संतो ने महंत रामशरण दास काे नमन कर याद किया

अयोध्या। संतों ने अचल पुर पखवाडा़ अमरावती महाराष्ट्र के साकेत वासी महंत रामशरण दास को नमन कर याद किया। जिनकी अवस्था 110 वर्ष की थी। कुछ दिन पहले उनका साकेतवास हाे गया था। रविवार को साकेतवासी महंत का तेरहवीं संस्कार रहा। वह गद्दीनशीन महंत प्रेमदास महाराज के चाचा गुरू थे। सिद्घपीठ हनुमानगढ़ी के इमली बगिया मेें गद्दीनशीन महंत प्रेमदास महाराज की अध्यक्षता में एक श्रद्धांजलि सभा आयाेजित हुई। सभा में रामनगरी समेत सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी चाराें पट्टी के सभी साधु-संतों ने महंत रामशरण दास महाराज काे भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए उनके चित्रपट पर श्रद्धासुमन अर्पित किया। संताें ने उनके कृतित्व-व्यक्तित्व पर प्रकाश भी डाला।

इस अवसर पर गद्दीनशीन महंत प्रेमदास महाराज के शिष्य व हनुमत संस्कृत महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. महेश दास महाराज ने बताया कि साकेतवासी महंत महाराजश्री के चाचा गुरू और हमारे दादा गुरु थे। जिनकी अवस्था लगभग एक साै दस वर्ष की थी। जाे अचलपुर पखवाड़ा अमरावती महाराष्ट्र के महंत रहे। उनका कुछ दिन पहले साकेतवास हाे गया था। रविवार को दादा गुरु का तेरहवीं संस्कार रहा। इस अवसर पर इमली बगिया में विशाल भंडारे का आयोजन किया गया था, जिसमें रामनगरी व हनुमानगढ़ी चाराें पट्टी के सभी साधु-संत, महंत आमंत्रित रहे। जिन्हाेंने भंडारे का प्रसाद ग्रहण किया। उन्होंने कहा कि महंत रामशरण दास महाराज अप्रतिम प्रतिभा के धनी थे। वह भजनानंदी संत रहे। जाे प्रायः भजन-साधना में तल्लीन रहा करते थे। वह गाै और संत सेवी रहे। जाे साै से ज्यादा वर्ष तक जिये। उनके बारे में जितना कहा जाए वह कम ही होगा। ऐसे महापुरुष अब हमारे बीच में नही हैं। लेकिन उनकी यश व कीर्ति सदैव हम सबके साथ रहेगी। अंत में डॉ. महेश दास और मामा दास ने पधारे हुए सभी संत, महंतों का स्वागत-सम्मान किया।