आखिर कौन होगा कैसरगंज से बीजेपी का दावेदार
बृजेश सिंह विशेष संवाददाता
बदलता स्वरूप गोंडा। इस मण्डल का नाम तुलसीपुर में स्थित शक्तिपीठ मां पाटेश्वरी देवी के नाम पर “देवीपाटन” रखा गया। देवीपाटन मण्डल प्रदेश के पूर्वी सम्भाग में स्थित है, यह मण्डल चार जिलों से मिल कर बना है, गोंडा, बहराइच, कैसरगंज, श्रावस्ती।
गोंडा लोकसभा 2019 के डेटा के मुताबिक गोंडा में 1754478 मतदाता हैं, जिनमें से 954654 पुरुष और महिलाएं मतदाता हैं। मतदाता अन्य अथवा थर्ड जेंडर हैं। 2014 चुनाव में इस सीट पर सपा को हरा करके प्रत्याशी कीर्तिवर्धन सिंह विजयी रहे। कुल मतों 8,73,732 में से 3,59,643 मत हासिल कर भाजपा ने जीत दर्ज की। अभी तक की मतगणना में गोंडा में भाजपा के कीर्ति वर्धन सिंह 503474, गठबंधन से विनोद कुमार 337655 व कांग्रेस से कृष्णा पटेल 25476 वोट पाए हैं।
श्रावस्ती लोकसभा में 2009 में पहली बार यहां पर श्रावस्ती लोकसभा सीट के नाम पर चुनाव लड़ा गया। 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस डॉक्टर विनय कुमार पांडे ने जीत हासिल की थी। उन्होंने चुनाव में बसपा के रिजवान जहीर को 42,029 मतों के अंतर से हराया था। बीजेपी को महज 7.92 फीसदी वोट हासिल हुए और वह चौथे स्थान पर रही थी। हालांकि 5 साल बाद हुए दूसरे लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया और चौथे से पहले स्थान पर आते हुए सीट अपने नाम कर लिया। अभी तक की मतगणना में भाजपा से दद्दन मिश्रा 423735 वोट, गठबंधन से राम शिरोमणि वर्मा 431120, कांग्रेस से धीरेंद्र प्रताप सिंह को 56586 वोट मिले हैं।
बहराइच लोकसभा इस सीट पर मुसलमान करीब 32 प्रतिशत हैं। ब्राह्मण, यादव, वैश्य, कुर्मी और क्षत्रिय भी निर्णायक हैं। इनके अलावा यादव, ब्राह्मण, कुर्मी और क्षत्रिय मतदाताओं की भी संख्या पर्याप्त है। अब तक की मतगणना में भाजपा से अक्षयवर लाल को 525982, गठबंधन से शब्बीर वाल्मीकि को 397230, कांग्रेस से सावित्री बाई फुले को 34454 वोट मिले हैं।
कैसरगंज लोकसभा उत्तर प्रदेश की कैसरगंज लोकसभा सीट से बीजेपी के बृजभूषण सिंह को बड़ी जीत मिली है। बृजभूषण सिंह को तकरीबन 60 फीसदी वोट मिले। उन्होंने बीएसपी के चंद्रदेव राम यादव को हराया। बृजभूषण को 5.7 लाख से ज्यादा वोट हासिल हुए। 2014 के लोकसभा चुनाव में भी इस सीट पर सपा उम्मीदवार को हराकर बीजेपी के प्रत्याशी ब्रृज भूषण शरण सिंह बाजी मारने में कामयाब रहे थे।
देवीपाटन मंडल की राजनीति बाहुबली और रियासतदारों में उलझी, दल बदलते देर नहीं लगती। देवीपाटन मंडल में चार जिले गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती और बहराइच आते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव परिणामों की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी मंडल की 20 सीटों में से 18 सीटें जीती थीं। बाहुबलियों-रियासतदारों ने देवीपाटन मंडल की सियासत को अपने हिसाब से चलाया है। राजनीतिक दल भी इन्हीं की परछाई से राजनीति करते आए हैं। भाजपा ने भी जिताऊ कंडीडेट के लिए इन्हीं की मदद ली। भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनाव में ऐसे ही समीकरणों के सहारे मोदी की आंधी में मंंडल के गोंडा, बलरामपुर, बहराइच और श्रावस्ती जिले की राजनीति में बड़ा उलटफेर कर दिया और मंडल की 20 सीटों में से 18 सीटें जीती थीं। अब UP Assembly Elections 2022 की तैयारी में जुटे समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और बसपा के लिए भाजपा के इस गढ़ को भेदना आसान नहीं है। राम मंदिर आंदोलन ने भाजपा को फलने-फूलने का भरपूर मौका दिया। इस मंडल के कैसरगंज से भाजपा के ब्रजभूषण शरण सिंह, गोंडा से कीर्तिवर्धन सिंह सांसद हैं जबकि श्रावस्ती से बसपा के राम शिरोमणि सांसद हैं।
