महेन्द्र कुमार उपाध्याय
बदलता स्वरूप अयोध्या। तेजेंद्र सिंह ने बताया कि शिक्षा से ही समाज और देश का विकास हो सकता है उन्होंने विचार व्यक्त किया कि मंदिर में निःशुल्क ‘विद्या केन्द्र’ एवं ‘कला प्रशिक्षण केन्द्र’ खोलने हेतु। आप इस मंदिर (धर्म स्थल) को बढ़िया ढंग से चला कर संभालने और संगत को जोड की सेवा कर रहे हैं। आप जी की सेवा सराहनीय है। हम नामधारी सिख, सतगुरू ठाकुर दलीप सिंह जी के आदेशानुसार विनती करने आये हैं कि सनातन धर्म को बढ़ाने के लिए आप जी द्वारा संभाल जा रहे मंदिर में निःशुल्क ‘विद्या केन्द्र’ एवं ‘कला प्रशिक्षण केन्द्र’ (जैसे: सिलाई प्रशिक्षण केन्द्र, कम्प्यूटर प्रशिक्षण केन्द्र आदि) खोले जाएं। शिक्षा देने तथा कोई भी कला सिखाने के लिए संगत को प्रोत्साहित करें, ताकि संगत में से कोई भी स्त्री-पुरुष प्रतिदिन एक घंटे का समय निकाल सकें। इतना समय निकालना किसी के लिए भी मुश्किल नहीं है। परन्तु, यदि ऐसे सेवादार न मिलें; तो जरूरतमंद लोगों को पैसे देकर भी मंदिर की ओर से ‘विद्या दान’ और ‘कला दान’ के लिए शिक्षक की व्यवस्था कर देनी चाहिए। आपको पता होगा कि भारत में ईसाई धर्म फैल रहा है और सनातन धर्म घट रहा है। क्योंकि. ईसाइयों ने लोगों को अपने साथ जोड़ने के लिए शिक्षा की बहुत उत्तम व्यवस्था की है। सनातन धर्म को घटने से बचाने और प्रफुल्लित करने के लिए; हम स्नातनियों को भी निःशुल्क ‘शिक्षा-दान’ और ‘कला दान’ देना चाहिए। ऐसा करने से जो लोग पहले से ही ‘सनातनी’ हैं; वह भी अपने सनातन धर्म में परिपक्व रहेंगे। और, जो लोग सनातन धर्म से टूट रहे हैं या टूट चुके हैं; वह भी जुड़ेंगे। पुरातन समय में भी हमारे मंदिरों में निःशुल्क ‘विद्या दान’ और ‘कला दान’ दिया जाता था, जो आज किसी कारणवश बंद हो गया है। हम आप जी से विनती करते हैं: कृपया आप अपने मंदिर में इस उत्तम धर्म कार्य को फिर से शुरू करवाएं।
मंदिर (धर्म स्थल) से हर जरूरतमंद को हर चीज मिलनी चाहिए। शिक्षा मनुष्य की बहुत बड़ी आवश्यकता है। वह आवश्यकता धर्म-स्थल से पूरी होनी चाहिए। हर मंदिर में निःशुल्क ‘विद्या केंद्र’ और ‘कला प्रशिक्षण केंद्र’ होने चाहिए। इस शुभ कार्य के लिए यदि किसी प्रकार की सहायता की आवश्यकता हो, तो हम नामधारी सिख आपके साथ हैं। कृपया हमारा अनुरोध स्वीकार करें और मंदिर में यह सेवा शीघ्र प्रारंभ करे ।
