जिगना पंचमुखी शिवाला पर महाराजा देवी बक्स सिंह के पिंडदान और श्राद्ध के कार्यक्रम का हुआ भव्य आयोजन

बदलता स्वरूप गोण्डा। बृजेश सिंह ( विशेष संवाददाता )

गोंडा नरेश देवी बख्श सिंह का पूरा जीवन देश की आजादी के लिए संघर्ष में बीता। अंग्रेज हुकूमत की ओर से समर्पण के प्रस्ताव को उन्होंने ठुकरा दिया।
उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ कई लड़ाइयां लड़ीं, जिनमें जरवा, सीतापुर व लमती की लड़ाई प्रमुख है।
1856 में उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ क्रांतिकारी तेवर अपना लिए थे। 1857 में आजादी की पहली क्रांति में महाराजा के एक सिपहसालार ने अंग्रेज कलेक्टर का

सिर काट लिया था। देश के गद्दारों के कारण पराजय अवश्यंभावी देख राजा नेपाल के दांग देवखुर चले गये, जहां बाद में उनकी मृत्यु हो गयी।

आज क्षत्रिय युवा वाहिनी ने जिगना पंचमुखी शिवाला पर महाराजा देवी बक्स सिंह के पिंडदान और श्राद्ध के कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया ll

पिंडदान के क्रम मे महाराजा देवी बक्स सिंह के साथ उनके 13 पूर्वर्ती पूर्वजो का भी पिंडदान सनातन धर्म से अनुसार विधि विधान से किया गया ll
कर्यक्रम का प्रारम्भ महाराजा देवी बक्स के जन्म स्थान जिगना मे स्थिति उनके घर के आँगन की मिट्टी को क्षत्रिय युवा वाहिनी के राष्ट्रीय संयोजक अमित सिंह जी के द्वारा सभी के साथ ले जाकर शिवाला पर पुरोहितो के निर्देशों के अनुसार पिंडदान की पूजा सम्पन्न की गई ll पिंडदान मे महाराजा देवी बक्स सिंह के साथ उनके 13 और पीढ़ियों का पिंडदान भी किया गया जो निम्न हैँ
महाराजा देबी बक्स सिंह
दलजीत सिंह
दुनिया पति सिंह
पहलवान सिंह
उद्योत सिंह
दत्त सिंह
राम सिंह
अमर सिंह
निर्वहन सिंह
लक्ष्मण सिंह
मान सिंह
कुसुम मल्ल
शाह मल्ल
प्रताप मल्ल
ज्ञात रहे की 1390 के आस पास मझौली देवरिया से राज घराने से राजकुमार प्रताप मल्ल ही गोण्डा आये थे ll
पिंडदान के पश्चात निमंत्रित बहुत से ब्राह्मण को भोजन कराया गया उसके बाद उनको दक्षिण आदि दे कर बिदा किया गया ll
उसके बाद आये हुए अभी अतिथियों ने और संगठन ने भोजन किया ll


संगठन के वित्त सचिव अंकु सिंह, अध्यक्ष लखेश्वरी सिंह, सचिव- संजय सिंह होल्लापुर, पूर्व अध्यक्ष जंगली सिंह, सचिव लवकुश सिंह, सचिव अतुल सिंह, बंटी सिंह, प्रवीण सिंह, अजय सिंह, बब्बू सिंह विसेन, माधवराज सिंह सहित तमाम आस पास के लोग उपस्थित थे ll
संगठन के राष्ट्रीय संयोजक श्री अमित सिंह जी ने कहा की ये पाँचवा कार्यक्रम था और ये मेरे जीवन पर्यन्त चलता रहेगा ll
आप पास के गावों से आये हुए लोगो मे बहुत हर्ष था वे से कार्य क्रम का पुरे साल इंतजार करते हैँ जिससे 166 सालो के बाद भी महाराजा देवी बक्स सिंह की लोकप्रियता का पता चलता हैँ ll