बदलता स्वरूप गोंडा। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव नितिन श्रीवास्तव अपर जिला जज के निर्देशों के क्रम में तहसील सदर सभागार में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। सचिव के निर्देश पर प्रभारी तहसीलदार सदर नेहा राजवंशी की उपस्थिति में ए0डी0आर0 की प्रक्रियाऐं, लोक अदालत एवं मध्यस्थता के लाभ, शिक्षा का अधिकार, श्रमिकों के कल्याणकारी योजना एवं मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना विषय पर उक्त शिविर का आयोजन किया गया। शिविर की अध्यक्षता कर रहीं प्रभारी तहसीलदार सदर नेहा राजवंशी द्वारा उपस्थित लोगों को मध्यस्थता व लोक अदालत के लाभ के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए बताया गया कि इस प्रक्रिया में विवाद का अविलम्ब व शीघ्र समाधान हो जाता है, इससे समय व खर्चो की बचत होती है। न्यायालय प्रक्रिया से राहत मिलती है, यह अत्यधिक सरल एवं निष्पक्ष प्रक्रिया होती है, इस प्रक्रिया में विवाद का हमेशा के लिए प्रभावी एवं सर्वमय समाधान होता है। इस प्रक्रिया से सामाजिक सद्भाव कायम रखने में सहायक तथा मध्यस्थ वाले मामले में कोई अपील या कोई संषोधन नही होता है, विवाद का अन्तिम रूप से निपटारा हो जाता है तथा मध्यस्थता में विवाद निपटाने पर वादी कोर्ट फीस लेने का हकदार होता है। इसी के साथ उनके द्वारा केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा संचालित योजना यथा कन्या सुमंगला योजना, मिशन शक्ति, पुलिस सहायता हेल्पलाइन 1090 के अतिरिक्त यह भी बताया गया कि तहसील स्तर पर राजस्व मामलों के त्वरित निस्तारण, दुघर्टना बीमा योजना, फसल बीमा योजना, अग्नि पीड़ितों को सहायता राषि प्रदान करने के सम्बन्ध में घटना के घटित होने पर क्लेम प्रस्तुत करना जरूरी है। वर्तमान में सभी योजनाये कम्प्यूटरीकृत हो गयी हैं, इस कारण अब सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटने से राहत मिल गया है और समस्त जांच आनलाइन कम्प्यूटर के माध्यम से करके सभी योजनाओं का त्वरित लाभ दिया जाने लगा है।
इसके अतिरिक्त षिक्षा के अधिकार के बावत जानकारी देते हुये बताया गया कि 06 से 14 वर्ष के आयु के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा का मौलिक अधिकार प्राप्त है। निःशुल्क व अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के अनुसार 6 से 14 वर्ष के आयु के प्रत्येक बच्चे को निःशुल्क शिक्षा प्रदान किया जाना अनिवार्य है तथा अव्यस्क बालक को शिक्षा स्वास्थ्य, समानता, निजता, अभिव्यक्ति व दैहिक स्वतंत्रता इत्यादि का मौलिक अधिकार भी प्राप्त है। वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान पीड़ित ऐसे बच्चे, जिन्होंने इस महामारी में अपने माता-पिता अथवां अभिभावक खो दिये हैं और उनकी देख-रेख एवं पालन-पोषण करने वाला कोई नही है, उन बच्चों के पालन-पोषण एवं शिक्षा-दीक्षा हेतु उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना चलायी जा रही है। इस अवसर पर तहसील के लेखपाल व अन्य कर्मचारीगण के साथ जन समूह उपस्थित रहे।