सरवाइकल कैंसर, नशीली दवाओं, धूू्म्रपान और शराब से मुक्ति हेतु लगाई गई शिविर

बदलता स्वरूप गोंडा। जिला जज ब्रजेन्द्र मणि त्रिपाठी के निर्देशानुसार तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गोण्डा के सचिव नितिन श्रीवास्तव, अपर जिला जज की अध्यक्षता में तथा अपर मुख्य चिकित्साधिकारी जय गोविन्द एवं मनोचिकित्सक डा0 नूपुर पाल की उपस्थिति में आज जिला अस्पताल गोण्डा के सभागार में सरवाइकल कैंसर और नशीली दवाओं, धूू्म्रपान और शराब के उन्मूलन के लिये संवेदनशीलता विषय पर शिविर का आयोजन किया गया। जागरूकता कार्यक्रम में परिवार न्यायालय गोण्डा की सचिव द्वारा सरवाइकल कैंसर पर जानकारी देते हुए बताया गया कि सरवाइकल कैंसर गर्भाशय की ग्रीवा का कैंसर है। भारत में सरवाइकल कैंसर, स्तन कैंसर के बाद महिलाओं में दूसरा सबसे आम कैंसर है। यह लगभग 30 वर्ष से 50 वर्ष के मध्य तक होने की सम्भावना होती है। यह इलाज योग्य है, लेकिन अधिकांश व्यक्ति इसके बारे में अनजान हैं। इसी अनजानेपन को दूर करने हेतु आज जिला अस्पताल गोण्डा में सरवाइकल कैंसर के सम्बन्ध में एक जागरूकता षिविर का आयोजन किया जा रहा है। सरवाइकल कैंसर क्या होता है एवं इसके बचाव हेतु क्या किया जा सकता है। इसकी विस्तृत जानकारी जिला अस्पताल की अपर मुख्य चिकित्साधिकारी श्री जयगोविन्द एवं मनोचिकित्सक डा0 नूपुर पाल द्वारा दी जायेगी।

अपर मुख्य चिकित्साधिकारी जयगोविन्द एवं मनोचिकित्सक डा0 नूपुर पाल द्वारा जानकारी देते हुए बताया गया कि गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर (सर्वाइकल कैंसर) तब होता है जब कोशिकाएं गर्भाशय ग्रीवा (प्रवेश द्वार) के स्तर में असामान्य रूप से विकसित होती हैं जो निचले गर्भाशय की गर्दन या संकीर्ण हिस्सा में होता है। यह एक वायरस जनित रोग है। यह ह्यूमन पपिल्लोमाविरु नामक वायरस या एच-पी-वी से फैलता है। सरवाइकल कैंसर के शुरुआती चरण में कोई लक्षण नहीं दिखते हैं, जिस पर किसी का ध्यान नहीं जाता है। हालांकि, गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के लक्षणों की पहचान में अनियमित एवं अत्यधिक रक्त स्राव, पेशाब के दौरान दर्द, मासिक धर्म चक्र, रजोनिवृत्ति के बाद और पैल्विक परीक्षा के बीच होने वाली रक्तस्राव, अस्पष्टीकृत दर्द, भारी असामान्य पानी का निर्वहन, जो गंदा महक, जैसा हो सकता है। सर्वाइकल कैंसर आज लाइलाज नही है। सर्वाइकल कैंसर के बचाव हेतु 09 से 14 वर्ष अवस्था की बालिकाओं का वैक्सीनेशन किया जाता है तथा इससे अधिक उम्र की महिलाओं की स्क्रीनिंग कर इसका पता लगाया जाता है इसमें 60 वर्ष तक की महिलाओं भी स्क्रीनिंग की जा सकती है। स्क्रीनिंग से ही इसका प्राथमिक स्तर पर पता चल जाता है। इस कैंसर को पूरी तरह विकसित होने में 12 वर्ष तक का समय लगता है। स्क्रीनिंग के पश्चात यदि किसी महिला में इसके लक्षण दिखाई पडते हैं तो इसको बढने से या कैंसर में बदलने से आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं द्वारा रोका जा सकता है, इसके लिये महिलाओं के मध्य अत्यधिक प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है। इसी के साथ अपर मुख्य चिकित्साधिकारी श्री जय गोविन्द द्वारा ड्रग्स, धू्रमपान एवं शराब पीने पर जानकारी देते हुये बताया गया कि धू्रमपान करने वालों को फेफड़ों का कैंसर तथा मदिरापान करने वालों को लीवर सिरोसिस नामक बीमारी होती है, जिसमें इन लोगों की जान तक चली जाती है,। खैनी खाने वालों को भी मुंह के कैंसर की बीमारी हो सकती है। इस कारण आमजन यह जानते हुये कि ध्रूमपान एवं मदिरापान से मृत्यु हो सकती है, आम लोगों को इसके सेवन से दूर रहना चाहिये।

गांवों में महिलाओं द्वारा गुल नामक मंजन का अत्यधिक प्रयोग किया जाता है, जिसमें तम्बाकू पाया जाता है, जिसके कारण इन महिलाओं को गुल मंजन करने की लत पड़ जाती है और धीरे-धीरे इन महिलाओं में भी कैंसर नामक बीमारी की सम्भावना बढ़ जाती हंै। इस प्रकार आमजन को नशीले पदार्थ यथा सिगरेट, खैनी, गुटका, शराब इत्यादि के सेवन से बचना चाहिये। आज की शिविर की महत्ता को देखते हुये आप सब आशा बहुओं को बुलाया गया है क्योकि आप लोग ग्रामीण अंचलों में रहने वाली महिलाओं के सम्पर्क में रहती हैं तथा ग्रामीण अंचल की महिलायें ही अपने पति एवं बच्चों को उपरोक्त नषीले पदार्थ का सेवन न करने के लिये प्रेरित कर सकती हैं। इस शिविर में तहसील सदर में कार्यरत लगभग 40 आषा बहुयें एवं ए0एन0एम0 ने भाग लिया । इस अवसर पर ए0डी0आर0 सेन्टर के कनिष्ठ लिपिक कन्हैया लाल तिवारी एवं अंकित वर्मा उपस्थित रहे।