महिलाओं को जागरूक करने के लिए नारी ज्ञान स्थली में लगाई गई शिविर

बदलता स्वरूप गोंडा। जनपद न्यायाधीश ब्रजेन्द्र मणि त्रिपाठी के आदेश पर तहसील सदर गोण्डा के सरस्वती देवी नारी ज्ञानस्थली महिला पी0जी0 कालेज में शिविर का आयोजन किया गया। शिविर की अध्यक्षता जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गोण्डा के सचिव नितिन श्रीवास्तव अपर जिला जज द्वारा किया गया, जिसमें महाविद्यालय की उप प्राचार्या श्रीमती डा0 नीलम छाबडा भी उपस्थित रही। शिविर में मुख्य चिकित्साधिकारी गोण्डा श्रीमती रश्मि वर्मा, बाल संरक्षण अधिकारी चन्द्र मोहन वर्मा, नायब तहसीलदार नेहा राजवंशी, प्रभारी जिला समाज कल्याण अधिकारी अमित पाल, प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी/बाल विकास परियोजना अधिकारी नगर श्रीमती नीतू रावत, जिला पूर्ति अधिकारी कार्यालय से आर0एस0 राना, महिला थाना थानाध्यक्ष श्रीमती पूनम यादव, वन स्टाप सेन्टर से स्वाति पाण्डेय, महिला कल्याण विभाग के ओर से श्रीमती ज्योत्सना सिंह, जिला समन्वयक स्वच्छ भारत अभिषेक पाण्डेय, रिसोर्स पर्सन श्री अविनाशा चन्द्र श्रीवास्तव व रूचि मोदी, विधि छात्रा सुश्री राशि अग्रवाल, छात्रा नारी ज्ञानस्थली महाविद्यालय सुश्री मोनिका श्रीवास्तव व किरन पाण्डेय उपस्थित रहीं। कार्यक्रम के सम्बोधन में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा0 रश्मि वर्मा द्वारा शिविर को सम्बोधित करते हुये जानकारी दी गयी कि भारत में सरवाइकल कैंसर, स्तन कैंसर के बाद महिलाओं में दूसरा सबसे आम कैंसर है। महिलाओं में इसके लगभग 30 वर्ष से 50 वर्ष के मध्य तक होने की सम्भावना होती है। यह इलाज योग्य है, लेकिन अधिकांश महिलायें इसके बारे में अनजान हैं। इसी अनजानेपन को दूर करने हेतु आज के शिविर में सर्वाइकल कैंसर के बारे में जानकारी दी जा रही है। सर्वाइकल कैंसर गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर है, यह तब होता है जब गर्भाशय ग्रीवा (प्रवेश द्वार) की कोशिकायें असामान्य रूप से विकसित होती हैं जो निचले गर्भाशय की गर्दन या संकीर्ण हिस्सा में होती हैं। यह एक वायरस जनित रोग है। यह ह्यूमन पपिल्लोमाविरु नामक वायरस या एच-पी-वी से फैलता है। सरवाइकल कैंसर के शुरुआती चरण में कोई लक्षण नहीं दिखते हैं, जिस पर किसी का ध्यान नहीं जाता है। हालांकि, गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के लक्षणों की पहचान में अनियमित एवं अत्यधिक रक्त स्राव, पेशाब के दौरान दर्द, मासिक धर्म चक्र में अनियमितता, रजोनिवृत्ति के बाद और पैल्विक परीक्षा के बीच होने वाली रक्तस्राव, अस्पष्टीकृत दर्द, भारी असामान्य पानी का निर्वहन, जो गंदा महकदार जैसा हो सकता है। सर्वाइकल कैंसर अब लाइलाज नही है।

वालीवुड स्टार मनीषा कोईराला एवं बिग ब्रदर कीे एक्टर्स जेड गुड़ी को सर्वाइकल कैंसर हुआ था, जो कि इलाज उपरान्त आज स्वस्थ जीवन जी रही हैं। सर्वाइकल कैंसर के बचाव हेतु 09 से 14 वर्ष की अवस्था की बालिकाओं का 02 बार वैक्सीनेशन किया जाता है। इसके अतिरिक्त 14 वर्ष से 18 वर्ष तक की किशोरियों का 03 बार वैक्सीनेशन किया जाता है। 