बदलता स्वरूप गोण्डा। किसी भी राष्ट्र की सांस्कृतिक – संपदा व शाश्वत विचारों को संरक्षित रखने में साहित्य की प्रमुख भूमिका है। साहित्य नैतिक मूल्यों को संरक्षित रखने के साथ समाज के सांस्कृतिक विकास में नई दिशा प्रदान करता है। संपूर्णानंद स्मारक टाउन हॉल में शनिवार की देर सायं आयोजित पुस्तक विमोचन व कवि सम्मेलन में उक्त विचार प्रतिष्ठित साहित्यकार डॉ अनिल मिश्र ने व्यक्त किए। बाल कथा साहित्य पर आधारित डा. उमा सिंह की ‘मेरे भी पंख हैं’ के विमोचन में शामिल साहित्य भूषण से सम्मानित साहित्यकार द्वय कमलेश मृदु व शिवाकांत मिश्र ‘विद्रोही’, शास्त्री महाविद्यालय के शोध-निदेशक डॉ. शैलेंद्र मिश्र, खरगूपुर नगर पंचायत के अध्यक्ष राजीव रस्तोगी व प्रगतिशील लेखक सूर्य प्रकाश मिश्र, आर जे शुक्ल यदुराय ने लेखिका को शुभकामनाएं देते हुए आशा व्यक्त किया कि यह पुस्तक बच्चों व छात्रों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। इस मौके पर लेखिका डॉ. उमा सिंह ने उपस्थित साहित्यकारों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी कविता कहानी व उपन्यास पर बीस पुस्तकें प्रकाशन के बाद ‘मेरे भी पंख है’ मूल रुप से बाल कथा साहित्य है। जिसमें पर्यावरण संरक्षण के साथ बच्चों में नैतिक मूल्यों पर आधारित शिक्षाप्रद कथाएं हैं।
इसके पूर्व दीप प्रज्वलन के साथ आयोजित कवि सम्मेलन में वाणी वंदना कवयित्री सोनी मिश्रा ने ‘मां शारदे-शारदे, ज्ञान का सार दे, तान झंकार दे’ से किया। कवयित्री नीता सिंह, किरण सिंह, व अनामिका ज्योत्सना ने अपनी श्रृंगार परक रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया तो राष्ट्रीय स्तर के व्यंग्यकार श्यामल मजूमदार ने ‘जूता’ शीर्षक कविता से लोकतंत्र में व्याप्त विसंगतियों पर करारा प्रहार किया। साहित्य – भूषण शिवाकांत मिश्र ‘विद्रोही’ ने ओज एवं कमलेश मृदु डॉ. अनिल मिश्र, प्रदीप बहराइची ने अपनी विचार प्रधान रचनाओं से कवि सम्मेलन को नई ऊंचाइयां दी। इस अवसर पर समाज सेवा एवं रचनाधर्मिता के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाने वाले समाजसेवकों को स्मृति चिन्ह व प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।