बाल विवाह दण्डनीय अपराध
बहराइच 13 अप्रैल। जिला प्रोबेशन अधिकारी विनय कुमार सिंह ने बताया कि ऐसी बालिका जिसने 18 वर्ष की आयु पूर्ण न की हो एवं ऐसे बालक/युवक जिसकी आयु 21 वर्ष से कम है, उनका विवाह कराया जाना कानूनन प्रतिबन्धित है। बाल विवाह प्रतिषेध अनिधिनियम 2006 के अन्तर्गत बाल विवाह एक दण्डनीय अपराध है तथा बाल विवाह में प्रतिभाग करने वाले व्यक्तियों पर भी कानूनी कार्यवाही का प्राविधान किया गया है। बाल विवाह प्रतिषेध अनिधिनियम 2006 के प्राविधानों के अन्तर्गत बाल विवाह करने वाले पुरूष वयस्क के लिए एवं बाल विवाह का अनुष्ठान करने वाले व्यक्तियों के लिए 02 वर्ष के कठोर कारावास अथवा 01 लाख रूपये का जुर्माना अथवा दोनों का प्राविधान है। बाल विवाह एक सामाजिक कुरीति है जिसके शारीरिक एवं मानसिक रूप से गम्भीर दुष्प्रभाव होते हैं।
जिला प्रोबेशन अधिकारी श्री सिंह ने बताया कि अक्षय तृतीया (आखा तीज) के अवसर पर बाल विवाह करने की रूढ़िवादी परम्परा समाज में प्रचलित है। वर्ष 2023 में अक्षय तृतीया 22 अप्रैल 2023 को पड़ रही है। श्री सिंह ने आमजन से अपील की है कि बाल विवाह जैसी कुरीति पर प्रभावी अंकुश के लिए बाल विवाह जैसी घटना के संज्ञान में आने पर इसकी सूचना जिला प्रोबेशन अधिकारी के मो.नं. 7518024026, जिला बाल संरक्षण इकाई, महिला शक्ति केन्द्र, डायल 112 व 181, स्थानीय पुलिस स्टेशन/चौकी को अवश्य दें ताकि बाल विवाह को रोका जा सके।
जिला प्रोबेशन अधिकारी श्री सिंह ने बाल विवाह जैसे आयोजनों में सहभागिता/सहयोग करने वाले व्यक्तियों को सचेत किया है कि बाल विवाह आयोजन में सम्मिलित व्यक्तियों के विरूद्ध नियमानुसार कानूनी कार्यवाही की जाएगी। श्री सिंह ने वैवाहिक आयोजन कराने वाले प्रिन्टिंग प्रेस, टेन्ट व्यवसायी, मैरिज हॉल, बैण्ड वाजा, कैटर्स, फोटोग्राफर, पुरोहित, मौलवी इत्यादि व्यक्तियों एवं संस्थाओं से भी अपेक्षा की है कि वैवाहिक आयोजन कराने से पूर्व यह सुनिश्चित कर लें कि वधू की आयु 18 वर्ष एवं वर की आयु 21 वर्ष से कम न हो। श्री सिंह ने आमजन तथा अभिभावकों से अपील की है कि बाल विवाह के कारण शारीरिक एवं मानसिक दुष्प्रभावों के मद्देनज़र रखते हुए बेटी की शादी 18 वर्ष तथा बेटे की शादी 21 वर्ष से पूर्व कदापि न करें।