गुरु की महिमा भगवान से भी अधिक है-घनश्याम

बदलता स्वरूप गोंडा। गुरु की महिमा भगवान से भी अधिक है। इसलिये शास्त्रोँ मेँ गुरु की बहुत महिमा आयी है। उक्त विचार घनश्याम जायसवाल ने गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर महाराजा देवी बक्श सिंह इंटर कॉलेज तरबगंज के प्रधानाचार्य केके सिंह को दीवाल घड़ी भेंट करते हुए कही।भाजपा जिला कार्यसमिति सदस्य घनश्याम जयसवाल ने कहा

संत कबीर ईश्वर से अधिक गुरु को महत्व देते है। वे कहते है कि सद्गुरु की शरण में जाओं। उसकी कृपा से ही ईश्वर के दर्शन हो सकते है। वे कहते है कि गुरु की कृपा का कोई पार नहीं है। गुरु ही शिष्य को ज्ञान प्रदान करता है। शिष्य के ज्ञान-नेत्र खोलने का श्रेय गुरु को जाता है। गुरु हमेशा शिष्य का हित ही करता है उसी की कृपा से शिष्य को परमात्मा के दर्शन होते है। इस तरह, कबीर के अनुसार, शिष्य गुरु के ऋण को कभी नहीं चुका सकता। जिस प्रकार ईश्वरद्वारा निर्मित मनुष्य, प्राणी आदि को मन एवं बुद्धि होती है, उसी प्रकार ईश्वरद्वारा निर्मित संपूर्ण विश्वके विश्वमन और विश्वबुद्धि होते हैं हमारी आध्यात्मिक यात्रा में भी मार्गदर्शक की आवश्यकता होती है । किसी भी क्षेत्र के मार्गदर्शक को उस क्षेत्र का प्रभुत्व होना आवश्यक है । अध्यात्म शास्त्र के अनुसार जिस व्यक्ति का अध्यात्म शास्त्र में अधिकार (प्रभुत्व) होता है, उसे गुरु कहते हैं। सत्य के विचार स्पष्ट करते हुए कबीर जी कहते है कि सत्य का ज्ञान ही परमात्मा का वास्तविक रूप है। कबीर सत्य को ही ईश्वर मानते है। वे मूर्तिपूजा का विरोध करते है और परमात्मा के निराकार रूप का समर्थन करते है। शुद्ध वाणी से सम्बन्धी विचारो को स्पष्ट करते हुए कबीर कहते है कि वाणी हमेशा ऐसी हो जिसे सुनकर सुनने वाले को आनन्द प्राप्त हो, उसके ह्रदय को शीतलता मिले। अभिमान का भाव वाणी को अशुद्ध और कटु बना देता है। मनुष्य की वाणी हमेशा शुद्ध होनी चाहिए और उसकी वाणी में मधुरता होनी चाहिए। गुरु हमें अपने आध्यात्मिक स्तर के अनुसार अर्थात ज्ञान ग्रहण करने की हमारी क्षमता के अनुसार (चाहे वह हमें ज्ञात हो या ना हो) मार्गदर्शन करते हैं और हममें लगन, समर्पण भाव, जिज्ञासा, दृढता, अनुकंपा (दया) जैसे गुण (कौशल) विकसित करने में जीवन भर सहायता करते हैं । ये सभी गुण विशेष (कौशल) अच्छा साधक बनने के लिए और हमारी आध्यात्मिक यात्रा में टिके रहनेकी दृष्टि से मूलभूत और महत्त्वपूर्ण हैं । जिनमें आध्यात्मिक उन्नति की तीव्र लगन है, उनके लिए गुरुतत्त्व अधिक कार्यरत होता है और उन्हें अप्रकट रूप में उनकी आवश्यकतानुसार मार्गदर्शन करता है।इस अवसर पर विद्यालय की प्रधानाचार्य के के सिंह सहित सभी गुरुजन और छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।