1996 में सबसे ज्यादा प्रत्याशियों ने गवाईं जमानत राशि
बृजेश सिंह विशेष संवाददाता
गोंडा। डमी प्रत्याशियों को चुनाव लड़ाकर अपने राजनीतिक खर्च को मैनेज करना धुरंधर राजनीतिज्ञों का पुराना लेकिन कामयाब पैतरा है, लोकसभा में सीटों की संख्या 543 है, लेकिन चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की संख्या बीते सात दशकों में चार गुना से ज्यादा बढ़ गयी है। वर्ष 1951-52 में जब प्रथम लोकसभा के लिए निर्वाचन का प्रारंभ हुआ तब पूरे देश में कुल 1874 उम्मीदवारों ने दावेदारी की थी। लेकिन 2019 के चुनाव में यह संख्या लगभग चार गुना से ज्यादा यानि कुल 8054 उम्मीदवारों ने लोकसभा का पर्चा भरा। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि चुनाव आयोग हर चुनाव में प्रत्याशियों के धन व्यय की सीमा निर्धारित करता है, अपने खर्च और अपने प्रचार वाहनों की संख्या बढ़ाने के लिए प्रत्याशियों द्वारा डमी उम्मीदवारों को खड़ा किया जाता है, ताकि अपने खर्च को घटाकर दिखाया जाए, वास्तविकता में ये डमी प्रत्याशी जिस उम्मीदवार के समर्थन से खड़े होते हैं, उसको अपना वोट ट्रांसफर करा देते हैं ज्यादातर ये दावेदार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में खड़े होते हैं, और कभी कभी ये बाजी भी मार ले जाते हैं। चुनाव आयोग द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार 2019 में प्रति निर्वाचन में उम्मीदवारो की संख्या 14.8 थी। वहीं 1951-52 में एक सीट पर पर औसतन 4.67 उम्मीदवार ही थे। 1977 के छठे लोकसभा चुनाव तक प्रति सीट पर औसतन तीन से 5 प्रत्याशी हुआ करते थे। लेकिन 1996 के आम चुनाव में 13952 उम्मीदवार थे, यानि प्रति सीट से लगभग 25.69 प्रत्याशी मैदान में उतरे। चुनाव आयोग ने इस मामले की गम्भीरता को समझते हुए जमानत राशि 500 से बढ़ाकर दस हजार कर दी, नतीजन 1998 के आम चुनाव में उम्मीदवारों की संख्या में कमी आयी। उत्तर प्रदेश में लड़ते हैं सबसे ज्यादा प्रत्याशी – 2019 के लोकसभा चुनाव में यूपी की 80 सीटों पर 979 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा यानी कि हर सीट पर 12.2 उम्मीदवार चुनावी संग्राम में हाथ आजमा रहे थे , हालांकि पूरे देश में सबसे ज्यादा उम्मीदवार तेलंगाना के निजामाबाद सीट पर लड़े। इस सीट पर 185 उम्मीदवारों ने लोकसभा के रण में भाग लिया था, जबकि पूरी तेलंगाना राज्य में कुल 443 उम्मीदवार थे।
पूरे देश के चुनावी इतिहास में कब कितने प्रत्याशियों ने आजमायी किस्मत –
वर्ष प्रत्याशी जमानत जब्त
1951 1874 745
1957 1519 494
1962 1985 856
1967 2369 1203
1971 2784 1707
1977 2439 1356
1980 4629 3417
1984 5492 4382
1989 6159 5002
1991 8749 7539
1996 13952 12688
1998 4750 3486
1999 4648 3400
2004 5435 4218
2009 8070 6829
2014 8251 7005
2019 8054 6923
स्रोत → भारत निर्वाचन आयोग