दिव्यांग बच्चों को शिक्षा से वंचित रखना है अपराध-जिलाधिकारी

बदलता स्वरूप श्रावस्ती। दिव्यांग बच्चों को शिक्षा से वंचित रखना अपराध है, क्योंकि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत दिव्यांग बच्चों को अनिवार्य रूप से शिक्षा की मुख्य धारा में समाहित किया जाना है। इसके लिए सर्वप्रथम यह जरूरी है कि इटीनरेन्ट टीचर्स के द्वारा डोर-टू-डोर सर्वे करके बच्चों का चिन्हीकरण कर लिया जाये तथा परिषदीय विद्यालय के अध्यापकों को उन बच्चों की सूची प्रदान करते हुए उनका नामांकन सुनिश्चित कराया जाये। बच्चों के नामांकन के पश्चात उन्हें उपकरण के लिए भी चिन्हित करते हुए यू-डायस में प्रत्येक बच्चे का अंकन किया जाये। वर्ष 2022-23 के यू-डायस तथा समर्थ पोर्टल के बच्चों की संख्या का मिलान कर लिया जाये तथा दोनों में एकरूपता होनी चाहिए। यदि किसी विद्यालय में यू-डायस तथा समर्थ पोर्टल के बच्चों के विवरण में भिन्नता पायी जाती है तो ऐसी दशा में संबंधित विद्यालय के अध्यापक के विरुद्ध कठोर कार्यवाही संपादित की जायेगी।
उक्त विचार जिलाधिकारी कृतिका शर्मा ने कलेक्ट्रेट स्थित जिलाधिकारी कक्ष में आयोजित दिव्यांग बच्चों की शिक्षा हेतु कार्यरत इटीनरेन्ट टीचर्स की बैठक में व्यक्त किया। उन्होंने निर्देशित करते हुए कहा कि विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति की संख्या पर विशेष ध्यान दिया जाए। वर्तमान में जनपद के 492 नोडल टीचर्स को दिव्यांग बच्चों के साथ शिक्षण कार्य किये जाने हेतु प्रशिक्षण प्रदान किया जा चुका है। प्रशिक्षण प्राप्त अध्यापकों के द्वारा दिव्यांग बच्चों के साथ नियमित रूप से शिक्षण कार्य आरम्भ किया जाये। उन्होंने कहा कि जनपद स्तरीय अधिकारियों के द्वारा विद्यालय भ्रमण के दौरान भी इस बात का विशेष ध्यान रखा जाये कि दिव्यांग बच्चों की उपस्थिति विद्यालय में है अथवा नहीं। जिलाधिकारी ने यह भी कहा कि जिला दिव्यांगजन पुनर्वास केन्द्र में श्रवण दिव्यांग बच्चों की श्रवण ह्रास को मापते हुए दिव्यांगता प्रमाण-पत्र निर्गत किये जाने हेतु बेरा मशीन लगाया गया है, इसका व्यापक प्रचार-प्रसार करते हुए श्रवण दिव्यांग बच्चों का प्रमाण-पत्र बनवाया जाय।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने बताया कि इटीनरेन्ट टीचर्स के द्वारा नियमित रूप से विद्यालयों का भ्रमण करते हुए दिव्यांग बच्चों का नामांकन कराये जाने के साथ ही साथ उनके साथ शैक्षणिक कार्य किया जा रहा है तथा सामान्य अध्यापकों के साथ सलाह-सूचन का भी कार्य किया जा रहा है। समय-समय पर दिव्यांग बच्चों के अभिभावकों का परामर्श शिविर का आयोजन करते हुए बच्चों के नियमित उपस्थिति के संबंध में जानकारी प्रदान की जा रही है। ऐसे बच्चे जो गंभीर दिव्यांगता से ग्रसित हैं, उन्हें एलिम्को कानपुर के सहयोग से आवश्यक उपकरण भी प्रदान किये जा रहे हैं। इस अवसर पर कृष्णमणि पाण्डेय, आलोक कुमार, बलवन्त सिंह, प्रदीप कुमार, सत्य प्रकाश, उमाशंकर, सुजीत कुमार सिंह, धर्मेंद्र मिश्रा, प्रतिभा सिंह, नीता सिंह, बालकृष्ण तिवारी, चन्द्रेश्वर यादव, विनोद कुमार आदि उपस्थित रहे।