बदलता स्वरूप बस्ती। कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट के अंतर्गत वर्षा जल के संरक्षण पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। केंद्र के अध्यक्ष प्रो० एस० एन० सिंह ने कहा कि जून 2019 तक भारत के लगभग 65 प्रतिशत जलाशय (वॉटर रिज़र्व) सूख चुके हैं। यह बेहद भयानक हालात हैं, खासकर तब, जब हमारी जनसंख्या लगातार बढ़ रही है और हमें ज़िंदा रहने के लिए और ज़्यादा पानी की ज़रूरत पड़ेगी। रेनवॉटर हार्वेस्टिंग बारिश के पानी को जमा करने का एक तरीका होता है, यह किसी भी सतह पर गिरने वाला बारिश का पानी हो सकता है।
उन्होंने बताया कि इस पानी को बाद में फिल्टर किया जाता है और फिर इस्तेमाल करने के लिए जमा कर दिया जाता है। इस तरह पानी की हार्वेस्टिंग करने से पानी का लेवल दोबारा पहले जैसा नॉर्मल हो जाता है, जिससे यह पानी बर्बाद होने से बच जाता है। भारी बारिश और बाढ़ के दौरान मिट्टी की ऊपरी सतह बारिश के पानी के साथ बह जाती है लेकिन जब आपके पास हार्वेस्टिंग सिस्टम होता है, तो यह पानी बहकर बर्बाद नहीं होता है और आगे इस्तेमाल करने के लिए जमा हो जाता है। यह बाढ़ को कम करने का एक बेहतरीन तरीका है।
इसी क्रम में वरिष्ठ वैज्ञानिक डा० डी० के० श्रीवास्तव ने बताया कि वर्षा जल का संचय ग्राउंड वॉटर (भूजल) पर हमारी निर्भरता और मांग को कम करता है। साथ ही साथ इसका खर्च भूजल को निकलने में किये गये खर्च से कम होता है। केंद्र के वैज्ञानिक डा० बी०वी० सिंह ने बताया कि बारिश के पानी में बेहद कम दूषित पदार्थ होते है और यह मीठा पानी होता है, जिससे खारे पानी से होने वाली बीज के जमाव की समस्या को कम किया जा सकता है। वैज्ञानिक डा० अंजली वर्मा ने बताया कि सबसे अच्छी बात यह है कि यह मीठा पानी होता है, इसलिए आपको कपड़े धोने के दौरान कम डिटर्जेंट इस्तेमाल करना पड़ेगा और आप खारे पानी से होने वाले नुकसान से भी बच सकेंगे।
पौध सुरक्षा वैज्ञानिक डा० प्रेम शंकर ने रेनवॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के घटकों टैंक, पाइप, फिल्टर, प्यूरीफायर और पंप एवं उनके प्रकार के बारे में जानकारी कृषकों से साझा की। केंद्र के सस्य वैज्ञानिक हरिओम मिश्र ने बताया कि बारिश का पानी शुद्ध होता है और इसमें किसी भी तरीके की गंदगी और दूषित पदार्थ (जैसे कि नाइट्रोजन , ब्लीच, कीटनाशक, फैक्ट्री का केमिकल युक्त पानी आदि) नहीं होते हैं। क्योंकि यह पानी शुद्ध और मीठा होता है, इससे पौधों और मिट्टी में मौजूद नमक फ्लश हो जाता है और इसलिए यह ज़्यादा फ़ायदेमंद होता है। इस दौरान प्रगतिशील कृषक दिलीप कुमार सिंह, राजेन्द्र सिंह, अवनींद्र कुमार दुबे व कृषि विज्ञान केंद्र के समस्त कर्मचारी उपस्थित रहे।
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