बदलता स्वरूप श्रावस्ती। आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय भारत सरकार द्वारा स्थापित क्षेत्रीय नगर एवं पर्यावरण अध्ययन केंद्र, लखनऊ द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य सेप्टेज पॉलिसी एवं यूज्ड वॉटर मैनेजमेंट विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन जिलाधिकारी नेहा प्रकाश की अध्यक्षता में होटल द श्रावस्ती रेजीडेंसी में किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य यह है कि जिले में नगर पालिका,नगर पंचायतों व क्षेत्रों के अन्तर्गत शहरी,नगरीय क्षेत्रों में शौचालय के सुधार, सेप्टेज प्रबंधन एवं पानी के दुबारा उपयोग के सम्बन्ध में तकनीकी जानकारी कार्यशाला में दी गई। यह देश एवं प्रदेश सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है जो शहरी क्षेत्रों में स्वच्छता में सुधार करने के लिए है, ताकि लोग स्वस्थ्य रहें और पर्यावरण भी प्रदूषित न होने पाये।
इस अवसर पर जिलाधिकारी ने कहा कि जन-जन को स्वस्थ्य तथा पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य सेप्टेज पॉलिसी एवं यूज्ड वॉटर मैनेजमेंट द्वारा जो कार्यशाला का आयोजन किया गया है। इस कार्यशाला में उपस्थित सभी सम्बन्धित विभागो के अभियंता, अधिशासी अधिकारीगण एवं सभी सम्बन्धित अधिकारी बेहतर ढंग से जानकारी लेकर अपने-अपने विभागों के माध्यम से इसको धरातल पर उतारेंगे। स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के तहत आज यह टीम आयी है। यह नीति ओडीएफ़़ में निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक मार्गदर्शन और दिशा-निर्देशों पर प्रभाव डालती है और स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) शहरी 2.0 के तहत प्राप्त ओडीएफ स्थिति को स्थायी बनाती है। भारत सरकार के आवास और शहरी कार्य मंत्रालय (एम.ओ.एच.ओ.ए) ने स्वच्छ भारत मिशन शहरी 2.0 का शुभारंभ किया गया था, जिसका उद्देश्य स्थायी ओडीएफ बनाना और सुनिश्चित करना तथा 100 प्रतिशत प्रयुक्त पानी (अपशिष्ट जल) पुनः प्रयोग के लिए उपचारित करना है। एसबीएम 2.0 में फेकल स्लज और सेप्टेज प्रबंधन पर विशेष ध्यान देकर प्रयुक्त जल प्रबंधन पर जोर दिया गया है।
उन्होने बताया कि सेप्टेज प्रबंधन नीति और प्रयुक्त जल प्रबंधन पर कार्यशालाएं, उत्तर प्रदेश के सभी शहरी स्थानीय निकायों की क्षमता निर्माण और इस नीति और एसबीएम 2.0 की पहलों के कार्यान्वयन के प्रति सक्रिय रूप से उत्तेजित करेंगी। इसके आधार पर आर.सी.यू.ई.एस, लखनऊ ने उत्तर प्रदेश सेप्टेज नीति और प्रयुक्त अपशिष्ट प्रबंधन पर यह एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई है।
इस अवसर पर उप निदेशक एवं कोर्स कोऑर्डिनेटर डॉ. राजीव नारायण ने बताया कि इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य प्रयुक्त जल प्रबंधन की आवश्यकता, महत्व और उद्देश्यों को प्रशिक्षित करना है। जिसमें विशेष रूप से फेकल स्लज और सेप्टेज प्रबंधन के नए घटक के साथ एस.बी.एम 2.0 का उत्तर प्रदेश राज्य सेप्टेज प्रबंधन नीति 2019 की आवश्यकता, महत्व और उद्देश्यों को प्रशिक्षित करना है।
इसके अलावा शहरी स्वच्छता क्रियान्वयन योजना के साथ प्रतिभागियों को जागरूक करना, अग्रसर और बाहरी प्रयुक्त जल प्रबंधन प्रणालियों के विभिन्न प्रकारों को जागरूक करना, उपचार, नाविकरण, संचालन और निपटान,पुनः प्रयोग की उपयुक्त जल प्रबंधन प्रक्रिया में प्रतिभागियों को जागरूक करना, विभिन्न प्रौद्योगिकियों को प्रयुक्त जल की उपचार करने के साथ तुलनात्मक अध्ययन के साथ प्रतिभागियों को जागरूक करना। संयुक्त उपचार और अतिरिक्त विधियों पर विशेष ध्यान देते हुए फेकल स्लज और सेप्टेज प्रबंधन में प्रतिभागियों को जागरूक करना, सहभागी योजनानुसारी योजना और संचार के माध्यम से प्रभावी फेकल स्लज और सेप्टेज प्रबंधन के लिए प्रतिभागियों को जागरूक करना है।
कार्यशाला का संचालन केंद्र के उप निदेशक एवं कोर्स कोऑर्डिनेटर डॉ. राजीव नारायण द्वारा किया गया।
इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी अनुभव सिंह, अपर जिलाधिकारी (वि./रा.)डी.पी. सिंह, उपजिलाधिकारी इकौना सालिकराम, कंसलटेंट एस.डी.सिंह, अधिशासी अभियंता जल निगम एस.एम. असजद, अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग एस.के. हरित, अधिशासी अभियंता ग्रामीण अभियंत्रण, अधिशासी अधिकारी नगर पालिका परिषद भिनगा अनीता शुक्ला, अधिशासी अधिकारी नगर पंचायत इकौना विनीत कुमार, जिला समन्वयक स्वच्छ भारत मिशन हरिगेन्द्र वर्मा सहित अन्य सम्बन्धित अधिकारी व कर्मचारीगण उपस्थित रहे।
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