बदलता स्वरूप गोंडा। देश को वर्ष 2025 तक क्षय मुक्त बनाने के लिए क्षय रोगियों को चिन्हित कर जल्द से जल्द उनका उपचार किया जाएगा। इसके लिए जिले के सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर ( एचडबल्यूसी ) के जरिये 15 मई से 21 कार्य दिवसों तक विशेष अभियान चलाकर घर-घर टीबी रोगी खोजे जाएंगे। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ रश्मि वर्मा ने बताया शासन की ओर से इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, जिसके अनुसार जिले के दूरस्थ क्षेत्र, मलिन बस्ती अथवा पिछले दो वर्षों में जिन क्षेत्रों में कोविड या टीबी के रोगी अधिक चिन्हित हुए हैं, वहां टीबी रोगी खोजने के लिए घर-घर अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए जिले के सभी 234 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर तीन -तीन कैंप हर सप्ताह लगाए जाएंगे। कैंप में एएनएम व आशा कार्यकर्ताओं की टीम क्षय रोगियों की खोज करेंगी । साथ ही कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (सीएचओ) क्षय रोगियों के चिन्हीकरण, जांच, उपचार, निक्षय पोषण योजना के अंतर्गत डीबीटी, काउंसिलिंग व मनोसामाजिक सहयोग प्रदान करेंगे।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ जय गोविन्द ने बताया कि एएनएम व आशा घर-घर जाकर टीबी के संभावित लक्षण वाले व्यक्तियों को चिन्हित कर उनका बलगम एकत्रित करेंगी। इसके बाद सीएचओ समस्त सैम्पल को नजदीकी जांच केंद्र पर भेजेंगे। जांच पॉजिटिव आने पर तत्काल नोटिफिकेशन कर तुरंत मरीज का उपचार शुरू कर दिया जाएगा। साथ ही उन्हें निक्षय पोषण योजना के तहत छह माह या उपचार चलने तक हर माह 500 रुपये टीबीटी के माध्यम से मरीज के बैंक में सीधे ट्रांसफर की जाएगी। जिला कार्यक्रम समन्वयक विवेक सरन ने बताया कि टीबी मुक्त भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए वर्ष 2022 में पहली बार टीबी संबंधी सेवाओं के सुदृढ़ीकरण के लिए आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स को शामिल किया गया। इसके अलावा हर माह की 15 तारीख को एचडब्ल्यूसी पर एकीकृत निक्षय दिवस का आयोजन किया जाता है। एकीकृत निक्षय दिवस के मौके पर आशा द्वारा चिन्हित क्षय रोग से मिलते-जुलते लक्षण वालों की बलगम जांच कराई जाती है। साथ ही शुगर और एचआईवी की स्क्रीनिंग भी की जाती है।
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