भाजपा के लिए चुनौतियों से भरा होगा इस बार का लोकसभा चुनाव ..!

बदलता स्वरूप लेखक पंकज कुमार मिश्रा जौनपुर

भाजपा के लिए आगामी लोकसभा चुनाव कर्नाटक की ही भांति अत्यधिक चुनौतीपूर्ण होने जा रही है और इस बार मुकाबला एकतरफा होने की उम्मीद बिल्कुल नही क्योंकि मोदी जी के बने बनाए बिसात पर उनके कार्यकाल में जीते सांसदों ने अपनी मनमानी से सब कुछ तीतर बितर कर दिया है । कई लोकसभा के हालात तो यह है की सांसद कई गांवों तक तक पहुंचे ही नही और विकास कार्य भी केवल अपने मातहतों के लिए कर डाले ऐसे में जनता का क्रोध चरम पर है । बतौर पत्रकार ऐसे कई लोकसभा चिन्हित है जिनमें जनता अपने सांसद को बदलने के लिए वोट डालने के मूड में है तो वही कई सांसद ऐसे भी है जो यह जान चुके है की इस बार पार्टी उन्हे टिकट देगी नही गोया इसलिए वो पार्टी बदलने के लिए भी समीकरण ढूंढ रहे। कुछ सांसद तो ऐसे भी है जो ये मन बना के बैठे है कि धनबल और बाहुबल के दम पर टिकट लेकर चुनावी मैदान में कूदेंगे पर जनता का मूड इस बार कुछ और ही है । मोदी जी की लोकप्रियता पर पानी फेरने वाले ऐसे सांसदो की सूची बन कर तैयार हो गई होगी और अगर नही हुई है तो प्रदेश अध्यक्षों को इसपर अमल करना होगा अन्यथा उत्तर प्रदेश में भाजपा को 80 तो क्या 50 जीतने के लिए भी पापड़ बेलने पड़ेंगे । कई क्षेत्रों और गांवों में तो हैंडपंप कागजों पर लगे वही कई ग्रामीण सड़को को कागजों पर रिपेयर करा लिया गया होगा क्योंकि ग्रामीणों ने कई बार अपने अपने क्षेत्र के सांसदो के यहां अर्जी डाला पर कोई सुनवाई नहीं हुई ।

एक दो लोकसभा क्षेत्रों में ही नही कमोबेश पूरे उत्तर प्रदेश में यही स्थिति है की सांसदो के चाटुकारों और उनके प्रतिनिधियों ने अपने लिए ही सारी सुविधाएं जब्त कर ली ऐसे में जनता का आक्रोश बताता है की आने वाला लोकसभा चुनाव कदापि सरल नहीं होने वाला है । मैं जिस लोकसभा से आता हूं वह है मछलीशहर जो की सुरक्षित लोकसभा है और यहां के सांसद बीपी सरोज है जिनका प्रदर्शन भी औसत ही माना जा रहा और ऐसे में उन्हें अपनी कुर्सी बचाने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ेगी । जनता के फीडबैक और आंतरिक मूल्यांकन के अनुसार बुनियादी सुविधाएं जैसे पक्के मार्ग , सोलर लाइट, हैंडपम्म, आवास इत्यादि की सुविधाएं सीधे जनता तक नहीं पहुंच सकी है वही कई विधानसभा क्षेत्र में मार्गो की स्थिति दयनीय बताई जा रही ऐसे में मछलीशहर सुरक्षित लोकसभा सीट पर भी लड़ाई कांटे की होने की उम्मीद है । बात करे लोकसभा मछलीशहर की तो वर्ष 2009 के परिसीमन में आमूल-चूल भौगोलिक परिवर्तन के साथ मछलीशहर लोकसभा क्षेत्र सुरक्षित घोषित किया गया । मछलीशहर में पहली बार 1962 में यहां पहली बार चुनाव हुआ। इसमें कांग्रेस के गणपत राम ने जीत दर्ज की और मछलीशहर के पहले सांसद बने।पहले चुनाव के दौरान यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी।1967 में परिसीमन के बाद यह सीट सामान्य श्रेणी में आ गई। 1962 से 1971 तक हुए आम चुनावों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने लगातार तीन बार जीत दर्ज की। 1977 में भारतीय लोकदल के राजकेसर सिंह ने जीत दर्ज करके कांग्रेस का विजय रथ रोका।

