चूहों एवं छछूंदर से लैप्टोस्पाइरोसिस व स्क्रब्टाइफस बीमारी फैलती है
बलरामपुर। जिला कृषि रक्षा अधिकारी इन्द्रेषु गौतम ने बताया कि चूहों एवं छछूदर खेतों तथा घरों में प्रचुरता से पाये जाते है जहां चूहा आमतौर पर फसलों अनाजों व घरेलू सामान को क्षति पहुॅचाते है एवं दूसरी ओर लैप्टोस्पाइरोसिस व स्क्रब्टाइफस जैसी जानलेवा बीमारी भी फैलाते है।
स्क्रब्ब्टाइफस नामक बीमारी चूहे एवं छछुदर के ऊपर होने वाले पिस्सू से फैलती है। इस बीमारी में तेज बुखार, सर दर्द शरीर में दाग तथा पूरे शरीर पर खुजली होने लगती है और बुखार रहने से यह बीमारी खतरनाक साबित हो सकती है।
लैप्टोस्पाइरोसिस नामक बीमारी एक जीवाणु जनित बीमारी है, यह जानवरों से फैलती है, इसको फैलाने वाले जानवरों में चूहों एवं छछूदर भी शामिम है। यह बीमारी चूहा एवं छछूंदर के पेशाब से फैलती है। खरोंच वली त्वजा व श्लेशमा झिल्ली का दूषित पानी के सम्पर्क में आना संक्रमण का कारण वन जाती है।
किसान भाई चूहों एवं छछूंदर की रोकथाम कर फसल/अनाज/घरेलू सामान को सुरक्षित रख सकते है एवं बीमारियों से भी बचाव कर सकते है। इसके रोकथाम के लिये ब्रोमोडाइल 0.005 प्रति0 से वने चारे 10 ग्राम से प्रत्येक जिदा बिल में रखने से चूहों एवं छछूंदर को मारा जा सकता है। एल्यूमिनियम फास्फाइड दवा को 6 से 4 ग्राम मात्रा प्रत्येक जिन्दा चूहा एवं छछूंदर बिल में रखने से उससे निकलने वाली फास्फीन गैस से चूहा एवं छछूंदर को मारा जा सकता है। इसके अतिरिक्त जिंक फास्फेट 80 ग्राम मात्रा को 02 ग्राम सरसों के तेल में एवं 48 ग्राम चारा/गेहूॅ/चावल आदि में मिलाकर जिन्दा चूहा एवं छछूंदर को मारा जा सकता है। चूहेदानी का प्रयोग करके भी नियंत्रण घरों में किया जा सकता है।
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