपकिन पर आयोजित इस जागरूकता कार्यक्रम में जिला कारागार गोण्डा के डा0 श्री अखण्ड प्रताप सिंह एवं जिला अस्पताल की स्टाफ नर्स कमला मिश्रा तथा ए0डी0आर0 के कनिष्ठ लिपिक श्री कन्हैया लाल तिवारी एवं पराविधिक स्वयं सेवक रहमत अली उपस्थित रहे।