पंकज कुमार मिश्रा की कलम से
बदलता स्वरूप। आपको बता दें कि अभी दो दिन पहले उच्च शिक्षा को नियंत्रित करने वाली संस्था यूजीसी ने एक नई राजज्ञा पारित की है जिसमें डिग्री कॉलेज और विश्वविद्यालयों में अध्यापन हेतु न्यूनतम अर्हता को उच्च मानक बना दिया गया है।अर्थात आप किसी तरह जुगाड़ या देश भर में फैले नकल गिरोह के शरण में जाकर उनके अवैध तरीके से नेट स्लेट या सेट जैसी एक दिवसीय परीक्षा उत्तीर्ण कर लीजिए आपको लाइसेंस मिल जायेगा उच्च शिक्षा के साथ खिलवाड़ करने का जबकि मानक यह होना चाहिए कि शोध किया हुआ छात्र जो निरंतर अभ्यास और अध्ययन में लगा है उसे प्रथमिकता मिलनी चाहिए थी और उसकी नियुक्ति को सुगम किया जाना चाहिए था । सीधे कहे तो पीएचडी को ही उच्च शिक्षा में सर्वोत्तम मानदंड बनाकर रिक्तियों को भरा जाना ही उच्च शिक्षा का कल्याण कर सकता है । मैं यूजीसी में बैठे आयोग के सदस्यों का ध्यान इस ओर जरूर आकृष्ट कराना चाहूंगा की वर्तमान शिक्षा व्यव्यस्था में आप को भलीभांति ज्ञात है की शिक्षक कक्षाएं पढ़ाना ही नही चाहता और केवल घर बैठे केंद्र सरकार का भारी भरकम वेतन उठाना चाहता है ।
अगर कायदे से छानबीन और जांच हो तो अधिकतर विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के गुरुजी जो जुगाड़ से नियुक्त है वह कॉलेज अथवा विश्वविद्यालय में दो घंटे से अधिक का समय ही नही व्यतीत करते अपितु कुछ तो ऐसे भी है जिनकी हनक ऐसी है की वह कॉलेज अथवा विश्वविद्यालय जाने तक की जहमत नहीं उठाते । आगरा कॉलेज आगरा की स्थिति तो यह है की वहां एक फैकल्टी में तीस – तीस की संख्या में शिक्षक नियुक्त देखे गए मतलब महीने में एक शिक्षक की दो क्लास कक्षाओं में आती होंगी अर्थात अट्ठाइस दिन का वेतन मुफ्त और उसपर भी कॉलेज जाना हो तो जायेंगे वरना उतनी भीड़ में जुगाड़ के आगे कौन हाल पूछ रहा। यूजीसी के चेयरपर्सन महोदय से बतौर पत्रकार मेरा एक ही सवाल है है की जब आप कोई मानदंड तय करते है अथवा कोई अमेडमेंड करते है तो आप भविष्य का कितना मूल्यांकन करते है । क्या आपको यह ज्ञात नही की भारतीय शिक्षा व्यवस्था में कंपीटेटिव एग्जाम केवल न्यायलयों के रिट की बलि चढ़ने हेतु कराई जाती है अथवा भारत में कोई भी योग्यता परीक्षा बिना धाधली या नकल के संपन्न नही हो पाती। यूं कहे की नकल सरगना उसे हाइजैक कर लेते है ऐसे में क्या नेट सेट स्लेट जैसे योगयताओं से आप उच्च शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर रख सकते है । आपको इस पर पुनः विचार करना होगा की मानक मानदंड और योग्यता में कितना फर्क है और कौन सा फर्क क्या प्रभाव डालेगा।
आजकल सरकार और बड़ी संस्थाओं को ब्लैकमेल करने का एक नया तरीका बना है की आप किसी भी क्षेत्र में हो एक संगठन बना लीजिए और फिर सरकार को वोट की धमकी देकर उनसे कुछ भी मनवाते रहिए । देश में सरकारी स्कूलों के शिक्षा की स्थिति बद से बदतर होती जा रही और ऐसे में आजकल कुछ सरकारी स्कूलों के गुरुजी लोगो का ओपीएस जैसे मुद्दो पर सरकार से विरोध प्रदर्शन बेहद दिलचस्प मोड़ ले रहा । जहां एक ओर विपक्ष इसे मुद्दा बना कर बहाल करने का लालच देकर कई राज्यों के चुनावी मेनिफेस्टो बना रहा वही केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर वोट न मिलने की धमकियां मिल रही पर क्या आपने कभी सोचा की ओल्ड पेंशन स्कीम तब लागू थी जब वेतन बहुत मामूली हुआ करते थे और रिटायरमेंट के बाद यही ओपीएस जीविका का एकमात्र सहारा हुआ करता था पर आज के समय में गुरुजी का वेतन एक लाख है प्राइमरी से लेकर डिग्री कॉलेज तक के सरकारी गुरुजी केवल कुर्सियां तोड़ रहे , छात्र इनसे तंग आकर प्राइवेट संस्थाओं की तरफ अग्रसर हो चुके है । आलम तो यह है कि उत्तर प्रदेश के कई सरकारी स्कूलों में कुल जमा 3 छात्रों पर 5 गुरुजी है और वेतन एक लाख प्रति गुरुजी के दर से उठा रहे और अब लड़ाई ओपीएस की लड़ रहे । पिछले दिनों शिक्षा कार्यालय में राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश ने 22 मांगों का एक मांगपत्र सौंपा था जिस पर उचित कार्यवाही के लिए 8 जून 2023 को राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश के प्रतिनिधिमंडल ने महानिदेशक से उनके कार्यालय पर मुलाकात किया था जिसके 14 दिन बीतने के बाद आज तक किसी मुद्दे पर भी उनके द्वारा कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया जिसकी वजह से शिक्षकों शिक्षामित्रों अनुदेशकों और रसोइयों में भारी आक्रोश है इसी वजह से प्रदेश नेतृत्व ने 22 जून 2023 को पूरे प्रदेश में एक साथ महानिदेशक के खिलाफ सभी जिला बेसिक शिक्षाधिकारी कार्यालय पर धरना देने का कार्यक्रम तंय किया था जिसके क्रम में राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ वाराणसी द्वारा भी आंदोलन किया जा रहा है। धरने के बाद यदि महानिदेशक एवं उत्तर प्रदेश शासन ने शिक्षकों की 22 सुत्रीय मांगों को नहीं माना तो 11,12 ,13 जुलाई को प्रांतीय पदाधिकारियों एवं संघर्ष समिति के सदस्यों द्वारा महानिदेशक स्कूल शिक्षा के कार्यालय पर धरना लगाया जायेगा तथा नवंबर माह में पूरे प्रदेश के शिक्षकों शिक्षामित्रों अनुदेशकों रसोइयों के साथ विधानसभा का घेराव किया जायेगा। धरना कार्यक्रम में बोलते हुए राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ वाराणसी के महामंत्री आनंद कुमार सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ने 3 मार्च 2023 को पेंशन मेमोरेंडम जारी करके अपने हर उस कर्मचारी एवं शिक्षक को पुरानी पेंशन दे दिया है जो एनपीएस नोटिफिकेशन से पुर्व के विज्ञापन से चयनित हुए थे परंतु केंद्र के सभी नीतिगत निर्णयों को मानने वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने शिक्षकों कर्मचारियों के लिए आज तक ऐसा पेंशन मेमोरेंडम जारी नहीं किया जो उत्तर प्रदेश राज्य में एनपीएस नोटिफिकेशन 1 अप्रैल 2005 से पुर्व के विज्ञापन से चयनित हुए थे। वही स्थिति यह है कि शिक्षकों को दिन-रात गैर शैक्षणिक कार्यों में न केवल उलझाया जा रहा है अपितु उनसे छुट्टियों में भी काम लिया जा रहा है यही नहीं इन अतिरिक्त कामों के बदले मिलने वाले प्रतिकर अवकाश को भी उनके द्वारा समाप्त कर दिया गया है जिसका हम विरोध करते हैं और मांग करते हैं कि छुट्टियों में काम के बदले प्रतिकर अवकाश दिया जाय तथा किसी इमरजेंसी में शिक्षकों को भी हाफ सीएल लेने का अधिकार दिया जाय।