शिविर आयोजित कर किया गया जागरूक

बदलता स्वरूप गोण्डा। उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ एवं जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गोण्डा प्रमोद कुमार श्रीवास्तव के निर्देशानुसार तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गोण्डा के सचिव नितिन श्रीवास्तव, अपर जिला जज/एफटीसी के निर्देश पर अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डाॅ0 जय गोविन्द की अध्यक्षता में आज जिला अस्पताल गोण्डा के सभागार में महिलाओं के सशक्तीकरण एंव स्वास्थ्य विषय पर विधिक जागरूकता/साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर की अध्यक्षता कर रहे अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डाॅ0 जय गोविन्द द्वारा शिविर में उपस्थित ए0एन0एम0 (आग्जिलरी नर्स मिडवाइफरी) को सम्बोधित करते हुये जानकारी दी कि आज के शिविर का विषय महिलाओं के सशक्तिकरण एवं संरक्षण, सर्वाइकल कैंसर, लिंग समानता, महिलाओं के लिये संचालित कल्याणकारी योजना, है। आप लोगों के समक्ष शिविर का आयोजन इसलिये किया जा रहा है क्योंकि आप लोग प्रतिदिन अपने-अपने क्षेत्र की किशोरियों/महिलाओं से मिलती-जुलती रहती हैं एवं उन्हें स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी तथा बच्चों के टीकाकरण के सम्बन्ध में आवश्यक जानकारी प्रदान करती हैं, जिसके परिणाम स्वरूप उक्त महिलायें एवं बालिकायें अपने ग्राम के निकट स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र अथवा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में जाकर स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं का निदान करती हैं। इसके अतिरिक्त अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डा0 जय गोविन्द द्वारा शिविर में उपस्थित ए0एन0एम0 को सर्वाइकल कैंसर की जानकारी देते हुये बताया गया कि सर्वाइकल कैंसर को गर्भाशय के मुंह का कैंसर कहते हैं। यह तब होता है, जब कोशिकाएं गर्भाशय ग्रीवा के प्रवेश द्वार में असामान्य रूप से विकसित होने लगती हैं। यह कोशिकायें गर्भाशय की गर्दन या संकीर्ण हिस्सा में होती है। यह कैंसर एक वायरस जनित रोग है। यह ह्यूमन पैपिलोमा वायरस अर्थात एच-पी-वी से फैलता है। सर्वाइकल कैंसर के बचाव हेतु 09 से 15 वर्ष अवस्था की बालिकाओं को डेढ हफ्ते के अन्तराल पर 02 वैक्सीन दी जाती है तथा 15 वर्ष से अधिक व 45 वर्ष तक की उम्र की महिलाओं को 02 माह एवं 06 माह के अन्तराल पर 03 वैक्सीन दी जाती है।

इसके अलावा महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के परीक्षण हेतु स्क्रीनिंग की जाती है। एक बार स्क्रीनिंग होने के पश्चात 03 वर्ष तक के लिये महिलायें इस कैंसर से सुरक्षित हो जाती है। महिलाओं में स्क्रीनिंग 20 वर्ष की उम्र से लेकर 60 वर्ष तक की जा सकती है। स्क्रीनिंग से ही इसका प्राथमिक स्तर पर पता चल जाता है। स्क्रीनिंग के पश्चात यदि किसी महिला में इसके लक्षण दिखाई पडते हैं तो इसको बढने से या कैंसर में बदलने से पूर्व आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के द्वारा रोका जा सकता है। इस कैंसर को पूरी तरह विकसित होने में 20 वर्ष तक का समय लगता है। यहां पर उपस्थित ए0एन0एम0 एवं आशा बहुओं को चाहिये कि वे अपने-अपने क्षेत्र की बालिकाओं एवं महिलाओं को वैक्सीन लगवाने एवं स्क्रीनिंग कराने के लिये प्रेरित करें। इस अवसर पर ए0डी0आर0 के कनिष्ठ लिपिक कन्हैया लाल तिवारी सहित जिला अस्पताल के अन्य कर्मचारीगण के साथ जनसमूह उपस्थित रहे।