किसानों की समस्याओं का गुणवत्तापूर्ण ढंग से किया जाए निस्तारण- मुख्य विकास अधिकारी

बदलता स्वरूप श्रावस्ती। मुख्य विकास अधिकारी अनुभव सिंह की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में ’’किसान दिवस’’ का आयोजन किया गया। इस दौरान मुख्य विकास अधिकारी ने किसानों की समस्याओं को सुनकर उनका निराकरण करने हेतु सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देशित किया। उन्होने कहा कि किसानों की समस्याओं का गुणवत्तापूर्ण ढंग से निस्तारण सुनिश्चित किया जाए, जिससे उन्हें बार-बार कार्यालय का चक्कर न लगाना पड़े। इसके अलावा बैठक में मिलेट्स (श्री अन्न) के उत्पादन, बीज वितरण, उर्वरक व अन्य कृषि निवेशों की उपलब्धता एवं गुणवत्ता नियंत्रण की प्रगति की समीक्षा की गई। इस दौरान मुख्य विकास अधिकारी ने किसानों को तोरिया के बीज के निःशुल्क मिनीकिट का भी वितरण किया। इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी ने कहा कि जनपद में श्री अन्न (मिलेट्स) के उत्पादन की अपार संभावनाएं है। कृषक बन्धु श्री अन्न जैसे-ज्वार, बाजरा, सावां, कोदो, काकून, रागी, कुट्टू, कुटकी, चेना, चौलाई आदि उत्पादन कर जनपद को कृषि क्षेत्र में नये आयाम प्राप्त कराने में अपनी अहम भूमिका निभा सकते है। उन्होने कहा कि जनपद में दुग्ध उत्पादन एवं विपणन के लिए अपार संभावनाएं है। जनपद में उच्च गुणवत्ता का दुग्ध उत्पादन पर्याप्त मात्रा में होता है, किन्तु विपणन सही ढंग से न होने के कारण उसका उचित मूल्य प्राप्त नही कर पाते है। कृषक भाई खेती के साथ-साथ पशुपालन एवं दुग्ध व्यवसाय कर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकते है। 

बैठक में उपनिदेशक कृषि कमल कटियार ने खरीफ मौसम के वर्तमान में क्रियाकलापों पर चर्चा करते हुए बताया कि जनपद में तिलहनी फसलों के बीज जनपद में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। किसान भाई राजकीय कृषि बीज भण्डार से खरीदकर इनकी बुआई कर सकते है। उन्होने बताया कि इस वर्ष कोअन्तर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। जनपद में श्री अन्न की खेती के लिये एक विस्तृत प्लान तैयार किया गया है और चरणबद्ध ढंग से कृषकों की हैंड होल्डिंग करते हुए उन्हें ग्राम पंचायत स्तर पर गोष्ठी, रोड शो, कार्यशाला, पाठशाला आदि के माध्यम से प्रोत्साहित किया जायेगा। इसके अतिरिक्त किसान भाई उद्यान विभाग के पोर्टल पर पंजीकरण कराकर विभिन्न सब्जियों एवं मसालों के बीज के मिनीकिट बुआई हेतु प्राप्त कर सकते है। इसके अतिरिक्त किसान दिवस में कृषि निवेशों एवं फसलों के लिए आवश्यक उर्वरकों की आपूर्ति, मत्स्य पालन, दुग्ध व्यवसाय एवं उत्पादन की प्रगति, नहरों के संचालन की स्थिति, बोरिंग, चेकडैम एवं आकस्मिक सिंचाई योजना, पशुओं को चारे के उत्पादन एवं पानी आदि की उपलब्धता तथा नलकूप के संचालन की स्थिति आदि के बारे में विस्तार से चर्चा की गई। इसी अवसर पर फसल अवशेष प्रबंधन के सम्बंध में एक गोष्ठी का भी आयोजन किया गया।

उप कृषि निदेशक ने बताया कि सरकार के निर्देशों के क्रम में विगत वर्षों में जो जागरूकता कार्यक्रम संचालित हुए हैं उसके फलस्वरूप किसान पराली जलाने के दुष्प्रभावों को समझ चुके हैं और पराली का उपयोग खाद बनाने में कर रहे हैं। गत वर्ष जनपद के किसानों ने पराली दो खाद लो के अंतर्गत 242 मीट्रिक टन पराली गौशालाओं को दान स्वरूप दी है और बदले में खाद ली है। योजनांतर्गत उपलब्ध कराए गए कृषि यंत्रों की मदद से किसान भाई जुताई बुआई के कार्य को बड़ी आसानी से कर पा रहे हैं। उन्होंने बताया कि शासन के निर्देशानुसार कंबाइन हार्वेस्टर में भूसा बनाने का यंत्र एस एम एस लगाना अनिवार्य है, उसके नीना कंबाइन से कटाई कदापि न करें। उन्होंने यह भी बताया कि जनपद में शीघ्र ही बायो डिकॉम्पोज़र आएंगे जिन्हें कृषकों को वितरित किया जाएगा, जिसकी मदद से फसल अवशेषों को आसानी से खाद में बदला जा सकता है।

इस अवसर पर मुख्य पशुचिकित्साधिकारी डा0 मानव, जिला कृषि अधिकारी अनिल प्रसाद मिश्र, सहायक निदेशक मत्स्य सुरेश कुमार, अधिशासी अभियंता सरयू नहर खण्ड-6 अजय कुमार, अपर जिला कृषि अधिकारी अश्वनी यादव, अध्यक्ष कृषि विज्ञान केन्द्र डा0 विनय कुमार सिंह, कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक डा0 रोहित कुमार पाण्डेय सहित अन्य अधिकारीगण एवं किसान बन्धु उपस्थित रहे।