बदलता स्वरूप अयाेध्या। सद्गुरु कबीर साहेब की 625 वीं जयंती समारोह का आयोजन श्रीकबीर धर्म मंदिर जीयनपुर के परिसर में ज्येष्ठ पूर्णिमा के अवसर पर सद्गुरु कबीर साहब के चित्र पर पुष्प अर्पित कर शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीकबीर धर्म मंदिर सेवा समिति के अध्यक्ष महंत उमाशंकर दास ने किया। कार्यक्रम को काठमांडू नेपाल के आचार्य महंत संतोष दास बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए कहा सद्गुरु कबीर देव का संपूर्ण जीवन मानव मात्र के कल्याण के लिए था सद्गुरु कबीर प्रकृति प्रेमी समतामूलक समाज के पोषक थे, सदगुरु कबीर धार्मिक कट्टरता के विरोधी थे। उन्हीं के शब्दों में :हिंदू कहे मोहि राम पियारा, तुरक काहे रहमाना। आपस में दोउ लरी मूए, मर्म न काहू जाना । कबीर साहब संपूर्ण विश्व के कल्याण के लिए इस धरा पर अवतरित हुए थे उन्हीं के विचारों को हमें अपने अंदर आत्मसात कर समतामूलक समाज के निर्माण के लिए सतत प्रयास करना चाहिए। विशिष्ट अतिथि सिद्ध पीठ हनुमानगढ़ी के महंत तेजपाल दास जी ने कहा कि कबीर साहब मानवता के वह मूल बिंदु जिनके द्वारा कबीर साहब समाज को एक रस और एक सरल जीवन के लिए जो विचार प्रस्तुत किए उन विचारों को समाज के प्रत्येक व्यक्ति पहुंचा कर एक उच्च कोटि के समाज का विकास करना सदीक कबीर साहब का मूल उद्देश्य था। विशिष्ट अतिथि कासु. साकेत महाविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. अजय कुमार सिंह ने कहा संत कबीर साहिब जी की जो विचारधारा युवानी है। वह 21वीं सदी में अत्यंत प्रसन्न गीत है और आज के समाज के समक्ष जो प्रमुख चुनौती है। सामाजिक सौहार्द का वह कबीर साहब की विचारधारा वाली बाड़ी के अनुसरण तथा प्रचार-प्रसार से ही संभव है। कबीर साहब की विचार धारा को राष्ट्रीय स्तर पर प्रसारित करने के लिए सभी सामाजिक संगठनों के साथ-साथ सरकारी तौर पर भी प्रयास किया जाना चाहिए। संचालन श्री कबीर धर्म मंदिर सेवा समिति के मंत्री संत विवेक ब्रह्मचारी ने किया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से हनुमानगढ़ी के संत राजदास, श्रीभानु प्रताप वर्मा इंटर कॉलेज के प्राचार्य निर्मल कुमार वर्मा, कबीर मठ वरिष्ठ संत रामप्रकाश दास, शील दास, प्रदीप कुमार वर्मा, रामविलास वर्मा, अजीत कुमार यादव, मुलायम यादव, कृष्णा वर्मा, मकसूद अहमद, चुनचुन दास, उमाशंकर सिंह, बालकृष्ण पाल, दिलीप यादव, मंदीप पांडेय आदि उपस्थित रहे।