वर्ष 2009 में एक बार फिर चुनाव आयोग की परिसीमन की कवायद की जद में यह क्षेत्र आ गया। इस बार बड़े भौगोलिक बदलाव के साथ इसे सुरक्षित लोकसभा क्षेत्र घोषित कर दिया गया। परिसीमन के बाद इस क्षेत्र में तत्कालीन सैदपुर (सु) लोकसभा क्षेत्र को समाप्त कर जफराबाद (बयालसी), केराकत (सु), मछलीशहर, मडिय़ाहूं व वाराणसी जनपद की पिंडरा विधान सभा को शामिल किया गया। आजादी के बाद से इस क्षेत्र के भूगोल व इतिहास में नए-नए बदलाव के साथ प्रयोग तो खूब हुए लेकिन समूचे क्षेत्र में विकास के पैमाने की कसौटी पर कसने पर महज झुनझुना ही नजर आता है। इस क्षेत्र का कुछ हिस्सा पहले इलाहाबाद जिले की फूलपुर सीट से जुड़ा था ।जिले के एक मात्र औद्योगिक क्षेत्र के विकास की गति भी तेजी पकड़ती गई। 1996 में सीडा ( सतहरिया औद्योगिक विकास प्राधिकरण) की स्थापना कर दी गई। क्षेत्र मे रह रहे नवयुवकों, बेरोजगारों को सपनें पर 2005 के आस-पास से सीडा के विकास पर ग्रहण लग गया। फैक्ट्रियां बंद होने लगीं, नए उद्यमी इधर का रुख करना छोड़ दिया। आज हालात ऐसे बन आए कि सीडा की तकरीबन 300 फैक्ट्रियों में ताला लग गया। पिछले 13 साल से एक भी प्लाट का आवंटन नहीं हुआ। 198 फैक्ट्रियां यहां आज भी चालू हालत में जरूर हैं पर वे भी उपेक्षा का दंश झेल रही हैं। उद्यमियों की मानें तो सतहरिया औद्योगिक क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है।मछलीशहर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में 74वें नंबर की सीट है। जौनपुर से 20 किलोमीटर दूर बसा मछलीशहर एक ऐतिहासिक नगर है। बुद्ध काल में इस जगह पर मछिका खंड था। किवदंतियों के मुताबिक यह जगह भगवान बुद्ध को बहुत प्रिय थी। वर्तमान में मछलीशहर पूर्वांचल के जौनपुर जिले का हिस्सा है। यह एक मुख्य व्यापारिक केंद्र और तहसील है।मछलीशहर संसदीय सीट में यूपी की पांच विधानसभा सीटें आती है जिनमें मछलीशहर, केराकत, पिंडरा, मरियाहू और जाफराबाद शामिल है।

2011 की जनगणना के मुताबिक मछलीशहर तहसील में 1,09,524 लाख परिवार है और कुल आबादी 7,36,209 लाख है, जिनमे पुरुषों की संख्या 3,60,957 लाख और महिलाओं की संख्या 3,75,252 लाख है। उत्तर प्रदेश की लिंगानुपात 912 के मुकाबले मछलीशहर में प्रति 1000 पुरुषों पर 1,040 महिलायें है। मछलीशहर की औसत साक्षरता दर 60.13 प्रतिशत है जिनमें पुरुषों की साक्षरता दर 70.92 प्रतिशत और महिलाओं की साक्षरता दर 49.75 प्रतिशत है। मछलीशहर मुख्य रूप से हिन्दू बहुल क्षेत्र है। यहां की 90. 61 प्रतिशत आबादी हिन्दू धर्म और 8.9 प्रतिशत आबादी मुस्लिम धर्म को मानती है। यहां कुल मतदाताओं की संख्या 1,891,969 है जिनमें महिला मतदाता 865,121 और पुरुष मतदाता की संख्या 1,026,789 है। सरकार या क्षेत्रीय सासंद विधायक ने कभी डूबते सतहरिया औद्योगिक क्षेत्र पर ध्यान नहीं दिया।सड़कें खराब हैं। पानी निकासी की व्यवस्था ठीक नहीं है। उद्यमियों को बैंकों से मदद नहीं मिल पा रही है। 2017 मे तत्कालीन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र का ब्यौरा लिया था जिसमे सतहरिया भी सामिल था। सभी औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के नियमित अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए सातवां वेतनमान लागू करने का फैसला किया गया फिर भी हाला जस का तस है। अगर सतहरिया औद्योगिक क्षेत्र पर ध्यान यहां के सासंद विधायक कभी देते तो क्षेत्र के बहुत युवाओं को पलायन न करना पड़ता।