अयोध्या। राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण की सदियों पुरानी साध पूरी करने के लिए ब्रह्मर्षि डॉ रामविलास दास वेदांती ने डेढ़ दशक से अधिक समय तक राम नगरी में श्रीराम को साक्षी मानकर बजरंगबली को वाल्मीकि रामायण पर केंद्रित राम कथा सुनाई। इस अवधि में डॉ वेदांती ने बालकांड से लेकर किष्किंधा कांड तक की विस्तृत मीमांसा की। कोरोना संकट के चलते गत तीन सत्रों से चैत्र नवरात्र के अवसर पर आयोजित होने वाला उनका महनीय अनुष्ठान बाधित था, किंतु आज न केवल कोरोना संकट से मुक्ति मिल गई है बल्कि जिस स्वप्न के लिए डॉ वेदांती रामकथा की भावधारा प्रवाहित कर रहे थे, वह भी साकार हो रहा है ।
इस स्वर्णिम सुयोग के बीच डॉ वेदांती रामकथा के सर्वाधिक रमणीय प्रसंग के रूप में विवेचित सुंदरकांड को विषय बना कर रामकथा की रस वर्षा करेंगे । उनके नौ दिवसीय प्रवचन का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानी बुधवार से हो रहा है । नया घाट स्थित हिंदू धाम के प्रांगण में 30 मार्च तक प्रस्तावित प्रवचन का समय शाम 5:00 बजे से रात्रि 8:00 बजे तक संयोजित है। डॉ वेदांती के शिष्य एवं उत्तराधिकारी डॉक्टर राघवेशदास के अनुसार यह अवसर श्री राघवेंद्र सरकार से पुकार करने का ही नहीं है, बल्कि उनके प्रति कृतज्ञता का महोत्सव मनाने का है और आज श्री राम की ही कृपा से मंदिर निर्माण के रूप में असंभव संभव हो रहा है। यद्यपि राम मंदिर के लिए चले व्यापक आंदोलन में डॉ रामविलास दास वेदांती की अग्रणी भूमिका रही है।
राम जन्मभूमि न्यास के कार्यकारी अध्यक्ष से लेकर दो दो बार लोकसभा सदस्य के रूप में उन्होंने राम मंदिर का मुद्दा सड़क से लेकर संसद तक स्थापित किया और आज मंदिर निर्माण के दौर में उनकी कृतज्ञता रामकथा के रूप में अर्पित होते देखना रोचक होगा।
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