18 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं की स्क्रीनिंग कर इसका पता लगाया जाता है, इसमें 60 वर्ष तक की महिलाओं भी स्क्रीनिंग की जा सकती है। स्क्रीनिंग से ही इसका प्राथमिक स्तर पर पता चल जाता है। इस कैंसर को पूरी तरह विकसित होने में 20 वर्ष तक का समय लगता है। स्क्रीनिंग के पश्चात यदि किसी महिला में इसके लक्षण दिखाई पडते हैं तो इसको बढने से या कैंसर में बदलने से पूर्व ही आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं द्वारा इसे रोका जा सकता है। महिलाओं के मध्य सर्वाइकल कैंसर के सम्बन्ध में अत्यधिक प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है क्योंकि किषोरियों/महिलायें इसके विकसित होने के पूर्व ही इसकी जानकारी प्राप्त कर इसका उचित चिकित्सीय उपचार करा सकती हैं। यहां उपस्थित सभी महिलाओं से अनुरोध है कि सर्वाइकल कैंसर के प्रसार को रोकने के लिये इसका अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार करें तथा जिन किशोरियों/महिलाओं में इसके प्राथमिक लक्षण दिखें, उसे चिकित्सीय उपचार लेने हेतु जिला अस्पताल/अस्पताल जाने के लिये प्रेरित करें। रिसोर्स पर्सन अविनाश चन्द्र श्रीवास्तव द्वारा शिविर को सम्बोधित करते हुये बतलाया गया कि वर्तमान समय में महिलाओं को जन्म से लेकर उसके वृद्धावस्था तक उसके हितों के संरक्षण के लिये विविध कानून बनाये गये हैं, जिसके अन्तर्गत पी0सी0पी0एन0डी0टी0 एक्ट, घरेलू हिंसा अधिनियम 2005, दहेज निषेध अधिनियम 1961, दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 125, भा0दं0सं0 की धारा 326 ए, 326 बी, 354ए, 354बी, 354सी, 354डी, 361, 363, 366, 494, व 498ए, हिन्दू विवाह अधिनियम 1956, हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 इत्यादि। इन विभिन्न अधिनियमों के माध्यम से महिलाओं के गर्भपात, बालिका भूण हत्या, द्विविवाह, तलाक, गुजारा भत्ता, जूडिषियल सेप्रेशन, पैतृक सम्पत्ति में महिलाओं के अधिकार इत्यादि कानून बनाये गये हैं। महिलाओं को उक्त कानूनों का प्रयोग कर अपने अधिकारों का संरक्षण करना चाहिये, महिलायें जब अपने विधिक अधिकारों से जागरूक होंगी तभी महिलाओं का सशक्तिकरण एवं उनका विकास होगा। रिसोर्स पर्सन समाजसेवी रूचि मोदी द्वारा शिविर को सम्बोधित करते हुये बताया गया कि वर्तमान समय महिलाओं में जागरूकता न होने के कारण वे अपने अधिकारों का प्रयोग नही कर पा रही हैं, जबकि अधिकतर महिलाओं को उनके विधिक अधिकारों के बारे कोई जानकारी ही नही है। महिलाओं को जागरूक करने के लिये ही इस तरह के शिविर का आयोजन किया जाता है। इस शिविर के माध्यम से विधि ज्ञाता द्वारा महिलाओं को विधिक जानकारी दी जाती है तथा प्रशासन के विभिन्न विभागों के अधिकारियों द्वारा उनके विभाग द्वारा संचालित केन्द्र एवं राज्य की योजनाओं का प्रचार-प्रसार किया जाता है। आज इस मंच के माध्यम से मैं भी महिलाओं की विभिन्न समस्याओं से अवगत रहा रही हूं, जैसे कि बालिका की गर्भ में हत्या, बाल विवाह, पुरूषों द्वारा कार्यस्थल पर महिलाओं से छेड़छाड़, बालिकाओं को बालकों के समान शिक्षा न देना, दूरदराज के इलाकों में रहने वाली बालिकाओं के लिये विद्यालय का न हांेना, रात-बिरात आवश्यकता पड़ने पर महिलाओं के घर से निकलने पर सुरक्षा सम्बन्धी परेशानियां, विवाह के समय अत्यधिक दहेज की मांग, दहेज न देने पर महिलाओं को शारीरिक क्षति पंहुचाना, वृद्ध महिलाओं को उनके