महेन्द्र कुमार उपाध्याय
बदलता स्वरूप अयोध्या। हल्दी के औषधीय गुण पर शोध करते हुए आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज, सामुदायिक महाविद्यालय की पीएचडी शोध छात्रा मृदुला पाण्डेय ने विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि मसालों के मामले में भारत एक धनी देश है यहां अलग-अलग व्यंजनों के लिए सामान्य से लेकर खास मसालों का इस्तेमाल किया जाता है वहीं, इनमें कुछ ऐसे भी मसाले हैं, जिन्हें अपने औषधीय गुणों की वजह से आर्युवेद में विशेष स्थान दिया गया है हल्दी इन्हीं में से एक है हल्दी एक प्रमुख भारतीय औषधि है इसका पौधा 5 से 6 फुट तक बढ़ने वाला होता है, जिसकी जड़ों की गांठों से हल्दी मिलती है, औषधि-ग्रन्थों में इसे हल्दी के अतिरिक्त हरिद्रा, कुरकुमा, लौंगा, वरवर्णिनी, गौरी, क्रिमिघ्ना, योशितप्रिया, हरदल, टर्मरिक आदि नाम दिये गये हैं।
भारत वर्ष में हल्दी को न केवल एक प्रमुख मसाले के रूप में प्रयोग किया जाता है, वरन अपने अद्वितीय औषधीय गुणों के कारण एक प्रमुख प्राकृतिक औषधि के रूप में तथा भारतीय धार्मिक एवं सांस्कृतिक अवसरों पर भी इसका प्रयोग किया जाता है हल्दी का लेटिन नाम- कुरकुमा लौंगा, अंग्रेजी नाम- टरमरिक व पारिवारिक नाम- जिन्जीबेरेसी है इसमें उड़नशील तेल 5.8 प्रतिशत, प्रोटीन 6.3 प्रतिशत, द्रव्य 5.1 प्रतिशत, खनिज द्रव्य 3.5 प्रतिशत, और कार्बोहाइड्रेट 68.4 प्रतिशत के अतिरिक्त कुर्कमिन नामक पीतरंजक द्रव्य व विटामिन ए पाया जाता है हल्दी के औषधीय गुण अनेक हैं, जिनमें एंटीइन्फ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीट्यूमर, एंटीसेप्टिक, एंटीवायरल, कार्डियोप्रोटेक्टिव (हृदय को स्वस्थ रखने वाला गुण), हेपटोप्रोटेक्टिव (लिवर स्वस्थ रखने वाला गुण) और नेफ्रोप्रोटेक्टिव (किडनी स्वस्थ रखने वाला गुण) गुण मुख्य हैं हल्दी का उपयोग शरीर के लिए निम्न प्रकार से लाभदायक हो सकता है, हल्दी के इस गुण की खोज सन 1975 के प्रारम्भ में ही कर ली गयी थी यह हीमोग्लोबिन की आक्सीडेशन से रक्षा करती है, हल्दी को कृमिहरा या कृमिनाशक (एन्टीथेलमिन्टिक) भी कहा जाता है। टरमरिक के जूस में कृमिनाशक गुण होता है नेपाल के ग्रामीण इलाकों में टरमरिक पाउडर या पेस्ट को पानी में थोड़ा सा नमक डालकर उबालते हैं तथा इस जूस को कृमिनाशक औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है हड्डियों के रोग को दूर करने में सहायक – हड्डियों के विभिन्न रोग, गठिया, वात दूर करने में भी हल्दी अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होती है, कच्ची हल्दी में कैंसर से लड़ने के गुण होते हैं। यह पुरुषों में होने वाले प्रोस्टेट कैंसर की कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकने के साथ-साथ उन्हें समाप्त भी करती है हल्दी में उपस्थित तत्व कैंसर कोशिकाओं से डी.एन.ए. को होने वाले नुकसान को रोकते हैं व कीमोथेरेपी के दुष्प्रभावों को भी कम करते हैं, अनेक शोधों से यह प्रमाणित हो चुका है कि टरमरिक अनेक प्रकार के बैक्टीरिया, पैथोजेनिक फंजाई एवं पैरासाइट्स की वृद्धि को रोकती है, लिवर टॉक्सिटी से बचाव में मदद कर सकते हैं लिवर से विषाक्त तत्व निकालने और लिवर को डिटॉक्सीफाई करने में हल्दी सहायक हो सकती है NCBI – The National Center for Biotechnology Information) प्रकाशित शोध के अनुसार, हल्दी के डिटॉक्सिफिकेशन और एंटीऑक्सीडेंट गुण मरकरी युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन (Mercury Toxicity- सामान्यतौर पर सी फूड के सेवन से)होने वाली लिवर टॉक्सिटी से बचाव में मदद कर सकते हैं, श्वसन सम्बन्धी रोगों के उपचार में – हल्दी को कफहारा, औषधि माना जाता है हल्दी के ताजे राइजोम को कुकर खांसी (व्हूपिंग कफ) के उपचार में प्रयोग किया जाता है इसमें उपस्थित वोलाटाइल