हिंदू राष्ट्र की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे परमहंस आचार्य

बदलता स्वरूप अयोध्या। हिंदू राष्ट्र की मांग काे लेकर विश्व हिंदू सिक्ख महापरिषद के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष व तपस्वी छावनी पीठाधीश्वर जगतगुरु परमहंस आचार्य ने मंगलवार से आमरण-अनशन शुरू कर दिया है। वह अपने आश्रम पर भाेर में 4 बजे से ही अन्नजल का परित्याग कर अनशन पर बैठ गए हैं। उन्होंने खुद काे आश्रम के एक कमरे में कैद कर लिया है। साथ ही जिला प्रशासन पर जबरन आमरण-अनशन ताेड़वाने की साजिश का आराेप लगाया है। आमरण-अनशन से जगतगुरु परमहंसाचार्य एक बार फिर से सुर्खियों में छा गए। उन्होंने मीडिया से मुखातिब हाेते हुए कहा कि भारत काे हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए वह एक लंबे समय से संवैधानिक लड़ाई लड़ रहे हैं। इसके लिए उन्होंने पूरे देश में घूम-घूमकर हिंदू राष्ट्र की अलख जगाई। हिंदू राष्ट्र की मुहिम से भारत के कई हिंदूवादी संगठनों काे भी जाेड़ा। उनकी मांग थी कि 6 नवंबर 2023 तक भारत काे हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाए। नही ताे 7 नवंबर से अन्नजल का परित्याग कर वह आमरण-अनशन पर बैठ जायेंगे।इसके लिए वह कई बार देश की राष्ट्रपति द्राेपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काे पत्र लिख चुके हैं। लेकिन उनकी मांग नही मानी गई, जिसके कारण उन्हें भारत काे संवैधानिक रूप से हिंदू राष्ट्र घाेषित हेतु अन्नजल का परित्याग कर आमरण-अनशन पर बैठना पड़ा है। राममंदिर के लिए उन्होंने 16 दिनाें तक आमरण-अनशन किया था। जाे श्रीरामजन्मभूमि के फैसले में निर्णायक साबित हुआ। हिंदू राष्ट्र की मांग काे लेकर उन्हाेंने सबसे पहले देश में आवाज उठाई और आमरण-अनशन किया। आज हिंदू राष्ट्र की मांग पूरे देश की आवाज बन चुका है।

जगतगुरु ने कहा कि हिंदू राष्ट्र साै कराेड़ हिंदुओं की मांग है। जब देश का बंटवारा धर्म के आधार पर हुआ। मुसलमानों काे पाकिस्तान और बांग्लादेश दिया गया। जाे मुस्लिम राष्ट्र बन चुका है। बंटवारे से शेष जाे भाग भारत बचा हुआ है। उसकाे जल्द से जल्द हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाए। भारतीय संस्कृति, सनातन धर्म व मानवता काे बचाने के लिए भारत संवैधानिक रूप से हिंदू राष्ट्र बने। देश में लगातार लव जेहाद की घटनाएं बढ़ रही हैं। बड़े-बड़े संवैधानिक पदाें पर बैठे लाेग सनातन धर्म काे मिटाने की चुनाैती दे रहे हैं। भारतीय संस्कृति, सनातन धर्म और मानवता काे बचाने के लिए भारत हिंदू राष्ट्र घोषित हाे। इसके लिए हमारी मांग मान ली जाए। नही ताे मेरा शरीर छूट जाए काेई बात नही। एक परमहंस जायेंगे, तो न जानें कितने हजारों-लाखाें परमहंस आयेंगे। परमहंसाचार्य के समर्थन में ओजस्वी फाउंडेशन महाराष्ट्र के एकनाथ महाराज, श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्तिदल राष्ट्रीय प्रमुख राजेशमणि त्रिपाठी समेत सैंकड़ों आमरण-अनशन स्थल पर माैजूद रहे।