बदलता स्वरूप बलरामपुर। शुक्रवार को स्वदेशी जागरण मंच कार्यलय में ऋषि पुरुष दतोपन्त ठेंगडी का जन्मदिन समारोह का आयोजन स्वदेशीजागरण मंच के प्रान्त सह संयोजक वंशीधर मिश्र व स्वावलंबी भारत अभियान के जिला समन्वयक डॉo राजीव रंजन के द्वारा किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एम एल के पी जी कालेज के प्राचार्य डॉo जनार्दन प्रसाद पाण्डेय एवं विशिष्ट अतिथि स्वदेशी जागरण मंच के प्रान्त संघर्ष प्रमुख डॉo राकेश चन्द्रा रहे। कार्यक्रम में प्रोफेसर के के सिंह, स्वदेशी जागरण मंच के जिला सह संयोजक मंगल बाबू, जिला कोषाध्यक्ष रघुनाथ प्रसाद शुक्ला वनवासी कल्याण आश्रम के विभाग संगठन मंत्री सचिन एवं अनेक छात्र, छात्राएं व सम्भ्रान्त नागरिक उपस्थित रहे। ठेंगड़ी के चित्र पर प्राचार्य एवं उपस्थित लोगों द्वारा माल्यार्पण व पुष्प अर्पित करके धूप दीप व रोली लगाया गया। रघुनाथ प्रसाद शुक्ला द्वारा मंगलाचरण किया गया। वंशीधर द्वारा ठेंगड़ी के जीवन परिचय में बताया गया कि आपका जन्म महाराष्ट्र के वर्धा जिले मेंआज के दिन 1920 में हुआ था। बालकाल्य से ही 12 वर्ष की उम्र से ही स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ गए और आप लोकल बानर सेना के अध्यक्ष बना दिये गए। आपके पिता माने जाने वकील थे जो आपको वकील बनाना चाहते थे,परन्तु ठेंगडी को भारत माता को आजाद कराने की धुन लगी थी।सन 1934 में आपकी भेंट पूज्यनीय डाक्टर केशव राव बलिराम हेडगेवार प्रथम सर संघ चालक से हुई जिनके विचारों का इनके ऊपर गहरा प्रभाव पड़ा। कुछ समय पश्चात आप वकालत की पढ़ाई के लिए नागपुर आ गए और यहीं पर आपकी भेंट द्वितीय सर संघ चालक गुरु गोलवलकर से हुई और उनके विचारों से प्रभावित होकर आप 1941 मे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए। संघ में आप केरल व बंगाल में प्रचारक का कार्य किया।
गुरूजी के निर्देश पर आप कांग्रेस के ट्रेडयूनियन इंटक से जुड़कर ट्रेड यूनियन का काम सीखाऔर चाइना जाकर भी ट्रेडयूनियन के विषय मे अध्ययन किया और काम देखा ततपश्चात भारत आकर भारतीय मजदूर संघ का गठन किया जो मजदूरों का विश्व मे सबसे बड़ा संग़ठन बना। आपने भारतीय किसान संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, ग्राहक पंचायत, सामाजिक समरसता मंच, सहकार भारती, अधिवक्ता परिषद, स्वदेशी जागरण मंच समेत आठ संग़ठन खड़ा किया और चार संग़ठन के निर्माण में महती भूमिका निभाई। आप दो बार राज्यसभा के सांसद रहे। 1977 में मोरारजी भाई की सरकार में आपको श्रममंत्री बनाये जाने का प्रस्ताव मिला परन्तु आप अनासक्त कर्मयोगी बने रहे और आपने विनम्रता पूर्वक मना कर दिया। 2003 में आपको पदम् भूषण सम्मान के लिए चुना गया परन्तु आपने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर कहा कि जब तक डॉक्टर हेडगेवार साहब और गुरुजी को भारत रत्न नहीं मिलता है तबतक मैं कोई सम्मान नहीं लूँगा। डॉक्टर जनार्दन पांडेय प्राचार्य द्वारा विस्तार पूर्वक ठेंगडी के जीवन वृत्तांत पर व्याख्यान दिया गया। डॉक्टर राकेश चन्द्रा द्वारा कहा गया कि ठेंगडी के जीवन दर्शन से हम लोगों को प्रेरणा लेना चाहिए। डॉक्टर राजीव रंजन द्वारा अतिथियों एवं उपस्थित सभी लोगों के प्रति आभार व्यक्त करके मिष्ठान वितरण कर कार्यक्रम का समापन किया गया।
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