ऑयल ब्रांकियल अस्थमा के उपचार में भी अत्यन्त उपयोगी होते हैं इसके साथ ही इसमें एंटी कैंसर गुण भी मौजूद होता है, जो प्रोस्ट्रेट, स्तन, और लंग्स कैंसर के जोखिम से बचाव में मदद कर सकता है ध्यान रहे, अगर किसी को कैंसर है तो उस व्यक्ति के लिए डॉक्टरी इलाज ही पहली प्राथमिकता होनी चाहिए हल्दी के गुण से सूजन की समस्या के लिए भी हल्दी लाभकारी हो सकती है मनुष्यों पर किए गए शोध में हल्दी का उपयोग सुरक्षित पाया गया इसके साथ ही करक्यूमिन में एंटीइन्फ्लेमेटरी गुण की भी पुष्टि हुई, जो कि सूजन की समस्या से बचाव करने में सहायक हो सकता है, हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट गुण भी पाया जाता है, जो शरीर को फ्री रेडिकल्स से मुक्त रखने और आयरन के प्रभाव को संतुलित करने में मदद कर सकता है हल्दी पाउडर के साथ-साथ इसके तेल में भी एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं वहीं, चूहों पर की गई एक स्टडी के अनुसार, हल्दी डायबिटीज के कारण होने वाले ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को रोकने में सक्षम है एक अन्य अध्ययन में दावा किया गया है कि करक्यूमिन में पाया जाने वाला एंटीऑक्सीडेंट गुण मनुष्यों की स्मरण शक्ति को बढ़ा सकता है हल्दी का उपयोग ह्रदय को स्वस्थ रखने में भी सहायक हो सकता है हल्दी का सबसे महत्वपूर्ण घटक करक्यूमिन में कार्डियो प्रोटेक्टिव गुण मौजूद होते हैं, जिस कारण इसके उपयोग से ह्रदय रोग के जोखिम से बचाव हो सकता है यह बात जानवरों और मनुष्यों पर किए गए कई अध्ययनों में सामने आई है इसके साथ ही एक स्टडी में यह भी पाया गया है कि बाईपास सर्जरी (ह्रदय से जुड़ा ऑपरेशन) के मरीजों में करक्यूमिन के सेवन से दिल के दौरे का खतरा कम हो सकता है ऐसे में हल्दी का सेवन ह्रदय को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है, अल्जाइमर, जो कि एक मस्तिष्क संबंधी समस्या है, जिसमें व्यक्ति धीरे-धीरे अपनी याददाश्त खोने लगता है। इसके कारण अभी भी अज्ञात हैं, लेकिन बढ़ती उम्र इस बीमारी का एक जोखिम कारक हो सकता है ऐसे में अल्जाइमर के जोखिम को कम करने के लिए हल्दी सहायक हो सकती है एनसीबीआई (NCB) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, अल्जाइमर मरीजों में हल्दी का उपयोग उनकी जीवनशैली में सुधार लाने में सहायक पाया गया, करक्यूमिन का एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण अल्जाइमर की स्थिति में सुधार करने में सहायक होता है, (Anti-Anxiety) गुण मौजूद होते हैं, जो चिंता, अवसाद की स्थिति की स्थिति में प्रभावकारी होता है इसके अलावा, एक अध्ययन के अनुसार यह माना गया कि हल्दी में मौजूद करक्युमिनोइड (Curcuminoid) घटक का एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण डिप्रेशन के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है कई महिलाओं को मासिक धर्म के समय अधिक दर्द व पेट में ऐंठन का सामना करना पड़ता है इससे बचने के लिए हल्दी का इस्तेमाल किया जा सकता है ईरान में हुए एक शोध के अनुसार, करक्यूमिन में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होता है, जो मासिक धर्म से पहले पीएमएस के लक्षणों को कम कर सकता है, हल्दी का उपयोग ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis) जो कि गठिया का एक प्रकार है, उसमें लाभकारी हो सकता है हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार 139 लोग जिनमें घुटनों से संबंधित ऑस्टियोआर्थराइटिस के लक्षण थे, उन्हें एक महीने के लिए हर दिन तीन बार 500 मिलीग्राम करक्यूमिन का सेवन कराया गया जिसके बाद मरीजों में गठिया के लक्षण में काफी राहत देखी गई दरअसल, हल्दी में एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं, जिससे गठिया के लक्षणों से आराम मिल सकता है।
