नौ दिवसीय कथा का आयोजन श्रीराम जन्म महोत्सव समिति द्वारा

अयोध्या। प्रभु श्रीराम का जन्मोत्सव के पंचम दिवस की बेला में मां सरयू के कल कल बहती धारा उस समय संगीतमय हो गई, जब विद्वानजनों द्वारा प्रभु श्रीराम के चरित्र का गुणगान किया जाने लगा। सांस्कृतिक बेला के अवसर पर श्री राम और श्रीमद् भागवत कथा के मर्मज्ञ राधेश्याम शास्त्री जी महाराज ने कहा कि प्रभु श्री राम ने केवल राज्य नहीं किया बल्कि एक सभ्य समाज का निर्माण किया और जब-जब समाज का अस्तित्व खतरे में होता है तो किसी न किसी रूप में प्रभु का अवतार होता है। उन्होंने कहा कि श्री राम के कथा श्रवण से चरित्र का निर्माण होता है इसलिए परिवार सहित प्रभु श्री राम के कथा को श्रवण करना चाहिए। वर्तमान समय में समाज जो भी कुरीतियां व्याप्त है वह केवल रामकथा से ही दूर कि जा सकता है।

सांस्कृतिक संध्या के सत्र में शिवम जी महाराज ने प्रभु श्री राम के नाम की व्याख्या करते हुए कहा कि नाम स्मरण ही नवीन चरित्र का निर्माण करता। आचार्य लक्ष्मण जी महाराज ने राम राज्य की व्याख्या करते हुए कहा कि जब तक चरित्र का निर्माण नहीं होगा तब तक रामराज्य नहीं हो सकता है इसलिए कथा श्रवण कर चरित्र का निर्माण करना ही आवश्यक है। आचार्य जितेंद्र महाराज ने अयोध्या और सरयू कि व्याख्या करते हुए कहा कि मां सरयू के स्मरण मात्र से ही त्रेता युग याद आ जाता है कि हमारे प्रभु इन्हीं मां की गोद में खेले और बड़े हुए इसलिए मां के कण को अगर कोई अपने हृदय में धारण करता है तो उसका जीवन धन्य धन्य हो जाता है।

अंत में भगवत चर्चा की अध्यक्षता करते हुए उदासीन आश्रम के श्री महंत डॉ भरत दास ने भजन और साधुता की व्याख्या करते हुए कहा कि संत हमेशा सेवा के उद्देश्य से अपना जीवन जीता है और सेवा से ही भक्ति प्राप्त होती है और भक्ति ही एक ऐसा सरल मार्ग है जिससे अपने आराध्य को प्राप्त किया जा सकता है इसलिए प्रत्येक मनुष्य को जितना समय मिले अवध वास करके भक्ति को धारण करना चाहिए। सांस्कृतिक संध्या के भागवत चर्चा सत्र का संचालन डॉ जनार्दन उपाध्याय ने किया सभी अतिथियों का स्वागत तिवारी मंदिर के महंत गिरीश पति त्रिपाठी ने किया।