भागवत कथा श्रवण करने से अक्षय पुण्य की होती है प्राप्ति: पं. शेषधर मिश्र

बदलता स्वरूप प्रतापगढ़। श्रीमद् भागवत कथा श्रीहरि का वांग्मय स्वरूप है, जो जीवन जीने की कला सिखाते हुए मृत्यु को मंगलमय बनाने का सूत्र प्रदान करती है। श्रीमद् भागवत कथा की अमृत वर्षा पूरे देश में भ्रमण कर संसार को ज्ञान, भक्ति के सूत्र प्रदान कर रहे हैं। यह बात सोमवार को रानीगंज विधानसभा के अंतर्गत हरिनाहर गाँव में चल रही भागवत कथा में पण्डित शेषधर मिश्र अनुरागी जी महाराज ने कही।उन्होंने कहा कि जब तक किसी व्यक्ति, स्थान या शास्त्र के महत्व का ज्ञान नहीं होता तब तक उसके प्रति श्रद्धा जागृत नहीं होती है। श्रीमद भागवत की कथा प्रारंभ करने से पूर्व महात्म्य की कथा को सुनने से कथा के प्रति श्रद्धा प्रेम प्रगट होता है। कथा के ही प्रभाव से जीवन में इन तीनों की पुष्टि होती है।कथा के दौरान अनुरागी जी ने बताया कि भगवान के नाम के कीर्तन की महिमा को समझाने के लिए नारद के पूर्व जन्म की कथा सुनाकर बताया गया कि एक बार भगवान का नाम यदि मनोभाव से लिया जाए तो वह जन्म जन्मांतर तक आपके साथ रहता है।