बदलता स्वरूप गोंडा। जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गोण्डा ब्रजेन्द्र मणि त्रिपाठी के निर्देश पर मुख्य चिकित्साधिकारी श्रीमती रश्मि वर्मा की अध्यक्षता में जिला अस्पताल गोण्डा के सभागार में सर्वाइकल कैंसर नामक विषय पर एक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर को सम्बोधित करते हुये सीएमओ ने कहा भारत में सर्वाइकल कैंसर, स्तन कैंसर के बाद महिलाओं में दूसरा सबसे आम कैंसर है। महिलाओं में इसके लगभग 30 वर्ष से 50 वर्ष के मध्य तक होने की सम्भावना होती है। यह इलाज योग्य है, लेकिन अधिकांश महिलायें इसके बारे में अनजान हैं। इसी अनजानेपन को दूर करने हेतु आज जिला अस्पताल गोण्डा में सर्वाइकल कैंसर के सम्बन्ध में एक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया है। सर्वाइकल कैंसर गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर है, यह तब होता है जब गर्भाशय ग्रीवा (प्रवेश द्वार) की कोशिकायें असामान्य रूप से विकसित होती हैं जो निचले गर्भाशय की गर्दन या संकीर्ण हिस्सा में होती हैं। यह एक वायरस जनित रोग है। यह ह्यूमन पपिल्लोमाविरु नामक वायरस या एच-पी-वी से फैलता है। सर्वाइकल कैंसर के शुरुआती चरण में कोई लक्षण नहीं दिखते हैं, जिस पर किसी का ध्यान नहीं जाता है। हालांकि, गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के लक्षणों की पहचान में अनियमित एवं अत्यधिक रक्त स्राव, पेशाब के दौरान दर्द, मासिक धर्म चक्र में अनियमितता, रजोनिवृत्ति के बाद और पैल्विक परीक्षा के बीच होने वाली रक्तस्राव, अस्पष्टीकृत दर्द, भारी असामान्य पानी का निर्वहन, जो गंदा महकदार जैसा हो सकता है।
सर्वाइकल कैंसर अब लाइलाज नही है। सर्वाइकल कैंसर के बचाव हेतु 09 से 14 वर्ष की अवस्था की बालिकाओं का 02 बार वैक्सीनेशन किया जाता है। इसके अतिरिक्त 14 वर्ष से 18 वर्ष तक की किशोरियों का 03 बार वैक्सीनेशन किया जाता है। 18 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं की स्क्रीनिंग कर इसका पता लगाया जाता है, इसमें 60 वर्ष तक की महिलाओं भी स्क्रीनिंग की जा सकती है। स्क्रीनिंग से ही इसका प्राथमिक स्तर पर पता चल जाता है। इस कैंसर को पूरी तरह विकसित होने में 20 वर्ष तक का समय लगता है। स्क्रीनिंग के पश्चात यदि किसी महिला में इसके लक्षण दिखाई पडते हैं तो इसको बढने से या कैंसर में बदलने से पूर्व ही आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं द्वारा इसे रोका जा सकता है। महिलाओं के मध्य सर्वाइकल कैंसर के सम्बन्ध में अत्यधिक प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है क्योंकि किशोरियां/महिलायें इसके विकसित होने के पूर्व ही इसकी जानकारी प्राप्त कर इसका उचित चिकित्सीय उपचार करा सकती हैं।
यहां उपस्थित सभी लोगों से अनुरोध है कि सर्वाइकल कैंसर के प्रसार को रोकने के लिये इसका अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार करें तथा जिन किशोरियों/महिलाओं में इसके प्राथमिक लक्षण दिखें, उसे चिकित्सीय उपचार लेने हेतु जिला अस्पताल/अस्पताल जाने के लिये प्रेरित करें। इस अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के कनिष्ठ लिपिक कन्हैया लाल तिवारी सहित कई अन्य महिला व पुरूष उपस्थित रहे।
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