मनमाने पुलिस बैरिकेटिंग ने बुजुर्ग श्रद्धालुओं को निराश किया..!

पंकज कुमार मिश्र
बदलता स्वरूप जौनपुर ब्यूरो। सावन मास का सोमवार और श्रद्धालुओं की जबरदस्त भीड़ । त्रिलोचन का महादेव मंदिर, कैथी का मार्कण्डेय धाम , काशी का विश्वनाथ धाम , केराकत का गोमतेश्वर महादेव धाम इत्यादि मंदिरो में प्रशासन ने पुलिस व्यवस्था के नाम पर श्रद्धालुओं पर तेवर टाइट किए और डंडे की फटकार और किलोमीटर पहले की बैरिकेटिंग ने बुजुर्ग श्रद्धालुओं की जमकर दुर्दसा कराई । लोगो ने प्रतिक्रिया देते हुए योगी आदित्यनाथ जी से गुहार लगाते हुए कहा कि सावन की आड़ में नई विवादित परम्परा शुरू कर किया जा रहा स्थानीय जनता का उत्पीड़न । सड़क तो सड़क अबकी बार संकरी गलियों में भी किया गया मोबाइल बैरिकेडिंग ।

वाराणसी में तो पक्के महाल सहित कई गलियों के निवासियों की आवाजाही पर लगाई गई रोक लोगों में पुलिस-प्रशासन के मनमाने रवैये से आक्रोश है । भले ही सावन शिव भक्ति के लिए विशेष है और इस माह में पड़ने वाले सभी सोमवाअतिरेकर तो शिव पूजन के लिए विशेष ख्यात है। यह एक पर्व ही तो है जहाँ काशी पुराधिपति को जल चढ़ाने और दर्शन करके अपना जीवन सँवारने वालों का पूरे सावन पर हुजूम उमड़ता रहता है। इस वर्ष 19 साल बाद दो महीने का सावन होने से मान्यता व परम्परा और भी ज्यादा खास हो गई है। लाज़िमी है कि लाखों कांवरियों समेत अन्य दर्शनार्थियों की सुविधा के लिए पुलिस-प्रशासन की ओर से भी हर स्तर पर समूची व्यवस्था की गयी है। लेकिन यह पहला मौका है जब आवाभगत की अतिरेक से भी ऊपर उठकर पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के नाम पर गलियों में बैरिकेडिंग करके अपनों को ही बेगाना बनाकर उन्हें घरों में कैद होने पर मजबूर कर दिया। हम यहाँ बात कर रहे हैं श्री काशी विश्वनाथ मंदिर गेट नंबर दो जाने वाले पक्का महाल मार्ग की जहाँ पुलिस प्रशासन ने मनमाने तरीके से संकरी गलियों में लौह मोबाइल बैरिकेडिंग करके स्थानीय निवासियों के गमनागमन पर रोक लगा दी है। त्रिपुरा भैरवी गली स्थित माता वाराही मंदिर वाले रास्ते व करपात्री जी द्वारा स्थापित नवीन विश्वनाथ मंदिर वाले रास्ते पर बैरिकेडिंग लगा दिया गया है। इतना ही नहीं भीड़ का हवाला देकर सुरक्षाकर्मियों ने इन गलियों में रहने वालों को घर से बाहर नहीं निकलने दिया। लोगों ने रोजमर्रा के सामान खरीदने व अन्य मंदिरों में दर्शन को जाने वाले स्थानीय निवासियों को बाहर नहीं निकलने दिया गया। जिससे लोगों में भारी रोष व्याप्त है। स्थानीय जनता के अपने पहचान पत्र दिखाने के बाद भी उन्हें बैरिकेडिंग से बाहर नहीं निकलने दिया गया। दिन चढ़ने पर भीड़ में कमी हुई तब जाकर लोगों की आवाजाही शुरू हो सकी।

सवाल यह उठता है कि इन अत्यंत संकरी गलियों में जहां भीड़ बढ़ने पर कदम रख पाना भी मुश्किल हो जाता है, वहाँ बैरिकेडिंग लगाकर रास्ता अवरुद्ध करने का क्या औचित्य नहीं। दूसरे, लोगों की आवाजाही पर रोक लगाने के साथ ही गली के दुकानदारों और घर में रहने वालों के वाहनों के संचरण पर भी रोक लगा दी गई। इसके पहले भी सावन पड़ता आया है, लेकिन इस तरह से स्थानीय लोगों का उत्पीड़न कभी नहीं किया गया। यह उत्पीड़नात्मक पुलिसिया कार्रवाई किसके आदेश पर हुआ यह किसी को नहीं मालूम। न हीं इस प्रकार की कोई सूचना सावन के पहले किसी भी स्त्रोत से लोगों को दी गई। जिससे लोगों में काफी गुस्सा और आक्रोश है।