बदलता स्वरूप गोंडा। गुरु नानक ने अपनी यात्राओं के दौरान कई जगह डेरा जमाया। उन्होंने जगह जगह समाजिक कुरीतियों और रूढ़िवादी सोच का विरोध किया। बचपन से ही नानक देव विशेष शक्तियों के धनी थेः उक्त विचार कटरा कुटी धाम में सिख सम्मान समारोह के आयोजन में भाजपा जिला कार्य समिति सदस्य घनश्याम जायसवाल ने अपने विचार व्यक्त किया। घनश्याम जायसवाल में अपने संबोधन में कहा कि गुरु नानक देव सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले गुरु थे। नानक जी ने हिंदू परिवार में जन्म लिया था। समाज में फैले कुर्तियां को दूर करके नाना साहब को सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सकती हैं। कटरा कुटी धाम के संत स्वामी चिर्मयानंद महाराज ने सभी सिख समाज से पधारे हुए लोगों को अंग वस्त्र देकर उनका स्वागत किया तथा सामाजिक क्षेत्र में अच्छा योगदान करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता पूर्व सैनिक को अंग वस्त्र भेंट कर स्वागत किया। मुख्य अतिथि देवेंद्र सिंह सचदेवा प्रधान गुरुद्वारा अर्जुन देव सिंह सभा समिति नवाबगंज साहब श्री गुरु नानक देव महाराज के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नानक साहब अपनी बहन नानकी से काफी कुछ सीखने को मिला। 16 वर्ष की ही आयु में ही इनकी शादी सुलक्खनी से हो गई। सुलक्खनी पंजाब के (भारत) गुरदासपुर जिले के लाखौकी की रहने वाली थीं। इनके दो पुत्र श्रीचंद और लख्मी चंद थे। विशिष्ट अतिथि पंकज पांडे एसपी सुरक्षा राम जन्मभूमि नानक साहब के जीवन में प्रकाश डालते हुए कहा कि सिख समाज हमेशा बलिदान देकर धर्म की रक्षा की है। अंजनी तिवारी को अयोध्या ने जगतगुरु नानक देव जी महाराज की जयंती की उपलक्ष पर सिख समाज सम्मान समारोह पर बोलते हुए कहा कि जब सृष्टि पर अत्याचारों व घोर पापों का बोलबाला हुआ तो मानवता की रक्षा के लिए कलयुग के अवतार गुरु नानक देव जी ने 1419 ई को संसार में आगमन हुआ। इन दोनों बच्चों के जन्म कुछ समय बाद ही नानक जी तीर्थयात्रा पर निकल गए। उन्होंने काफी लंबी यात्राएं की। इस यात्रा में उनके साथ मरदाना, लहना, बाला और रामदास भी गए। 1521 तक उन्होंने यात्राएं की।
इस यात्रा के दौरान वे सबको उपदेश देते और सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जागरुक करते थे। उन्होंने भारत, अफगानिस्तान और अरब के कई स्थानों का भ्रमण किया। इन यात्राओं को पंजाबी में “उदासियाँ” कहा जाता है। जोगिंदर सिंह करनैलगंज अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि नानक साहब जीवन का आखिरी समय पाकिस्तान के करतारपुर में बिताया। करतापुर सिखों का पवित्र धार्मिक स्थल है। 22 सितंबर, 1539 को गुरु नानक जी की मृत्यु हो गई, लेकिन उन्होंने अपने पीछे सिख धर्म के अनुयायियों के लिए अपने जीवन के तीन मूल सिद्धांत नाम जपो, कीरत करो और वंडा चखो बता गए। करतारपुर में गुरु नानक देव जी की दिव्य ज्योति जोत में समा गई। उन्होंने अपनी मृत्यु से पहले अपने शिष्य भाई लहना को उत्तराधिकारी बनाया, जो आगे चलकर गुरु अंगद देव कहालाए। वे सिखों के दूसरे रा गुरु माने जाते हैं। सम्मान सभा में सूबेदार अलंकार मिश्रा गुरदीप सिंह चिंतामणि तिवारी प्रधान सूर्यनारायण केसरवानी नवाबगंज बिहारी लाल पांडे मोहाली प्रधान मोहित पांडे जी हरजीत सिंह सलूजा प्रधान करनैलगंज भूपेंद्र सिंह करनाल ब्रह्म प्रीत सिंह स्वर्णपाल सिंह मनकापुर अपने विचार व्यक्त किया।