देवीपाटन मंडल में चार जिले गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती और बहराइच आते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव परिणामों की जिले वार बात करें तो बहराइच में सात विधानसभा सीटों में भाजपा छह पर काबिज है जबकि एक सीट सपा के पास है। भाजपा के अक्षयवर लाल बेल्हा से, माधुरी वर्मा नानपारा से, सुरेश्वर सिंह महसी से, अनुपमा जायसवाल बहराइच से,सुभाष त्रिपाठी पयागपुर और मुकुट बिहारी कैसरगंज से विधायक हैं जबकि सपा के यासिर शाह मटेरा से निर्वाचित हुए हैं। मंडल के ही श्रावस्ती जिले की दो विधानसभा सीटों भिनगा से बसपा के मोहम्मद असलम राइनी और श्रावस्ती से भाजपा के रामफेरन विधायक हैं।
बलरामपुर जिले की सभी 4 विधानसभा सीटों पर भाजपा काबिज है। इनमें तुलसीपुर से कैलाश नाथ शुक्ला, गैंसड़ी से शैलेश कुमार सिंह, उतरौला से राम प्रताप उर्फ शशिकांत और बलरामपुर से पलटूराम निर्वाचित हुए थे। इसी प्रकार गोंडा की सभी सात सीटें भाजपा के पास हैं। इनमें मेहनौन से विनय कुमार, गोंडा से प्रतीक भूषण सिंह, कटरा बाजार से बावन सिंह, कर्नेलगंज से अजय प्रताप सिंह, तरबगंंज से प्रेम नारायण पांडेय, मनकापुर (सुरक्षित सीट) रमापति शास्त्री और गौरा से प्रभात वर्मा निर्वाचित हुए। बाहुबली और रियासत की राजनीति
गोंडा की राजनीति में पहले रियासत का काफी प्रभाव था। इन्हीं रियासतदारों के इशारे पर टिकट बंटते थे लेकिन धीरे-धीरे बाहुबलियों ने राजनीति में पैठ बढ़ाई और यह अब तक बरकरार है। यहां से भारतीय जनसंघ से अटल बिहारी वाजपेयी चुनाव लड़ चुके हैं जबकि प्रख्यात समाजसेवी नाना जी देशमुख ने भी यहां बहुत सेवा कार्य किए। अब वर्ष 2022 के चुनाव में क्या देवीपाटन मंडल में सपा के भी दिग्गज नेता राजनीति करते आए हैं लेकिन अयोध्या के राम मंदिर आंदोलन ने धीरे-धीरे अन्य दलों को समेट दिया। राम मंदिर आंदोलन से यहां भाजपा की पैठ बढ़ती गई और पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जैसे दलों के खाते तक नहीं खुले और बसपा-सपा एक-एक सीट में ही सिमट गए। अगले चुनाव में जहां भाजपा इस प्रदर्शन को बनाए रखने के लिए बेकरार है, वहीं सत्ता वापसी का सपना देख रही सपा अपने पुराने दिनों की वापसी चाहती है। ऐसे में न केवल सपा नए चेहरे मैदान में उतारने के लिए जातीय समीकरण के लिहाज कील-कांटे मजबूत करने में जुटी है बल्कि उम्मीदवारों के चयन में भी फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। भाजपा-सपा ने अभी किसी का टिकट फाइनल नहीं किया है। यहां विभिन्न दलों के कई दिग्गज दल बदल कर चुके हैं और यह कहना मुश्किल है कि वे ऐसे में वे कितने दिन वर्तमान दल में टिक पाएंगे।
बड़ा सवाल- कितने चेहरे बदलेगी भाजपा
की सरगर्मी बढ़ते ही टिकट के लिए दौड़भाग शुरू हो गई है। देवीपाटन मंडल से योगी सरकार में पहले रमापति शास्त्री, मुकुट बिहारी और अनुपमा जायसवाल को शामिल किया गया था। बाद में अनुपमा जायसवाल को मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया गया। रमापति शास्त्री और मुकुट बिहारी भाजपा के पुराने और जनाधार वाले नेताओं में गिने जाते हैं। मंडल के सभी जिलों में भाजपा में टिकट के दावेदारों की भीड़ यह बता रही है कि उन्हें अंदर से यह पक्की खबर है कि मौजूदा कुछ विधायकों के टिकट कटना तय है। हालांकि यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि किन विधायकों की राह मुश्किल होने वाली है।
जीतने के लिए विकास कार्यों का सहारा
देवीपाटन मंडल में भाजपा जीत का आंकड़ा दोहराने की कोशिश में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सरयू नहर की लंबित परियोजना को उद्घाटन करके किसानों को खुश कर दिया है। बहराइच में मेडिकल कॉलेज शुरू हो गया है। मनरेगा के काम और कोराना काल में मुफ्त राशन वितरण, कल्याणकारी योजनाओं की राशि का खाते में सीधे ट्रांसफर जैसे कार्य मतदाताओं पर असर डाल रहे हैं। इस मंडल की सीमाएं नेपाल से जुड़ी होने के कारण भी सरकार संवेदनशीलता से काम कर रही है।
ये हैं मंडल के प्रमुख मुद्दे
गोंडा : कुंदुरखी चीनी मिल में किसानों का बकाया भुगतान
बलरामपुर : रोजगार और बेहतर पढ़ाई की समस्या
बहराइच : जाम की सबसे बड़ी समस्या
श्रावस्ती : उच्च शिक्षा की पर्याप्त व्यवस्था नहीं