भगवान श्री कृष्ण की बाल लीला में प्रेम और स्नेह का अनुपम सौंदर्य- डॉ राम विलास वेदांती

अयोध्या l आज की कथा में भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का चित्रण किया गया l विशेष रुप से माखन चोरी जो अपने ही घर में माखन चोरी के बाद खंभे में रंगे हाथों छाछ गिराते हुए और चोरी करते हुए पकड़े गये l भगवान श्री कृष्ण की माखन चोरी का आशय बालपन में अपनी लीलाएं अपने सखाओ के संग दिखाते हैं l
गोवर्धन लीला में भगवान कृष्ण ने इंद्रदेव का भगवान ने घमंड को चूर करते हैं और गोवर्धन वासियों से कहते हैं की गोवर्धन पर्वत हमें वृक्ष जड़ीबूटी देता है और वर्षा से बचाता है l हमको गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए न इन्द्र देव की वह हमारे पशुओं को चारा भी देता है l भगवान श्री कृष्ण ने ब्रह्मा का अहंकार भी तोड़ दिया भगवान के ग्वाल बालों के साथ गायों को बछड़ों को कहीं लेकर जाते हैं और एक साल तक गायब रखते है l स्वयं भगवान श्री कृष्ण ग्वाल बाला बछड़े बन करके आनंद लेते हैं l इसके बाद 1 वर्ष बाद ब्रह्मा जी ने नीचे दृष्टि डाली वहीं गाय , वही बछड़े वही , ग्वाल बाल उसको देखकर आश्चर्यचकित हुए l भगवान श्री कृष्ण के पास आते हैं और भगवान श्री कृष्ण से प्रार्थना करते हैं और क्षमा मांगते हैं l

गोवर्धन लीला में भगवान कृष्ण कहते हैं कि इंद्र की पूजा क्यों करते हैं बादल तो पानी बरसाते हैं सबको गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए क्योंकि हमें संरक्षण देता है घास देता है औषधि देता है l उसकी पूजा की जाए स्वयं गोवर्धन पर्वत बनकर के स्नेह प्रेम बरसाते है l श्री कृष्ण की लीलाओ का आनंद लेने भगवान शंकर का आगमन हुआ वह भी भांग का लड्डू खा कर और भगवान कृष्ण का दर्शन पाते हैं l भाँग के लड्डू लेने के लिए पार्वती जी भी आती हैं l भगवान की इस लीला के कारण इस प्रकार भगवान की नामकरण करते हैं l भगवान के नामकरण की लीला उनके गुरु गर्गाचार्य करने के लिए आते हैं l

गर्गाचार्य जी बताते हैं की यशोदा भोजन पहले बनाने के लिए देती है l जब गुरु गर्गाचार्य ध्यान लगाते हैं तो देखते हैं की भगवान आकर खुद भोग लगाते हैं और गुरु गर्गाचार्य भगवान को स्वंय खिलाते हैं l और यशोदा जी को आवाज लगाते हैं यशोदा तेरे कान्हा ने मेरा सारा भोजन खत्म कर दिया l मां यशोदा क्षमा मांगते हैं बालक है l गलती हो गई पुनः बना लीजिए l तीन बार वेद मंत्र से योग मंत्र से कई बार ध्यान लगाकर भोग लगाते हैं l पर भगवान आकर चले जाते हैं l जब भगवान चतुर्भुज के रूप में आते हैं और प्रकट होते हैं l तो बार-बार मुझे बुलाते हो जब मैं आता हूं l इस प्रकार भगवान का दर्शन पाते हैं l