परिवार द्वारा घर से निकाल देना इत्यादि। जब तक समज का प्रत्येक वर्ग जागरूक नही होगा एवं महिलाओं के अधिकारों को नही समझेगा तब तक किसी भी कानून का अच्छी तरीके से पालन नही होगा। समाज के प्रत्येक व्यक्ति को महिलाओं के प्रति संवेदनशील होना पड़ेगा, जिस दिन समाज का हर वर्ग महिलाओं के प्रति संवेदनशील हो जायेगा उस दिन से महिलाओं की स्थिति में अपने आप सुधार आ जायेगा। शिविर में उपस्थित महिला थानाध्यक्ष पूनम यादव द्वारा शिविर को सम्बोधित करते हुये बताया कि वर्तमान समय में महिलाओं के लिये 1090, डायल 112, 1930 इत्यादि सुविधायें उपलब्ध है, जिसका प्रयेाग करने पर उन्हें तुरन्त पुलिस द्वारा सहायता उपलब्ध कराई जाती है। रात में यदि कोई महिला आवश्यकता पड़ने पर रेलवे स्टेशन, जिला अस्पताल जाना चाहती है तो उसे डायल 112 द्वारा सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। शिविर में उपस्थित अन्य विभागों के अधिकारियों द्वारा महिलाओं के हितार्थ कानून एवं विभागों द्वारा चलायी जा रही योजनाओं के बारे में बताया गया।

अन्त में शिविर को सम्बोधित करते हुये सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गोण्डा द्वारा यह बताया गया कि समय≤ पर महिला विधिक जागरूकता कार्यक्रम का संचालन किया जाता है। इसका उद्देष्य भारत के संविधान में महिलाओं के जीवन व व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन रोकने के लिए मौलिक अधिकार दिया गया है। आज का युग ऐसा युग है, जिसमें महिलाओं को संविधान में कई अधिकार दिये गये हैं। आज महिलाएं इस विकासशील भारत में विकसित बनाने के लिए अपना योगदान देती हैं, परन्तु फिर भी उन्हें कई बार अलग-अलग रूपों में प्रताड़ित किया जाता है तथा उनके अधिकारों का हनन किया जाता है। महिला सशक्तीकरण पर जानकारी देतेे यह भी बताया गया कि वर्तमान में महिलाओं को कानूनी अधिकार प्राप्त है जैसे महिलाओं के कार्यस्थल पर छेड़-छाड़/यौन उत्पीड़न से संरक्षण का अधिकार, पुरूषों के समान पारिश्रमिक का अधिकार, यौन उत्पीड़न की पीड़िता का नाम सार्वजनिक न होने का अधिकार, पति अथवा रिश्तेदारों के खिलाफ घरेलू हिंसा से सुरक्षा का अधिकार, कामकाजी महिलाओं को मातृत्व सम्बन्धी लाभ का अधिकार, कन्या भू्रण हत्या के खिलाफ अधिकार, रात में गिरफ्तार न होने का अधिकार, सम्पत्ति में बराबरी का अधिकार, पीड़िताओं को क्षतिपूर्ति पाने का अधिकार व मुफ्त कानूनी सहायता का अधिकार आदि के बारे में विस्तृत रूप से बताया गया तथा महिलाओं से सम्बन्धित कानूनों की विधिवत जानकारी दी गयी।

इस अवसर पर पराविधिक स्वयं सेवक मो0 इरफान, श्रीमती अनुराधा श्रीवास्तव, कंचन सिंह, रहमत अली, इकरार मोहम्मद, संजय दूबे, राम देवी, महेश चन्द्र वर्मा, पाटेश्वरी प्रसाद, सुमनलता श्रीवास्तव, अंजू सिंह, नान्हू प्रसाद यादव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के वरिष्ठ लिपिक श्री मुकेश कुमार वर्मा, ए0डी0आर0 के कनिष्ठ लिपिक कन्हैया लाल तिवारी, अंकित वर्मा सहित राहुल मिश्रा, राम कुमार तथा महिला ग्राम प्रधान, बाल विकास विभाग की आंगनबाडी कार्यकत्रियां और स्वास्थ्य विभाग की ए0एन0एम0व आशा बहुएं तथा सरस्वती देवी नारी ज्ञानस्थली महाविद्यालय की शिक्षिकाओं एवं छात्राओं ने प्रतिभाग करते हुए सकिय्र सहभागिता प्रदान की।